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सबरीमाला मंदिर प्रशासन के लिए केरल सरकार बनाए विशेष कानून : SC - सबरीमाला मंदिर विवाद

सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिए हैं. अदालत ने कहा है कि सरकार मंदिर प्रशासन के लिए एक विशेष कानून तैयार करे. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 20, 2019, 9:30 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 10:12 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज केरल सरकार से कहा कि ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए एक विशेष कानून तैयार किया जाए.

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह तक उसके समक्ष कानून का मसौदा पेश किया जाए, जिसमें सबरीमाला मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के कल्याण के पहलुओं को भी शामिल हों.

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उसने त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड को शासित करने वाले कानून में संशोधन तैयार किये हैं किए, जिसके तहत मंदिरों और उनके प्रशासन के मुद्दे आएंगे.

उन्होंने कहा कि कानून के प्रस्तावित मसौदे में मंदिर की सलाहकार समिति में महिलाओं का एक तिहाई प्रतिनिधित्व होगा.

order-of-supreme-court-on-sabrimala-issue-in-kerala etv bharat
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इस पहलू ने न्यायालय में ही शीर्ष अदालत के सितंबर, 2018 के फैसले को लेकर बहस छिड़ गई. इस फैसले के अंतर्गत सबरीमाला मंदिर मे सभी आयु वर्ग की महिलाओं और लड़कियों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी.

राज्य सरकार ने कहा कि फिलहाल तो उसका प्रस्ताव मंदिर की सलाहकार समिति में सिर्फ उन महिलाओं को ही प्रतिनिधत्व दिया जाएगा, जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है.

इस पर पीठ के एक सदस्य न्यायाधीश ने संविधान पीठ के 28 सितंबर, 2018 के फैसले का जिक्र किया और कहा कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी निर्देश अभी प्रभावी हैं.

ये भी पढ़ें : सबरीमाला मंदिर : अदालत में कब पहुंचा मामला, जानें आस्था और विवाद से जुड़ी पूरी कहानी

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत 2011 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सबरीमाला मंदिर के प्रशासन का मुद्दा उठाया गया था.

राज्य सरकार ने इस साल अगस्त में न्यायालय से कहा था कि वह सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से कानून बनाने पर विचार कर रही है.

बता दें, सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश संबंधी फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं को मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलओं के साथ होने वाले कथित पक्षपात से संबंधित मुद्दों के साथ पिछले सप्ताह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज केरल सरकार से कहा कि ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए एक विशेष कानून तैयार किया जाए.

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह तक उसके समक्ष कानून का मसौदा पेश किया जाए, जिसमें सबरीमाला मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के कल्याण के पहलुओं को भी शामिल हों.

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उसने त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड को शासित करने वाले कानून में संशोधन तैयार किये हैं किए, जिसके तहत मंदिरों और उनके प्रशासन के मुद्दे आएंगे.

उन्होंने कहा कि कानून के प्रस्तावित मसौदे में मंदिर की सलाहकार समिति में महिलाओं का एक तिहाई प्रतिनिधित्व होगा.

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इस पहलू ने न्यायालय में ही शीर्ष अदालत के सितंबर, 2018 के फैसले को लेकर बहस छिड़ गई. इस फैसले के अंतर्गत सबरीमाला मंदिर मे सभी आयु वर्ग की महिलाओं और लड़कियों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी.

राज्य सरकार ने कहा कि फिलहाल तो उसका प्रस्ताव मंदिर की सलाहकार समिति में सिर्फ उन महिलाओं को ही प्रतिनिधत्व दिया जाएगा, जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है.

इस पर पीठ के एक सदस्य न्यायाधीश ने संविधान पीठ के 28 सितंबर, 2018 के फैसले का जिक्र किया और कहा कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी निर्देश अभी प्रभावी हैं.

ये भी पढ़ें : सबरीमाला मंदिर : अदालत में कब पहुंचा मामला, जानें आस्था और विवाद से जुड़ी पूरी कहानी

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत 2011 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सबरीमाला मंदिर के प्रशासन का मुद्दा उठाया गया था.

राज्य सरकार ने इस साल अगस्त में न्यायालय से कहा था कि वह सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से कानून बनाने पर विचार कर रही है.

बता दें, सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश संबंधी फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं को मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलओं के साथ होने वाले कथित पक्षपात से संबंधित मुद्दों के साथ पिछले सप्ताह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था.

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SC-SABARIMALA
SC asks Kerala govt to come out with exclusive law for administration of Sabarimala temple
         New Delhi, Nov 20 (PTI) The Supreme Court Wednesday asked the Kerala government to come out with an exclusive legislation regarding the administration of the historic Sabarimala temple.
         A bench headed by Justice N V Ramana asked the state to place before it by third week of January next year the legislation, also covering the aspects of welfare of pilgrims visiting there.
         The counsel appearing for the state said it has formulated amendments to the law that would deal with the temples and their administrations which are presently being governed by the Travancore Devaswom Board.
         The draft law also proposes to give one-third representation to women in the temple advisory committee, the counsel said.
         This aspect triggered a debate in the courtroom with regard to September 2018 apex court verdict allowing entry of girls and women of all ages into the Sabarimala temple.
         The state government said that for the time being, it proposes to give representation in the temple advisory committee to only those women who are above 50 years of age.
         One of the judges of the bench referred to the September 28, 2018 verdict and observed that the direction allowing girls and women of all ages holds the field.
         The top court was hearing a plea filed in 2011 which has raised the issue of administration of Sabarimala temple.
         In August this year, the state government had told the top court that it was considering enacting a "separate legislation" with regard to administration of the Sabarimala temple.
         A 5-judge Constitution bench, headed by the then Chief Justice Ranjan Gogoi, in a 3:2 majority verdict, had referred to a larger 7-judge bench the pleas seeking review of its historic 2018 judgement allowing women and girls of all ages to enter Kerala's Sabarimala temple, along with other contentious issues of alleged discrimination against Muslim and Parsi women.
         The top court had not stayed the 2018 verdict that had allowed entry of girls and women of all ages into Sabarimala temple. PTI ABA MNL SJK LLP
SA
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Last Updated : Nov 20, 2019, 10:12 PM IST
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