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मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर विपक्ष का विरोध, बिल में बताई कई खामियां - मानवाधिकार संरक्षण विधेयक

मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पर बहस करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि बिल में कई खामियां हैं. कई विपक्षी दलों ने भी बिल के नए प्रारूप पर सवाल खड़े किए हैं. जानें पूरा विवरण

सदन में बोलते शशि थरूर
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Published : Jul 19, 2019, 9:59 PM IST

नई दिल्ली: विपक्षी दलों के सदस्यों ने शुक्रवार को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को वर्तमान रूप में पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कई और यह पेरिस के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था. विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि बिल में कई खामिया हैं और यह मानव अधिकार संगठन की समस्याओं हल करने में भी नाकाम रहेगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा विधेयक में चेयरमैन के कार्यकाल को मौजूदा 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है. कार्यकाल के घटने से इसके कामकाज में असंगति आएगी.

थरूर ने कहा कि यह विधेयक टुकड़ों में बंटा हुआ है. यह न तो कमियों को पूरा करता है और न ही पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है.

जानकारी दे दें कि पेरिस सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक समूह है जो राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का गठन और उनके कार्यों का मार्ग दर्शन करता है.

सदन में बोलते शशि थरूर

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में कई जगह मानवाधिकारों के उल्लंघन हो रहा है. असम के कई लोगों को भारतीय नागरिकता से वंचित किया गया है क्योंकि वे अपनी जन्म तिथि को साबित करने में विफल रहे.

उन्होंने कहा कि भारत की नागरिकता से इनकार करने के बाद 57 लोग आत्महत्या कर चुके हैं क्योंकि वह जन्म की तारीख को साबित नहीं कर सके.

उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि इंदिरा जयसिंग और आनंद ग्रोवर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ों को 'कलंकित' किया जा रहा है.पर्यावरण कार्यकर्ताओं को विस्थापित किया जा रहा है, जबकि विलफुल डिफॉल्टरों को देश से भागने की अनुमति दी गई.

पढ़ें- लोकसभा मॉनसून सत्र : औवेसी की मांग- मॉब लिंचिंग पर कानून बनाए सरकार

इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK ) की राज्य सभा सदस्य कनिमोझी ने भी इस बिल का विरोध किया किया और बिल को वापस लेने की मांग की.

उन्होंने कहा कि यह वास्तव में मानवाधिकारों को नजर अंदाज करना है.उन्होंने कहा कि विधेयक संगठन की स्वायत्तता को कमजोर करता है और यह अपने काम के साथ न्याय नहीं कर पाएगा.

उन्होंने भाजपा नेता सत्यपाल सिंह के बयान कि हम मनुष्य 'ऋषियों' के वंशज हैं, पर कहा कि हम होमो सेपियन्स हैं और सदन को वैज्ञानिक स्वभाव को बनाए रखना चाहिए

इनके अलावा तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय (TMC) ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि सिंह का बयान चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत का खंडन करता है.

उन्होंने कहा कि इससे भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायाधीशों के लिए अध्यक्ष का पद खोलने से पद के गौरव में कमी आएगी.

उन्होंने कहा कि एनएचआरसी के अध्यक्ष के कार्यकाल में कमी से संगठन मजबूत नहीं होगा

नई दिल्ली: विपक्षी दलों के सदस्यों ने शुक्रवार को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को वर्तमान रूप में पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कई और यह पेरिस के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था. विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि बिल में कई खामिया हैं और यह मानव अधिकार संगठन की समस्याओं हल करने में भी नाकाम रहेगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा विधेयक में चेयरमैन के कार्यकाल को मौजूदा 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है. कार्यकाल के घटने से इसके कामकाज में असंगति आएगी.

थरूर ने कहा कि यह विधेयक टुकड़ों में बंटा हुआ है. यह न तो कमियों को पूरा करता है और न ही पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है.

जानकारी दे दें कि पेरिस सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक समूह है जो राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का गठन और उनके कार्यों का मार्ग दर्शन करता है.

सदन में बोलते शशि थरूर

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में कई जगह मानवाधिकारों के उल्लंघन हो रहा है. असम के कई लोगों को भारतीय नागरिकता से वंचित किया गया है क्योंकि वे अपनी जन्म तिथि को साबित करने में विफल रहे.

उन्होंने कहा कि भारत की नागरिकता से इनकार करने के बाद 57 लोग आत्महत्या कर चुके हैं क्योंकि वह जन्म की तारीख को साबित नहीं कर सके.

उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि इंदिरा जयसिंग और आनंद ग्रोवर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ों को 'कलंकित' किया जा रहा है.पर्यावरण कार्यकर्ताओं को विस्थापित किया जा रहा है, जबकि विलफुल डिफॉल्टरों को देश से भागने की अनुमति दी गई.

पढ़ें- लोकसभा मॉनसून सत्र : औवेसी की मांग- मॉब लिंचिंग पर कानून बनाए सरकार

इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK ) की राज्य सभा सदस्य कनिमोझी ने भी इस बिल का विरोध किया किया और बिल को वापस लेने की मांग की.

उन्होंने कहा कि यह वास्तव में मानवाधिकारों को नजर अंदाज करना है.उन्होंने कहा कि विधेयक संगठन की स्वायत्तता को कमजोर करता है और यह अपने काम के साथ न्याय नहीं कर पाएगा.

उन्होंने भाजपा नेता सत्यपाल सिंह के बयान कि हम मनुष्य 'ऋषियों' के वंशज हैं, पर कहा कि हम होमो सेपियन्स हैं और सदन को वैज्ञानिक स्वभाव को बनाए रखना चाहिए

इनके अलावा तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय (TMC) ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि सिंह का बयान चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत का खंडन करता है.

उन्होंने कहा कि इससे भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायाधीशों के लिए अध्यक्ष का पद खोलने से पद के गौरव में कमी आएगी.

उन्होंने कहा कि एनएचआरसी के अध्यक्ष के कार्यकाल में कमी से संगठन मजबूत नहीं होगा

ZCZC
PRI GEN NAT
.NEWDEL PAR16
LS-HR-BILL-OPPOSITION
Oppn parties oppose Human Rights bill
         New Delhi, Jul 19 (PTI) Members of opposition parties
Friday opposed introduction of the Protection of Human Rights
(Amendment) Bill, 2019 in the present form, saying it has many
gaps and was not in conformity with the Paris principles.
         Initiating a debate on the Bill, Shashi Tharoor (Cong)
said there are several gaps in the bill and it fails to
address autonomy issue of the body.
         Beside, the Bill seeks to reduce the tenure of the
chairman from existing 5 years to 3 years, he said, adding,
the curtailment of tenure will bring inconsistency in its
functioning.
         He said this Bill is piecemeal and cosmetic and does not
address various gaps and added that it was not in conformity
with Paris principles.
         The Paris Principles are a set of international standards
which frame and guide the work of the national human rights
institutions.
         As on date the country is facing various human rights
violations, he said, adding, many people of Assam have been
denied Indian citizenship as they fail to prove their date of
birth.
         As many as 57 people have committed suicide after being
refused citizenship of India because he or she could not prove
the date of birth, he said.
         It is ironic that voices of human rights activists like
Indira Jaising and Anand Grover are being "stifled", he said,
adding, environment activist are being deplaned while wilful
defaulters are allowed to flee the country.
         Kanimozhi (DMK) also opposed the legislation and demanded
that the bill be withdrawn.
         Bring something which really take cares about human
rights, she said.
         The Bill undermines the autonomy of the organisation and
it will not be able to do justice with its work, she said.
         Citing an example, she said the reappointment clause will
make chairman and members toe the government line so that they
get another term.
         On Satyapal Singh's (BJP) statement that human beings are
descendants of 'rishis', Kanimozhi said, "We are homo sapiens
and the House should uphold scientific temperament".
         Opposing the Bill, Saugata Roy (TMC) said Singh's
statement refutes Charles Darwin's theory of evolution.
         He said opening the post of Chairman to judges other than
the Chief Justice of India will reduced gravitas of the post.
         The reduction of tenure of NHRC chairman will not
strengthen the body, he added. PTI DP
DV
DV
07191555
NNNN
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