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ओणम त्योहार में संगीत के लिए खास वाद्ययंत्र है 'ओनाविलु'

'ओनाविलु' धनुष के आकार का संगीत वाद्ययंत्र है. इसका नाम केरल के ओणम त्योहार के समय ही सुनाई पड़ता है. इस वाद्ययंत्र का निर्माण सात पीढ़ी से एक ही परिवार करता चला आ रहा है. जाने क्या है ओनाविलु...

ओनाविलु का निर्माण करता कारीगर
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Published : Sep 8, 2019, 9:59 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 10:27 PM IST

त्रिवेंद्रमः केरल का प्रमुख त्योहार ओणम बस कुछ ही दिन दूर है. त्योहार के लिए औपचारिक धनुष 'ओनाविलु' निर्माण किया जा रहा है. यह धनुष भगवान पद्मनाभ को समर्पित किया जाएगा. 'ओनाविलु' ओणम त्योहार का प्रमुख अंग है.

'ओनाविलु' धनुष ओणम त्योहार का तीन सदी से पारंपरिक हिस्सा है. इस धनुष का निर्माण ओनविलु के शुरू होने से आज तक एक परिवार करता आ चला रहा है.

उत्सव के दौरान 'ओनाविलु' बजाया जाता है. यह संगीत वाद्ययंत्र है, इसमें धनुष और तार शामिल होते हैं. इसका निर्माण आरकिनट की लकड़ी से किया जाता है.

ओनाविलु का निर्माण करते कारीगर

केरल के मालाबार की 'ओनाविलु' परंपरा अभी भी मलप्पुरम के थेक्कपुराक्कल कुत्तिथा और उनके बेटे मधु द्वारा चल रही है, दोनों इस यंत्र को बनाने और खेलने में माहिर हैं.

कुत्तिथा के अनुसार हाल ही के दिनों में उन्होंने ओणम के दौरान उन्होंने सांमती परिवारों को 'ओनाविलु' को उपहार देने का रिवाज देखा हैं.

पढ़ेंः पद्मनाभस्वामी मंदिर के लिए बनाया जा रहा है 'ओनाविल्लू,' जानें कहानी

कुत्तिथा के परिवार के सभी लोग ओनाविलु धनुष को बनाने में व्यस्त हैं. हालांकि, उनके सामने कच्चे माल की कमी है जो कि उनके लिए प्रमुख समास्या है. हर साल ओणम त्योहार के दौरान ओनाविलु की मांग बढ़ रही है, क्योंकि भक्तों का मानना है कि ओनाविलु को घर में रखना शुभ होता है, इससे समृद्धि आएगी.

कुत्तिथा के बेटे मधु ने कहा कि कलाकार विल्लु को विशेष तरीके से पकड़ते है. धनुष से ठीक संगीत तभी उत्पन्न होगा जब हम उसका सही तरीके से उपयोग करेंगे.

त्रिवेंद्रमः केरल का प्रमुख त्योहार ओणम बस कुछ ही दिन दूर है. त्योहार के लिए औपचारिक धनुष 'ओनाविलु' निर्माण किया जा रहा है. यह धनुष भगवान पद्मनाभ को समर्पित किया जाएगा. 'ओनाविलु' ओणम त्योहार का प्रमुख अंग है.

'ओनाविलु' धनुष ओणम त्योहार का तीन सदी से पारंपरिक हिस्सा है. इस धनुष का निर्माण ओनविलु के शुरू होने से आज तक एक परिवार करता आ चला रहा है.

उत्सव के दौरान 'ओनाविलु' बजाया जाता है. यह संगीत वाद्ययंत्र है, इसमें धनुष और तार शामिल होते हैं. इसका निर्माण आरकिनट की लकड़ी से किया जाता है.

ओनाविलु का निर्माण करते कारीगर

केरल के मालाबार की 'ओनाविलु' परंपरा अभी भी मलप्पुरम के थेक्कपुराक्कल कुत्तिथा और उनके बेटे मधु द्वारा चल रही है, दोनों इस यंत्र को बनाने और खेलने में माहिर हैं.

कुत्तिथा के अनुसार हाल ही के दिनों में उन्होंने ओणम के दौरान उन्होंने सांमती परिवारों को 'ओनाविलु' को उपहार देने का रिवाज देखा हैं.

पढ़ेंः पद्मनाभस्वामी मंदिर के लिए बनाया जा रहा है 'ओनाविल्लू,' जानें कहानी

कुत्तिथा के परिवार के सभी लोग ओनाविलु धनुष को बनाने में व्यस्त हैं. हालांकि, उनके सामने कच्चे माल की कमी है जो कि उनके लिए प्रमुख समास्या है. हर साल ओणम त्योहार के दौरान ओनाविलु की मांग बढ़ रही है, क्योंकि भक्तों का मानना है कि ओनाविलु को घर में रखना शुभ होता है, इससे समृद्धि आएगी.

कुत्तिथा के बेटे मधु ने कहा कि कलाकार विल्लु को विशेष तरीके से पकड़ते है. धनुष से ठीक संगीत तभी उत्पन्न होगा जब हम उसका सही तरीके से उपयोग करेंगे.

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Onavillu is a seasonal crafts, which is commonly seen in Kerala during the festival season of Onam. Villukottu, playing the bow like musical instrument Villu was one among the many traditional entertainments commonly practiced by the people of Kerala, during Onam festival. Onavillu, comprising of bow and strings, which is made from Arecanut wood.The strings are beaten with a narrow bamboo stick. The old people says that Mahabali should be worshiped on the day by playing the Onavillu.

The Onuvillu tradition of Malabar is still being carried on by Thekkepurakkal Kuttiatha and his son Madhu from Malappuram,  both are experts in making and playing this instrument. According to Kuttiatha till the recent past they observed the custom of gifting Onavillu to the members in the feudal families, during Onam. The family members of Kuttiatha, his son, brothers who lives nearby, their families, all will come to Kuttiatha'a home to celebrate Onam with Villukottu. The main problem faced by them is lack of raw materials. Lot of people come here to see the making of onavillu and to buy  it says Madhu.



The performers hold the Villu in a particular manner so as to press the stem of the bow on the bare chest. The fine music is produced only when we use it in that manner, says Madhu. Each time after playing, they keep the string apart from the bow in order to get the proper tension.

 


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 10:27 PM IST
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