खूंटी : कोरोना संक्रमण काल में पूरे देश में भूखों की भूख मिटाने के लिए कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं लोगों को चावल, दाल, गुड़, चीनी व अन्य जरूरत की सामाग्रियां मुहैया करा रही हैं. लेकिन स्थाई सामाधान की ओर किसी का ध्यान नहीं है. सिर्फ सरकार के भरोसे लोग देश की विकास दर को बढ़ाने की बात कर रहे हैं.
कोरोना महामारी के बीच झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड के छोटे से गांव में एक निजी संस्था मुंडा समुदाय की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. संस्था ने जिले में पिछले वर्ष लगभग 100 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती कराई थी, जिसमें से अधिकांश किसान उचित देखरेख नहीं कर पाए और न ही उन्हें लेमन ग्रास से तेल निकालने की सुविधा उपलब्ध हो पाई.
लेमन ग्रास से तेल निकालने की पद्यति देखने पहुंच रहे लोग
अब इन किसानों में से ही मुरहू प्रखंड के कोजड़ोंग गांव के दो भाइयों चाड़ा पाहन और सनिका पाहन ने देसी जुगाड़ से लेमन ग्रास से ऑयल निकालकर एक मिसाल पेश किया है. दोनों भाइयों ने साढ़े तीन एकड़ बंजर जमीन में पसीना बहाकर लेमन ग्रास की खेती सफलतापूर्वक की. जब इससे तेल निकालना चुनौती बना, तब खुद देसी जुगाड़ लगाकर लेमन ग्रास से लेमन ऑयल निकालना शुरू कर दिया.
पढ़ें- तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण तेजी से घट रहा, धीमी पड़ी रफ्तार
दोनों भाइयों ने घास से तेल निकालने के लिए उसी विधि को अपनाया है, जिस विधि से इस इलाके के लोग महुआ से देसी शराब बनाते हैं. इस विधि से मात्र 20 पौधों से 500 एमएल लेमन ऑयल निकाला जा रहा है. अपनी सफलता पर दोनों भाई फूले नहीं समा रहे हैं. दोनों का मानना है कि लेमन ग्रास की खेती से उन्हें साल में कम से कम तीन लाख रुपए का मुनाफा होगा. अब आसपास के लोग लेमन ग्रास से तेल निकालने की पद्धति को देखने आने लगे हैं.
अब लेमन ऑयल से बनाएंगे सेनेटाइजर
कोरोना काल में दोनों भाइयों लेमन ग्रास तैयार करने के बाद अब सेनेटाइजर बनाने की तैयारी में जुट गए हैं. इनके हर कदम में संस्था लेमन ग्रास की खेती शुरू करने से लेकर अब तक इनके साथ चलते हुए मार्गदर्शन और सहयोग कर रही है.
अफीम के विकल्प के रूप में चुना गया है लेमन ग्रास
वर्ष 2019 से ही औषधीय और सुगंध पौधों की खेती को अफीम की खेती का विकल्प मानकर इस दिशा में काम शुरू किया गया था. संस्था ने इसके लिए तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, जिले के डीसी सूरज कुमार के सहयोग से चार बड़े सेमिनार, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कई ग्रामसभाओं का आयोजन कर लोगों को जागरूक करने का काम किया था. इन्हीं सेमिनार से प्रेरित होकर अन्य किसानों के साथ कोजड़ोंग के चाड़ा और सनिका पाहन दो भाइयों ने लेमन ग्रास और तुलसी की खेती शुरू की. सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप सेवा टीम से जुड़े प्रगतिशील किसान लक्ष्मण महतो ने जिले भर में किसानों को मुफ्त लेमन ग्रास के पौधे उपलब्ध कराए. लेकिन खेती होने के बाद किसानों को तेल निकालने की सुविधा नहीं मिल पाई.
दो केंद्रों को मिली है स्वीकृति
खूंटी जिला प्रशासन ने मारंगहादा और सुरूंदा गांवों में दो आसवन इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति दी है, लेकिन अभी तक ये इकाई स्थापित नहीं हो पाए हैं. इस बीच देसी जुगाड़ से लेमन ऑयल निकालने का प्रयास सफल हुआ है. जिससे मारंगहादा इलाके के किसान संस्था की मदद से 22 एकड़ में लेमन ग्रास लगाने की तैयारी में जुट गए हैं.