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मध्य प्रदेश : पोल कैश मामले में ट्विस्ट, अधिकारियों ने भेजा सरकार को पत्र - पोल कैश मामले में फंसे तीन आईपीएस अधिकारी

पोल कैश मामले में अब एक ट्विस्ट आ गया है, इस मामले में फंंसे चारों अधिकारियों ने सरकार से पत्र लिखकर पूछा है कि उन्हें किस आधार पर आरोपी बनाया गया है, जबकि सीबीडीटी की रिपोर्ट में 60 से ज्यादा नाम हैं.

पोल कैश मामला
पोल कैश मामला
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Published : Jan 10, 2021, 8:39 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेन-देन मामले में फंसे चारों अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को पत्र भेजा है. यह पत्र अधिकारियों ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए सरकार को भेजा है, जिसमें लिखा हुआ है कि किस आधार पर उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है. जबकि सीबीडीटी की रिपोर्ट में 60 से ज्यादा नाम हैं.

किस आधार पर बनाया जा रहा आरोपी
पोल कैश मामले में फंसे तीन आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार समेत एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ने सरकार को अपने वकीलों के जरिए एक पत्र लिखा है. इस पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि उन्हें किस आधार पर इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है. सीबीडीटी की रिपोर्ट में 60 से ज्यादा नाम हैं, उसके बावजूद भी केवल चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया है. पत्र में लिखा गया है कि महज एक कागज पर नाम लिखे जाने से यह साबित नहीं होता कि वह अपराधी है, या फिर किसी षड्यंत्र में शामिल है.

सीएस, एसीएस और चुनाव आयोग को भेजा पत्र
इन चारों पुलिस अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मध्य प्रदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा और चुनाव आयोग को अपने वकीलों के जरिए यह पत्र भेजा है. इसके अलावा अधिकारियों ने सीएस और एसीएस समेत चुनाव आयोग को इस संबंध में मेल भी किया है.

पुलिस अधिकारियों पर है यह आरोप
पोल कैश मामले में तीन आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर मध्य प्रदेश में हुए साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहनों से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपए लेकर जाने के आरोप हैं. आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें साफ तौर पर आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपये की राशि लिखी हुई है. इसी तरह आईपीएस अधिकारी संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपए की राशि लिखी हुई है. तो वहीं आईपीएस अफसर वी मधुकुमार के नाम के सामने 12.50 करोड़ और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के नाम के आगे 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है. आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी अधिकारियों ने भोपाल से दिल्ली यह रुपये पहुंचाए हैं.

पढ़ें- कमलनाथ के करीबियों से बरामद कैश मामले में EC ने FIR दर्ज करने को कहा

क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे, जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी, जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

सूची में सरकारी विभागों के नाम, लेकिन मंत्रियों के नहीं
आयकर विभाग की जो सूची सामने आई है, उसमें कई सरकारी विभागों के नाम भी लिखे हुए हैं. जहां से पैसा आया था, लेकिन इनके आगे विभागों के मंत्रियों के नाम नहीं लिखे हुए हैं, जिनमें खास तौर पर पीडब्ल्यूडी विभाग जिसके तत्कालीन मंत्री सज्जन सिंह वर्मा थे.

सूची में कंपनियों और कारोबारियों के नाम
आयकर विभाग की सूची में विधायकों नेताओं और विभागों के अलावा कंपनियों और कारोबारियों के नाम भी लिखे हुए हैं और उनके आगे राशि भी लिखी हुई है, जिसमें शिवा माइनिंग, मोंटाना, डीजीयाना, नितिन रेड्डी, कार्निवल ग्रुप, पिओ अनिल जी, एम शिखरवार, सिंचाई टाटा, हिमांशू आरकेएम दिल्ली, प्रिज्म सीमेंट, वंडर सीमेंट, लखन तिवारी, एएमआर मोंटाना, एमपी बिरला, दिलीप रघुवंशी और राजेंद्र गुप्ता ट्राइडेंट के नाम शामिल हैं. इन सभी नामों के आगे 200 रुपये से लेकर 5,850 रुपये तक की राशि लिखी हुई है.

64 विधायकों को बांटे गए 4.4 करोड़ रुपये
आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा के संजीव सिंह और रामबाई समेत 64 विधायकों को 4.4 करोड रुपये बांटे गए थे. यह राशि पांच लाख रुपये से लेकर 75 लाख रुपये तक है. बताया जा रहा है कि लोकसभा उम्मीदवारों को भी तीन करोड़ 20 लाख रुपये दिए गए थे. इसके अलावा जिन लोगों को पैसा पहुंचाया गया था, उनसे हस्ताक्षर के साथ जानकारी मांगी गई थी. इन लोगों ने लिखित में दिया था कि पैसा पहुंच गया है. इनमें बिसाहूलाल सिंह, मधु भगत, राजाराम त्रिपाठी और संजीव कुशवाहा के साथ कई लोग शामिल हैं.

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेताओं के सूची में नाम
मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव से पहले कई कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. इन नेताओं के नाम भी आयकर विभाग की सूची में शामिल हैं. जिनमें बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एंदल सिंह कंसाना, गिर्राज सिंह दंडोतिया, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरोलिया, प्रदुम लोधी, राहुल लोधी, नारायण सिंह पटेल, सुमित्रा देवी कासदेकर, मनोज चौधरी समेत बसपा के राम भाई और संजीव सिंह कुशवाह शामिल हैं.

भोपाल : मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेन-देन मामले में फंसे चारों अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को पत्र भेजा है. यह पत्र अधिकारियों ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए सरकार को भेजा है, जिसमें लिखा हुआ है कि किस आधार पर उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है. जबकि सीबीडीटी की रिपोर्ट में 60 से ज्यादा नाम हैं.

किस आधार पर बनाया जा रहा आरोपी
पोल कैश मामले में फंसे तीन आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार समेत एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ने सरकार को अपने वकीलों के जरिए एक पत्र लिखा है. इस पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि उन्हें किस आधार पर इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है. सीबीडीटी की रिपोर्ट में 60 से ज्यादा नाम हैं, उसके बावजूद भी केवल चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया है. पत्र में लिखा गया है कि महज एक कागज पर नाम लिखे जाने से यह साबित नहीं होता कि वह अपराधी है, या फिर किसी षड्यंत्र में शामिल है.

सीएस, एसीएस और चुनाव आयोग को भेजा पत्र
इन चारों पुलिस अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मध्य प्रदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा और चुनाव आयोग को अपने वकीलों के जरिए यह पत्र भेजा है. इसके अलावा अधिकारियों ने सीएस और एसीएस समेत चुनाव आयोग को इस संबंध में मेल भी किया है.

पुलिस अधिकारियों पर है यह आरोप
पोल कैश मामले में तीन आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर मध्य प्रदेश में हुए साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहनों से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपए लेकर जाने के आरोप हैं. आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें साफ तौर पर आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपये की राशि लिखी हुई है. इसी तरह आईपीएस अधिकारी संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपए की राशि लिखी हुई है. तो वहीं आईपीएस अफसर वी मधुकुमार के नाम के सामने 12.50 करोड़ और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के नाम के आगे 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है. आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी अधिकारियों ने भोपाल से दिल्ली यह रुपये पहुंचाए हैं.

पढ़ें- कमलनाथ के करीबियों से बरामद कैश मामले में EC ने FIR दर्ज करने को कहा

क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे, जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी, जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

सूची में सरकारी विभागों के नाम, लेकिन मंत्रियों के नहीं
आयकर विभाग की जो सूची सामने आई है, उसमें कई सरकारी विभागों के नाम भी लिखे हुए हैं. जहां से पैसा आया था, लेकिन इनके आगे विभागों के मंत्रियों के नाम नहीं लिखे हुए हैं, जिनमें खास तौर पर पीडब्ल्यूडी विभाग जिसके तत्कालीन मंत्री सज्जन सिंह वर्मा थे.

सूची में कंपनियों और कारोबारियों के नाम
आयकर विभाग की सूची में विधायकों नेताओं और विभागों के अलावा कंपनियों और कारोबारियों के नाम भी लिखे हुए हैं और उनके आगे राशि भी लिखी हुई है, जिसमें शिवा माइनिंग, मोंटाना, डीजीयाना, नितिन रेड्डी, कार्निवल ग्रुप, पिओ अनिल जी, एम शिखरवार, सिंचाई टाटा, हिमांशू आरकेएम दिल्ली, प्रिज्म सीमेंट, वंडर सीमेंट, लखन तिवारी, एएमआर मोंटाना, एमपी बिरला, दिलीप रघुवंशी और राजेंद्र गुप्ता ट्राइडेंट के नाम शामिल हैं. इन सभी नामों के आगे 200 रुपये से लेकर 5,850 रुपये तक की राशि लिखी हुई है.

64 विधायकों को बांटे गए 4.4 करोड़ रुपये
आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा के संजीव सिंह और रामबाई समेत 64 विधायकों को 4.4 करोड रुपये बांटे गए थे. यह राशि पांच लाख रुपये से लेकर 75 लाख रुपये तक है. बताया जा रहा है कि लोकसभा उम्मीदवारों को भी तीन करोड़ 20 लाख रुपये दिए गए थे. इसके अलावा जिन लोगों को पैसा पहुंचाया गया था, उनसे हस्ताक्षर के साथ जानकारी मांगी गई थी. इन लोगों ने लिखित में दिया था कि पैसा पहुंच गया है. इनमें बिसाहूलाल सिंह, मधु भगत, राजाराम त्रिपाठी और संजीव कुशवाहा के साथ कई लोग शामिल हैं.

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेताओं के सूची में नाम
मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव से पहले कई कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. इन नेताओं के नाम भी आयकर विभाग की सूची में शामिल हैं. जिनमें बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एंदल सिंह कंसाना, गिर्राज सिंह दंडोतिया, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरोलिया, प्रदुम लोधी, राहुल लोधी, नारायण सिंह पटेल, सुमित्रा देवी कासदेकर, मनोज चौधरी समेत बसपा के राम भाई और संजीव सिंह कुशवाह शामिल हैं.

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