अहमदाबाद : कहा जाता है कि बुजुर्गों की छत्रछाया नसीब वालों को ही मिलती है. हालांकि, ऐसा लगता है यह कहावत अब महत्वाकांक्षी जीवन और बदलती प्राथमिकताओं के दौर में शायद बेमानी होती जा रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि कुछ आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. कोरोना महामारी शारीरिक रोग होने के अलावा मानसिक रूप से भी कड़ी परीक्षा ले रही है. इसके बावजूद अहमदाबाद के बुजुर्गों को वृद्धाश्रमों में रखने को लेकर लोग पूछताछ कर रहे हैं. ऐसा करने के पीछे आर्थिक संकट एक बड़ा कारण है.
दरअसल, दुनिया में कोरोना के मामले दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे है. अकेले भारत में 9 लाख से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस रिपोर्ट किए जा चुके हैं. इनमें से 3.11 लाख कोरोना केस अभी एक्टिव हैं. 24 हजार से अधिक लोगों की मौत भी चुकी है. लोग संक्रमण से बचने के लिए शारीरिक दूरी और आइसोलेशन जैसे विकल्प आजमा रहे हैं. मेडिकल मामलों के जानकारों का कहना है कि संकट के बुजुर्गों को खास देखभाल की जरूरत है. हालांकि, कुछ ऐसे भी परिवार हैं जो ऐसा करने में खुद को अक्षम बता रहे हैं, और बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम जैसे विकल्प खोज रहे हैं.
अहमदाबाद में वृद्धाश्रम संचालक और यहां बुजुर्गों की सेवा व देखभाल करने वालों का कहना है कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन की अवधि में खाली जगहों के बारे में पूछताछ करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है. बहुत से ऐसे लोग जो नौकरियां खो चुके हैं, वे वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को रखने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं.
वृद्धाश्रमों में लोगों को रखने को लेकर सुकेतु नागरवाडिया ने बताया कि कोविड-19 के संक्रमण के कारण बहुत से व्यापार बंद हो गए है. बहुत से लोगों ने नौकरी खो दी है और वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. इस कारण वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को रखे जाने के बारे में अधिक पूछताछ हो रही है. सुकेतु जीवन संध्या वृद्धाश्रम में ट्रस्टी हैं.
सुकेतु ने बकाया कि कुछ परिवार छोटे घरों में रहते हैं. ऐसे में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाए रखना मुश्किल होता है. यह उनके लिए एक समस्या है. बहुत से लोग वृद्धाश्रम में कमरों के लिए संपर्क कर रहे हैं, लेकिन हमारे यहां कमरे पूरी तरह भरे हुए हैं. ऐसे में हम और लोगों को नहीं रख सकते.
एक अन्य वृद्धाश्रम- हीरामनी ओल्ड एज होम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने बताया, 'कई लोगों की सोच है कि वृद्ध लोग आसानी से संक्रमित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें वृद्धाश्रम में भेजना बेहतर होगा.' उन्होंने बताया कि कुछ लोगों के लिए रहने की छोटी जगह एक वास्तविक समस्या है.
उन्होंने बताया 'हमारे वृद्धाश्रम में प्रतिदिन ढेरों फोन आते हैं. जब मैंने कुछ लोगों से कारण के बारे में पूछा तब लोगों का कहना था कि उनके घर पर छोटे बच्चे हैं. बुजुर्ग लोग आसानी से कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए उन्हें वृद्धाश्रम में भेजना परिवार के अन्य सदस्यों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है.'
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बता दें कि गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने अनुसार सोमवार शाम पिछले 24 घंटे में गुजरात में कोविड -19 के 902 नए मामले आए हैं. कोरोना संक्रमण के कारण गत 24 घंटे में 10 लोगों की मौत भी हुई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्रदेश में कोरोना के कुल मामले 42,808 तक पहुंच चुके हैं. इसमें 29,806 लोगों को ठीक हो चुके हैं, जबकि 2,057 लोगों की मौत हो चुकी है.