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जानें राज्य सभा में हुए हंगामे के पीछे नंबर गेम तो नहीं

राज्य सभा में रविवार को हंगामे के बीच कृषि संबंधी दो विधेयक पारित हुए. इस पर विपक्षी नेता कह रहे हैं कि राज्य सभा में हंगामे के पीछे नंबर गेम था. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार के पास विधेयक पारित करने के लिए बहुतमत नहीं था, हालांकि इसे सरकार ने खारिज कर दिया है. बता दें कि रविवार को उच्च सदन में जमकर हंगामा हुआ था, जिसके चलते सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सदस्यों को निलंबित कर दिया था. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

-number game behind uproar in rajya sabha
राज्य सभा
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Published : Sep 23, 2020, 6:21 PM IST

नई दिल्ली : राज्य सभा में रविवार को कृषि संबंधी दो विवादास्पद विधेयकों को लेकर हुए हंगामे के पीछे कारण क्या नंबर गेम था? यदि कोई विपक्ष की बातों पर विश्वास करता है, तो ऐसा हो सकता है. हालांकि सरकार ने कहा है कि उसके पास विधेयक पास कराने के लिए जरूरी नंबर है. हंगामे को लेकर जब सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्य सभा में कहा कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और इसीलिए उसने कृषि बिल पास करने में अपनी विफलता को छुपाने के लिए आराजकता पैदा की, तो इस आरोप को अस्वीकार कर दिया गया.

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि सरकार के पास भले ही विधेयक के समर्थन में 115 सदस्य हैं, फिर भी विधेयकों को पारित किया जाएगा. बदले में उन्होंने विपक्ष को ही हंगामे के लिए दोषी ठहराया.

बता दें कि, रविवार को हाउस में दो सीटें खाली होने के बाद कुल संख्या 243 थी, ऐसे में बहुमत के लिए 122 की जरूरत थी. कुछ सहयोगी दल जैसे बीजद, टीआरएस और एसएडी द्वारा विधेयकों का विरोध करने पर सरकार के लिए स्थिति मुश्किल हो गई थी.

बीजू जनता दल के सांसद प्रसन्ना आचार्य ने बिलों को प्रवर समिति को भेजने की मांग की, जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति ने बिलों का पूरी तरह से विरोध किया है.

इसे लेकर नंबर गेम की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के पास 86 सदस्य, जनता दल-यूनाइटेड के 5 और नामित 3 सदस्य थे. बीपीएफ, आरपीआई, एलजेपी, पीएमके, एनपीपी, एमएनएफ, एसडीएफ और एक निर्दलीय मिलाकर सरकार को कुल 103 सांसदों का समर्थन प्राप्त था.

यह भी पढ़ें- उपसभापति ने 13 बार वोटों के विभाजन की अनुमति देने को कहा : सभापति

कांग्रेस के दावे के मुताबिक विपक्ष के पास 107 विधायक थे. इसमें कांग्रेस के 40, आप के तीन, टीएमसी के 13, बीएसपी के चार, एसपी के आठ, वाम दल के छह, डीएमके के सात हैं. इसके अलावा राजद, राकांपा और एसएडी और अन्य क्षेत्रीय दलों के सदस्य भी हैं.

ऐसे में इन विधेयकों के पारित होने के लिए गैर-एनडीए और गैर-यूपीए पार्टियां महत्वपूर्ण थीं. इनमें बीजेडी के नौ और टीआरएस के सात सदस्य हैं. इसमें वाईएसआरसीपी और एआईएडीएमके आदि के सदस्य भी शामिल हैं.

सत्तारूढ़ दल ने कहा कि कई विपक्षी सांसद उपस्थिति में नहीं थे और इसलिए सरकार को विधेयकों को पारित करना पड़ा, लेकिन विपक्ष ने कहा कि बीजद, टीआरएस और 19 सदस्यों वाले अकाली दल ने कृषि विधेयकों को रोक दिया है.

बता दें कि रविवार को उच्च सदन में जमकर हंगामा हुआ था, जिसके चलते सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सदस्यों को निलंबित कर दिया था.

नई दिल्ली : राज्य सभा में रविवार को कृषि संबंधी दो विवादास्पद विधेयकों को लेकर हुए हंगामे के पीछे कारण क्या नंबर गेम था? यदि कोई विपक्ष की बातों पर विश्वास करता है, तो ऐसा हो सकता है. हालांकि सरकार ने कहा है कि उसके पास विधेयक पास कराने के लिए जरूरी नंबर है. हंगामे को लेकर जब सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्य सभा में कहा कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और इसीलिए उसने कृषि बिल पास करने में अपनी विफलता को छुपाने के लिए आराजकता पैदा की, तो इस आरोप को अस्वीकार कर दिया गया.

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि सरकार के पास भले ही विधेयक के समर्थन में 115 सदस्य हैं, फिर भी विधेयकों को पारित किया जाएगा. बदले में उन्होंने विपक्ष को ही हंगामे के लिए दोषी ठहराया.

बता दें कि, रविवार को हाउस में दो सीटें खाली होने के बाद कुल संख्या 243 थी, ऐसे में बहुमत के लिए 122 की जरूरत थी. कुछ सहयोगी दल जैसे बीजद, टीआरएस और एसएडी द्वारा विधेयकों का विरोध करने पर सरकार के लिए स्थिति मुश्किल हो गई थी.

बीजू जनता दल के सांसद प्रसन्ना आचार्य ने बिलों को प्रवर समिति को भेजने की मांग की, जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति ने बिलों का पूरी तरह से विरोध किया है.

इसे लेकर नंबर गेम की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के पास 86 सदस्य, जनता दल-यूनाइटेड के 5 और नामित 3 सदस्य थे. बीपीएफ, आरपीआई, एलजेपी, पीएमके, एनपीपी, एमएनएफ, एसडीएफ और एक निर्दलीय मिलाकर सरकार को कुल 103 सांसदों का समर्थन प्राप्त था.

यह भी पढ़ें- उपसभापति ने 13 बार वोटों के विभाजन की अनुमति देने को कहा : सभापति

कांग्रेस के दावे के मुताबिक विपक्ष के पास 107 विधायक थे. इसमें कांग्रेस के 40, आप के तीन, टीएमसी के 13, बीएसपी के चार, एसपी के आठ, वाम दल के छह, डीएमके के सात हैं. इसके अलावा राजद, राकांपा और एसएडी और अन्य क्षेत्रीय दलों के सदस्य भी हैं.

ऐसे में इन विधेयकों के पारित होने के लिए गैर-एनडीए और गैर-यूपीए पार्टियां महत्वपूर्ण थीं. इनमें बीजेडी के नौ और टीआरएस के सात सदस्य हैं. इसमें वाईएसआरसीपी और एआईएडीएमके आदि के सदस्य भी शामिल हैं.

सत्तारूढ़ दल ने कहा कि कई विपक्षी सांसद उपस्थिति में नहीं थे और इसलिए सरकार को विधेयकों को पारित करना पड़ा, लेकिन विपक्ष ने कहा कि बीजद, टीआरएस और 19 सदस्यों वाले अकाली दल ने कृषि विधेयकों को रोक दिया है.

बता दें कि रविवार को उच्च सदन में जमकर हंगामा हुआ था, जिसके चलते सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सदस्यों को निलंबित कर दिया था.

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