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'कांग्रेस मुक्त भारत' के सिद्धांत के मूल प्रस्तावक थे एनटीआर : पुस्तक

दिग्गज अभिनेता-राजनेता एन टी रामाराव के राजनीतिक सिद्धांत में कांग्रेस विरोधी विचाराधारा इस हद तक समाहित थी कि उन्हें 'कांग्रेस मुक्त भारत' के सिद्धांत का मूल प्रस्तावक कहा जा सकता है. यह बात एक नई किताब 'मैवरिक मसीहा: ए पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ एन टी रामा राव' में कही गई है. इस किताब को पत्रकार रमेश कांदुला ने लिखा है.

एन टी रामाराव
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Published : Jan 18, 2021, 8:52 PM IST

नई दिल्ली : दिग्गज अभिनेता-राजनेता एन टी रामाराव के राजनीतिक सिद्धांत में कांग्रेस विरोधी विचाराधारा इस हद तक समाहित थी कि उन्हें 'कांग्रेस मुक्त भारत' के सिद्धांत का मूल प्रस्तावक कहा जा सकता है. एक नई किताब में यह बात कही गई है.

पत्रकार रमेश कांदुला ने तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक के बारे में अपनी किताब 'मैवरिक मसीहा: ए पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ एन टी रामा राव' में लिखा है, 'एनटीआर ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कांग्रेस के खिलाफ बिना समझौते के लड़ाई लड़ी. कहा जा सकता है कि वह 'कांग्रेस मुक्त भारत' के दर्शन के मूल प्रस्तावक थे.'

किताब में लिखा है कि एनटीआर ने 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में चेन्नई में नेशनल फ्रंट की उद्घाटन रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'अतीत में कांग्रेस ने देश को आजाद कराया और अब समय आ गया है कि देश को कांग्रेस के कुशासन से मुक्त कराया जाए.'

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वह केंद्र में कांग्रेस का एक लोकतांत्रिक और स्थायी विकल्प तैयार करने के लिए एनटीआर की वास्तविक चिंता पसंद करते थे. एनटीआर ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए समान मंच पर विपक्षी दलों को लाने के लिए अथक प्रयास किये.

यह भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर पथराव, शुभेंदु अधिकारी ने की निंदा

लेखक ने लिखा है कि एनटीआर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान केंद्र-राज्यों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में था, जो उनका मूल राजनीतिक दर्शन था.

उन्होंने कहा, 'एनटीआर भारतीय परिप्रेक्ष्य में संघवाद के बारे में बात करने वाले पहले राजनेता थे. एनटीआर से पहले भी तमिलनाडु, पंजाब और पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय दल थे, लेकिन केंद्र-राज्यों के संबंधों को मुख्यधारा के एजेंडा में लाने का श्रेय व्यापक रूप से उन्हें दिया जाना चाहिए.'

नई दिल्ली : दिग्गज अभिनेता-राजनेता एन टी रामाराव के राजनीतिक सिद्धांत में कांग्रेस विरोधी विचाराधारा इस हद तक समाहित थी कि उन्हें 'कांग्रेस मुक्त भारत' के सिद्धांत का मूल प्रस्तावक कहा जा सकता है. एक नई किताब में यह बात कही गई है.

पत्रकार रमेश कांदुला ने तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक के बारे में अपनी किताब 'मैवरिक मसीहा: ए पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ एन टी रामा राव' में लिखा है, 'एनटीआर ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कांग्रेस के खिलाफ बिना समझौते के लड़ाई लड़ी. कहा जा सकता है कि वह 'कांग्रेस मुक्त भारत' के दर्शन के मूल प्रस्तावक थे.'

किताब में लिखा है कि एनटीआर ने 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में चेन्नई में नेशनल फ्रंट की उद्घाटन रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'अतीत में कांग्रेस ने देश को आजाद कराया और अब समय आ गया है कि देश को कांग्रेस के कुशासन से मुक्त कराया जाए.'

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वह केंद्र में कांग्रेस का एक लोकतांत्रिक और स्थायी विकल्प तैयार करने के लिए एनटीआर की वास्तविक चिंता पसंद करते थे. एनटीआर ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए समान मंच पर विपक्षी दलों को लाने के लिए अथक प्रयास किये.

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लेखक ने लिखा है कि एनटीआर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान केंद्र-राज्यों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में था, जो उनका मूल राजनीतिक दर्शन था.

उन्होंने कहा, 'एनटीआर भारतीय परिप्रेक्ष्य में संघवाद के बारे में बात करने वाले पहले राजनेता थे. एनटीआर से पहले भी तमिलनाडु, पंजाब और पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय दल थे, लेकिन केंद्र-राज्यों के संबंधों को मुख्यधारा के एजेंडा में लाने का श्रेय व्यापक रूप से उन्हें दिया जाना चाहिए.'

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