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J-K में लोकतंत्र अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए NPP की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग

नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह के जरिये राष्ट्रपति भवन को एक याचिका सौंपी है. याचिका में जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की गयी है. पढ़ें पूरी खबर...

हर्ष देव सिंह ( फाइल फोटो)
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Published : Oct 13, 2019, 8:16 PM IST

श्रीनगर : नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने भाजपा पर जम्मू-कश्मीर की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है और राज्य में 'संवैधानिक गारंटियों' को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की.

एनपीपी ने यह यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि राज्य में प्रखंड विकास परिषद् के चुनाव में विपक्षी दलों को तर्कसंगत जगह मिले और चुनाव 'स्वतंत्र एवं निष्पक्ष' ढंग से हो.

एनपीपी ने अपने अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह के जरिये राष्ट्रपति भवन को सौंपी गयी याचिका में कहा, ' जम्मू-कश्मीर में लोग महसूस कर रहे हैं कि राज्य एक दलीय प्रणाली की ओर बढ़ रहा है और सत्तारूढ़ भाजपा विपक्षी दलों को तर्कसंगत स्थान देने से वंचित कर रही है. राज्य में लोकतंत्र जीवनरक्षक प्रणाली पर है और हांफ रहा है.'

ये भी पढ़ें : पूर्व प्रधानमंत्रियों ने '56 इंच के सीने वाले व्यक्ति' जैसा साहस नहीं दिखाया : शाह

याचिका में कहा गया है, 'तानाशाही प्रशासन से न केवल राजनीतिक दल डरे हुए हैं बल्कि आम लोग भी प्रतिहिंसा के डर से अपनी भावना व्यक्त करने के लिए अनिच्छुक हैं.'

उसने यह भी कहा कि कई ऐसे निर्णय, जो निर्वाचित विधायिका का विशेषाधिकार है, कार्यपालिका द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल एवं परिपाटियों का उल्लंघन कर लिये गये.

श्रीनगर : नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने भाजपा पर जम्मू-कश्मीर की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है और राज्य में 'संवैधानिक गारंटियों' को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की.

एनपीपी ने यह यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि राज्य में प्रखंड विकास परिषद् के चुनाव में विपक्षी दलों को तर्कसंगत जगह मिले और चुनाव 'स्वतंत्र एवं निष्पक्ष' ढंग से हो.

एनपीपी ने अपने अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह के जरिये राष्ट्रपति भवन को सौंपी गयी याचिका में कहा, ' जम्मू-कश्मीर में लोग महसूस कर रहे हैं कि राज्य एक दलीय प्रणाली की ओर बढ़ रहा है और सत्तारूढ़ भाजपा विपक्षी दलों को तर्कसंगत स्थान देने से वंचित कर रही है. राज्य में लोकतंत्र जीवनरक्षक प्रणाली पर है और हांफ रहा है.'

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याचिका में कहा गया है, 'तानाशाही प्रशासन से न केवल राजनीतिक दल डरे हुए हैं बल्कि आम लोग भी प्रतिहिंसा के डर से अपनी भावना व्यक्त करने के लिए अनिच्छुक हैं.'

उसने यह भी कहा कि कई ऐसे निर्णय, जो निर्वाचित विधायिका का विशेषाधिकार है, कार्यपालिका द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल एवं परिपाटियों का उल्लंघन कर लिये गये.

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