मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने हीरा कारोबारी नीरव मोदी की कंपनी कैमलॉट एंटरप्राइजेज को राहत देने से इनकार कर दिया है. कंपनी ने अपनी याचिका में आयकर विभाग को चुनौती दी थी. बता दें कि आयकर विभाग ने पिछले सप्ताह इस फर्म की कुछ पेंटिंग और कलाकृतियों की नीलामी की थी.
दरअसल, याचिकाकर्ता कैमलॉट एंटरप्राइजेज एक मुखौटा कंपनी है. इसमें नीरव मोदी के 99 प्रतिशत से अधिक शेयर हैं. कंपनी ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इसमें आयकर विभाग की कर आकलन रिपोर्ट तथा नीलामी के जरिये कर की वसूली कार्यवाही के प्रस्ताव वाले विभाग के नोटिस को चुनौती दी गई थी.
फर्म की याचिका पर न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी और न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल की पीठ में सुनवाई की गई. पीठ ने याचिकाकर्ता का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि आकलन आदेश के मुद्दे पर, कैमलॉट ने संबंधित अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने अपील दायर करने के बजाय सीधे उच्च न्यायालय में गुहार लगाई.
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी पेंटिंग या कलाकृति से खास लगाव का दावा नहीं किया और उसने इनके मूल्य को चुनौती नहीं दी है.
पीठ ने कहा, 'अगर याचिकाकर्ता अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने सफल होता है तो विभाग द्वारा नीलामी के जरिये वसूली राशि को इसे ब्याज सहित वापस किया जा सकता है.'
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि विभाग बकाये के आकलन और नीलामी दोनों के नोटिस उचित ढंग से देने में 'नाकाम' रहा. कंपनी ने कहा कि विभाग ने उसके दो निदेशकों रमेश अस्सार और हेमंत भट्ट को नोटिस भेजे.
पिछले साल सितंबर में जब नोटिस प्राप्त हुआ तो अस्सार कंपनी से इस्तीफा दे चुके थे और भट्ट उस समय न्यायिक हिरासत में थे.
भट्ट के बेटे को नोटिस मिला था और उन्होंने विभाग से कहा कि वह इसका जवाब देने में असमर्थ हैं.
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इसलिए, इन नोटिस को अदालत द्वारा निरस्त किया जाना चाहिए.