ETV Bharat / bharat

जम्मू-कश्मीर में हालात नहीं बदले, केंद्र शासित होने पर भी शांति नहीं : शिवसेना

author img

By

Published : Jul 4, 2020, 5:03 AM IST

शिवसेना ने कहा है कि नोटबंदी करने, अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. भाजपा की पूर्व सहयोगी ने इस बात पर आश्चर्य जाहिर किया कि जब केंद्र में 'मजबूत' सरकार है तो नवगठित केंद्र शासित प्रदेश में शांति क्यों नहीं है?

no change in jammu kashmir says shiv sena
जम्मू-कश्मीर की स्थिति में कोई बदलाव नहीं

मुंबई : शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा, 'सड़कों पर हर रोज खून बह रहा है और निर्दोष लोगों की जान जा रही है. नोटबंदी के बावजूद आतंकी गतिविधियों और फर्जी नोटों के चलन से कोई राहत नहीं है.' जम्मू कश्मीर के सोपोर में हाल में हुई मुठभेड़ का संदर्भ देते हुए इसने कहा कि तीन वर्षीय एक बच्चे के अपने दादा के शव पर बैठे होने की तस्वीरें हृदय-विदारक हैं.

शुक्रवार को प्रकाशित सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है.

संपादकीय में कहा गया, 'छोटा बच्चा भागा नहीं, बल्कि अपने दादा को जगाने की कोशिश कर रहा था. कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने ट्विटर हैंडल पर तस्वीर ट्वीट की. इन मंत्रियों को समझना चाहिए कि यह तस्वीर केंद्र सरकार की विफलता साबित कर सकती है. आखिर घाटी में स्थिति की जिम्मेदारी सरकार की है.'

इसमें कहा गया, 'एक बच्चा यह नहीं जानता कि उसके दादा की मौत हो गई है और वह उसे जगाने की कोशिश करता है. इस तरह की तस्वीरें केवल सीरिया, मिस्र, सोमालिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में सामने आई हैं.' शिवसेना ने कहा कि इस तस्वीर से देश और केंद्र सरकार की छवि को भी नुकसान हुआ है.

संपादकीय में पूछा गया कि जवानों ने बच्चे को बचा लिया, लेकिन उसका भविष्य क्या है? क्या सरकार के पास कोई उत्तर है?

यह भी पढ़ें: सोपोर मुठभेड़ में आम नागरिक की मौत, मासूम को बचाया गया

यह भी पढ़ें: सोपोर में आतंकियों ने नागरिक को मारी थी गोली : एसडीजी जुल्फिकार हसन

गौरतलब है कि बुधवार की जिस मुठभेड़ का जिक्र शिवसेना ने किया है, यह उस समय हुई थी जब आतंकवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम पर हमला कर दिया था. इस हमले में एक जवान शहीद हो गया और एक बुजुर्ग आम नागरिक की मौत हो गई. इस बुजुर्ग के साथ उनका तीन वर्षीय पोता भी था जिसे बाद में सुरक्षाबलों ने गोलीबारी के बीच सुरक्षित निकाल लिया.

यह भी पढें: जम्मू-कश्मीर : आतंकी हमले के दौरान पुलिस ने तीन साल के बच्चे को बचाया

पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में किए गए बदलाव का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि केंद्र ने पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था, लेकिन आतंकी हमलों में जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और विस्थापित कश्मीर पंडितों की कोई 'घर वापसी' नहीं हो रही है.

सामना में प्रकाशित संपादकीय आलेख में लिखा गयाा, 'पिछले महीने, आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित सरपंच की हत्या कर दी.' संपादकीय में पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई गई.

शिवसेना ने कहा, 'पिछले छह महीनों में कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं. यद्यपि हमारे जवानों ने अनेक आतंकवादियों का सफाया किया है, लेकिन शहीद सैनिकों की संख्या भी कम नहीं है.'

संपादकीय में मांग की गई कि सरकार को कश्मीर में अलगाववादियों तथा लद्दाख में चीनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

मुंबई : शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा, 'सड़कों पर हर रोज खून बह रहा है और निर्दोष लोगों की जान जा रही है. नोटबंदी के बावजूद आतंकी गतिविधियों और फर्जी नोटों के चलन से कोई राहत नहीं है.' जम्मू कश्मीर के सोपोर में हाल में हुई मुठभेड़ का संदर्भ देते हुए इसने कहा कि तीन वर्षीय एक बच्चे के अपने दादा के शव पर बैठे होने की तस्वीरें हृदय-विदारक हैं.

शुक्रवार को प्रकाशित सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है.

संपादकीय में कहा गया, 'छोटा बच्चा भागा नहीं, बल्कि अपने दादा को जगाने की कोशिश कर रहा था. कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने ट्विटर हैंडल पर तस्वीर ट्वीट की. इन मंत्रियों को समझना चाहिए कि यह तस्वीर केंद्र सरकार की विफलता साबित कर सकती है. आखिर घाटी में स्थिति की जिम्मेदारी सरकार की है.'

इसमें कहा गया, 'एक बच्चा यह नहीं जानता कि उसके दादा की मौत हो गई है और वह उसे जगाने की कोशिश करता है. इस तरह की तस्वीरें केवल सीरिया, मिस्र, सोमालिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में सामने आई हैं.' शिवसेना ने कहा कि इस तस्वीर से देश और केंद्र सरकार की छवि को भी नुकसान हुआ है.

संपादकीय में पूछा गया कि जवानों ने बच्चे को बचा लिया, लेकिन उसका भविष्य क्या है? क्या सरकार के पास कोई उत्तर है?

यह भी पढ़ें: सोपोर मुठभेड़ में आम नागरिक की मौत, मासूम को बचाया गया

यह भी पढ़ें: सोपोर में आतंकियों ने नागरिक को मारी थी गोली : एसडीजी जुल्फिकार हसन

गौरतलब है कि बुधवार की जिस मुठभेड़ का जिक्र शिवसेना ने किया है, यह उस समय हुई थी जब आतंकवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम पर हमला कर दिया था. इस हमले में एक जवान शहीद हो गया और एक बुजुर्ग आम नागरिक की मौत हो गई. इस बुजुर्ग के साथ उनका तीन वर्षीय पोता भी था जिसे बाद में सुरक्षाबलों ने गोलीबारी के बीच सुरक्षित निकाल लिया.

यह भी पढें: जम्मू-कश्मीर : आतंकी हमले के दौरान पुलिस ने तीन साल के बच्चे को बचाया

पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में किए गए बदलाव का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि केंद्र ने पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था, लेकिन आतंकी हमलों में जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और विस्थापित कश्मीर पंडितों की कोई 'घर वापसी' नहीं हो रही है.

सामना में प्रकाशित संपादकीय आलेख में लिखा गयाा, 'पिछले महीने, आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित सरपंच की हत्या कर दी.' संपादकीय में पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई गई.

शिवसेना ने कहा, 'पिछले छह महीनों में कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं. यद्यपि हमारे जवानों ने अनेक आतंकवादियों का सफाया किया है, लेकिन शहीद सैनिकों की संख्या भी कम नहीं है.'

संपादकीय में मांग की गई कि सरकार को कश्मीर में अलगाववादियों तथा लद्दाख में चीनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.