नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को वाहन विनिर्माता कंपनियों से ई-वाहनों की लागत घटाने और बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कुछ समय तक लाभ को भूल जाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि देश के पास 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन का वैश्विक केंद्र बनने की अच्छी क्षमता है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि एक बार बाजार में मांग तैयार हो गयी, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना होगा. उन्होंने कच्चे तेल की आयात लागत और प्रदूषण को कम करने वाली इस पहल के लिए विनिर्माताओं को हर संभव मदद देने का वादा किया.
गडकरी उद्योग मंडल फिक्की के वर्चुअल कार्यक्रम 'इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कॉन्फ्रेंस 2020- द स्पार्क रिवोल्यूशन' को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दिवाली बाद देश के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष ई-वाहन पर घंटेभर लंबी प्रस्तुति देने के लिए उन्होंने योजना बनाई है.'
गडकरी ने कहा, 'ई-परिवहन भविष्य में सस्ते यातायात का साधन होंगे. इसलिए विनिर्माताओं के लिए यह आर्थिक रूप से व्यावहारिक है, लेकिन वर्तमान में उनमें इसकी लागत कम करने की इच्छा नहीं दिखती. लागत घटाने से शुरुआत में कुछ नुकसान हो सकता है, लेकिन अंत में यह बहुत अधिक लाभ लेकर आएगा. बाजार रणनीति के तौर पर आपको ग्राहकों की संख्या हासिल करने के लिए लागत घटानी होगी.'
उन्होंने कहा कि देश में अगले पांच साल में दुनिया का सबसे बड़ा ई-वाहन विनिर्माता बनने की क्षमता है. हालांकि, भारतीय विनिर्माता देखो और इंतजार करो की नीति पर चलते हैं और किसी भी तरह की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शामिल होने में देरी करते हैं.
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गडकरी ने कार कंपनियों से कहा कि यह पहले स्थान पर रहने का सही समय है. कच्चा माल उपलब्ध है, बिजली की दरें कम हो रही हैं. आपके दोनों हाथों में लड्डू हैं.'
उन्होंने कंपनियों को नौकरशाही की उलझनों से बचने के लिए भी आगाह किया.
गडकरी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ई-वाहन श्रेणी में कई कंपनियों ने बहुत से नवोन्मेष किए हैं. उन्होंने माना कि बैटरी, चार्जिंग की सुविधा और अन्य मुद्दे बड़े स्तर पर ग्राहकों को ई-वाहन अपनाने से रोकेंगे. लेकिन इन मुद्दों का समाधान तेजी से किया जा रहा है.