नई दिल्ली : 2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला में दोषियों में से एक पवन के पिता की समीक्षा याचिका को दिल्ली की एक अदालत खारिज कर दिया. इस याचिका में मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देने के साथ एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया था.
फिलहाल दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने की तैयारियां की जा रही हैं. चारों दोषियों के खिलाफ एक फरवरी का डेथ वारंट भी जारी हो चुका है.
फांसी की तैयारियों के बीच इस मामले में दोषी करार दिया गया पवन मृत्युदंड टालने की आस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने पवन की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की अपील पर दोषी पवन के वकील को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से संपर्क करने का निर्देश दिया.
बता दें कि दोषी पवन के वकील राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका अस्वीकृत किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. सीजेआई बोबडे ने कहा कि अगर किसी को एक फरवरी को फांसी दी जानी हो, तो ये सबसे पहली प्राथमिकता होगी.
क्या था मामला
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह युवकों ने चलती बस में गैंगरेप किया था. इसके बाद इन दरिंदों ने कड़कड़ाती ठंड में पीड़िता को बस के बाहर फेंक दिया था. तब उसके साथ लड़की का मित्र भी था.
पीड़िता को सबसे पहले सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया. उसकी हालत नाजुक हो गई थी. बाद में इलाज के लिए पीड़िता को सिंगापुर भेजा गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
मामले में एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल के अंदर फांसी लगा ली थी.
एक अन्य आरोपी नाबालिग है. उसे सुधार गृह में भेज दिया गया. 2015 में उसकी रिहाई हो गई.