नई दिल्ली : ओडिशा की हीराकुड बांध परियोजना से विस्थापित हुए 26,561 परिवारों को मुआवजा दिए जाने के संबंध में मानवाधिकार वकील राधाकांत त्रिपाठी ने एनएचआरसी का दरवाजा खटखटाया है. राधाकांत की अपील पर आयोग के पैनल ने ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव को 7 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
दरअसल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के हस्तक्षेप के बाद, ओडिशा के उत्तरी प्रभाग के राजस्व मंडल आयुक्त (आरडीसी) ने बताया कि चार जिलों - झारसुगुड़ा, संबलपुर, बरगढ़ और सुबरनपुर से जुड़े विस्थापित परिवारों की शिकायतों के निवारण के लिए समय-समय पर कदम उठाए गए हैं.
आरडीसी ने एनएचआरसी को बताया, "डीसी (डिप्टी कमिश्नर) के संबंध में पट्टा का मुद्दा, अनुग्रह राशि का भुगतान, घर बनाने के लिए जमीन, कृषि भूमि का बंदोबस्त सहित कई मूलभूत सुविधाएं दी जा चुकी हैं." आरडीसी ने मानवाधिकार आयोग से कहा कि अब पुनर्वास का कोई मामला लंबित नहीं है.
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हालांकि, आरडीसी ने स्वीकार किया कि झंकार, चौकीदार, नरिहा, धोबा और भंडारी सहित कुछ लोगों के सेवा समूहों को पूर्ण मुआवजा नहीं दिया जा सका है और उनका पुनर्वास किया जाना बाकी है.
गौरतलब है कि यह मामला तब प्रकाश में आया जब एनएचआरसी के विशेष दूत (Rapporteur)बीबी मिश्रा की जांच रिपोर्ट में इस बात का पता चला कि बड़ी संख्या में लोगों को मुआवजा नहीं दिया गया है.