नई दिल्ली : भारतीय संसद से बुधवार को पास हो चुके नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है. अमेरिकी संस्थान से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तक इस मुद्दे पर टिप्पणी की है. फिलहाल पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इन टिप्पणियों को गैरवाजिब करार देते हुए भारत को सलाह दी है कि उसे इस मसले पर दुनिया के सामने ठोस तथ्य पेश करने चाहिए.
अनिल त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग पर निशाना साधा और भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने के लिए उसकी कड़ी निंदा की.
दरअसल अमेरिकी आयोग ने भारतीय संसद के निचले सदन से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर आलोचना की और अमेरिकी प्रशासन को यहां तक सुझाव दिया कि वह भारत के गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेतृत्व पर प्रतिबंध लगाए.
इसका उत्तर देते हुए त्रिगुणायत ने कहा, 'पहली बात मुझे किसी भी देश में किसी भी सरकारी, गैर-सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था के दखल से आपत्ति है. विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से, जो स्वयं लोकतांत्रिक देश होकर भारत के आंतरिक संप्रभुता के मामले में टिप्पणी कर रहा है.'
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संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सेवा दे चुके त्रिगुणायत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर टिप्पणी अमेरिकी आयोग की शरारत है. उनके सामने वर्षों से कई रिपोर्ट पेश की गई, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार मानवाधिकार का उल्लंघन करती हैं. इन सब के बावजूद उन्होंने इन सभी रिपोर्टों को नजरअंदाज किया है.
त्रिगुणायत ने इस तरफ इंगित करते हुए कहा, 'ये आपत्तियां काफी हद तक जानकारी के अभाव के कारण उत्पन्न होती हैं. भारत को दुनिया के सामने ठोस तथ्यों के साथ सीएबी पेश करने की आवश्यकता है.'
पाकिस्तानी पीएम इमरान खान द्वारा विधेयक पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व राजदूत ने कहा, 'हमें इस्लामाबाद की टिप्पणियों के बारे में भूल जाना चाहिए क्योंकि भारत ने राजनयिक और राजनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है.' उन्होंने कहा कि अब दुनिया पाकिस्तान को एक ऐसे देश के रूप में मान्यता देती है, जो आतंकवादियों को शरण देता है.