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CAB पर दुनिया के सामने ठोस तथ्य रखने की जरूरत : पूर्व राजदूत

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को लेकर अमेरिकी संस्थान से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने टिप्पणी की है. इस मसले पर पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने पर अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग और इमरान खान की कड़ी निंदा की. जानें विस्तार से...

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पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत
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Published : Dec 11, 2019, 9:59 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 10:14 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय संसद से बुधवार को पास हो चुके नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है. अमेरिकी संस्थान से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तक इस मुद्दे पर टिप्पणी की है. फिलहाल पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इन टिप्पणियों को गैरवाजिब करार देते हुए भारत को सलाह दी है कि उसे इस मसले पर दुनिया के सामने ठोस तथ्य पेश करने चाहिए.

अनिल त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग पर निशाना साधा और भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने के लिए उसकी कड़ी निंदा की.

दरअसल अमेरिकी आयोग ने भारतीय संसद के निचले सदन से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर आलोचना की और अमेरिकी प्रशासन को यहां तक सुझाव दिया कि वह भारत के गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेतृत्व पर प्रतिबंध लगाए.

इसका उत्तर देते हुए त्रिगुणायत ने कहा, 'पहली बात मुझे किसी भी देश में किसी भी सरकारी, गैर-सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था के दखल से आपत्ति है. विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से, जो स्वयं लोकतांत्रिक देश होकर भारत के आंतरिक संप्रभुता के मामले में टिप्पणी कर रहा है.'

इसे भी पढे़ं - राज्यसभा से भी पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, शाह ने कहा- मुस्लिमों को बहकावे में आने की जरूरत नहीं

संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सेवा दे चुके त्रिगुणायत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर टिप्पणी अमेरिकी आयोग की शरारत है. उनके सामने वर्षों से कई रिपोर्ट पेश की गई, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार मानवाधिकार का उल्लंघन करती हैं. इन सब के बावजूद उन्होंने इन सभी रिपोर्टों को नजरअंदाज किया है.

त्रिगुणायत ने इस तरफ इंगित करते हुए कहा, 'ये आपत्तियां काफी हद तक जानकारी के अभाव के कारण उत्पन्न होती हैं. भारत को दुनिया के सामने ठोस तथ्यों के साथ सीएबी पेश करने की आवश्यकता है.'

पाकिस्तानी पीएम इमरान खान द्वारा विधेयक पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व राजदूत ने कहा, 'हमें इस्लामाबाद की टिप्पणियों के बारे में भूल जाना चाहिए क्योंकि भारत ने राजनयिक और राजनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है.' उन्होंने कहा कि अब दुनिया पाकिस्तान को एक ऐसे देश के रूप में मान्यता देती है, जो आतंकवादियों को शरण देता है.

नई दिल्ली : भारतीय संसद से बुधवार को पास हो चुके नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है. अमेरिकी संस्थान से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तक इस मुद्दे पर टिप्पणी की है. फिलहाल पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इन टिप्पणियों को गैरवाजिब करार देते हुए भारत को सलाह दी है कि उसे इस मसले पर दुनिया के सामने ठोस तथ्य पेश करने चाहिए.

अनिल त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग पर निशाना साधा और भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने के लिए उसकी कड़ी निंदा की.

दरअसल अमेरिकी आयोग ने भारतीय संसद के निचले सदन से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर आलोचना की और अमेरिकी प्रशासन को यहां तक सुझाव दिया कि वह भारत के गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेतृत्व पर प्रतिबंध लगाए.

इसका उत्तर देते हुए त्रिगुणायत ने कहा, 'पहली बात मुझे किसी भी देश में किसी भी सरकारी, गैर-सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था के दखल से आपत्ति है. विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से, जो स्वयं लोकतांत्रिक देश होकर भारत के आंतरिक संप्रभुता के मामले में टिप्पणी कर रहा है.'

इसे भी पढे़ं - राज्यसभा से भी पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, शाह ने कहा- मुस्लिमों को बहकावे में आने की जरूरत नहीं

संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सेवा दे चुके त्रिगुणायत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर टिप्पणी अमेरिकी आयोग की शरारत है. उनके सामने वर्षों से कई रिपोर्ट पेश की गई, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार मानवाधिकार का उल्लंघन करती हैं. इन सब के बावजूद उन्होंने इन सभी रिपोर्टों को नजरअंदाज किया है.

त्रिगुणायत ने इस तरफ इंगित करते हुए कहा, 'ये आपत्तियां काफी हद तक जानकारी के अभाव के कारण उत्पन्न होती हैं. भारत को दुनिया के सामने ठोस तथ्यों के साथ सीएबी पेश करने की आवश्यकता है.'

पाकिस्तानी पीएम इमरान खान द्वारा विधेयक पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व राजदूत ने कहा, 'हमें इस्लामाबाद की टिप्पणियों के बारे में भूल जाना चाहिए क्योंकि भारत ने राजनयिक और राजनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है.' उन्होंने कहा कि अब दुनिया पाकिस्तान को एक ऐसे देश के रूप में मान्यता देती है, जो आतंकवादियों को शरण देता है.

Intro:New Delhi: Amid much international clamour on the Citizenship Amendment Bill which has been tabled in the upper house of the Parliament today, former ambassador Anil Trigunayat has come down heavily on the U.S. Commission on International Religious Freedom for their remarks on the bill.


Body:Trigunayat condemned the U.S. Commission on International Religious Freedom for commenting on India's internal matter. The U.S. panel criticised the passage of the contentious bill from the lower of the Parliament and even suggested its administration to put sanctions on Home Minister Amit Shah and other leadership backing it.

Replying to this, the former envoy said, "in the first place, I have objection to any government, non-government or semi government entity in other country. Specially in the United States which is supposedly a democracy to comment on internal sovereign matter of India."

Former Indian ambassador who had also served in the United States didn't stop there. He referred the U.S. panel on International Religious Freedom comments as mischievous. He emphasised that year after after many reports have put United States as the number one violator of the human rights. And, despite all they have ignored all these reports.




Conclusion:Pointing out that these objections largely arise due to lack of information, Anil Trigunayat said that India needs to put concerted and coherent projection of facts to the world.

When asked about Pakistan PM's remark on the bill, he asked us to forget about Islamabad as India has diplomatically and politically isolated them. He said that now world recognises Pakistan as a state which harbours terrorists.



Last Updated : Dec 11, 2019, 10:14 PM IST
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