सुकमा: पालोड़ी सीआरपीएफ कैंप के ऊपर एक अज्ञात रोशनी देखने को मिली है. करीब तीन रातों से घूम रही इस रोशनी ने सुरक्षा एजेंसियों को परेशान कर दिया है. जवान अब तक ये पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर ये रोशनी किस चीज की है.
अनुमान लगाया जा रहा है कि नक्सली ड्रोन जैसी किसी उपकरण से सुरक्षाबलों पर नजर रख रहे हैं. खास बात यह है कि कैंप के आस-पास घूम रहे इस उपकरण में लाइट तो जल रही है लेकिन उसमें कोई आवाज नहीं आ रही है. सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह से रोशनी दिखाई पड़ रही है उससे ड्रोन कैमरे का शक हो रहा है.
खुफिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गढ़चिरौली और दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के पेलोड ड्रोन खरीदने की खबर मिली है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि दक्षिण बस्तर में रात को आकाश में दिखने वाली रोशनी पेलाड ड्रोन की हो सकती है. सीआरपीएफ जवानों ने रात को अलग-अलग समय पर आसमान में रोशनी देखी है. वहीं एक ड्रोन को आमापेंटा की ओर जाते भी देखा है.
क्या है पेलोड ड्रोन
पेलोड एक ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है. इसमें ड्रोन के अलावा अतिरिक्त कैमरा, सेंसर या डिलिवरी के लिए पैकेज भी शामिल होते हैं. पेलोड ड्रोन कम से कम तीन किलो और अधिकतम 30 किलो का वजन लेकर उड़ सकते हैं. इस हिसाब से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ना लाजमी है. यदि नक्सली पेलोड ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सुरक्षाबलों को सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि नक्सली पेलोड ड्रोन के जरिए 10 से 30 किलो की आईईडी का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के कैंपों पर कर सकते हैं.
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किस्टाराम क्षेत्र है संवेदनशील
किस्टाराम इलाका नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में जाना जाता है. यहां आए दिन नक्सली वारदातें होती रहती हैं. साल 2018 में नक्सलियों ने इसी इलाके में सुरक्षाबलों की एंटी लैंड व्हीकल को आईईडी विस्फोट कर उड़ाया था. जिसमें सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए थे.
सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने इसे गंभीर और चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि किस्टाराम इलाके में सीआरपीएफ कैंपों पर रोशनी देखी गई है. आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कथित ड्रोन का अलग—अलग एजेंसियों से जांच कराया जाएगा.