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नौसेना ने कोरोना मरीज को ले जाने के लिए बनाया 'एयर इवैक्यूएशन पोड'

दूर-दराज के इलाकों से कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए नौसेना ने स्मार्ट 'एयर इवैक्यूएशन पोड' (एईपी) विकसित किया है. एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इसमें पायलट और संक्रमित मरीज को ले जाने वाली टीम को संक्रमण लगने का कोई खतरा नहीं है और बाद में विमान को संक्रमण मुक्त करने की भी जरूरत नहीं है.

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नौसेना ने कोविड-19 के मरीज को ले जाने के लिए ‘एयर इवैक्यूएशन पोड’ विकसित किया
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Published : Apr 14, 2020, 8:22 PM IST

कोच्चि : केरल के कोच्चि में भारतीय नौसेना के गोदी ने दूर दराज के इलाकों से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एक स्मार्ट 'एयर इवैक्यूएशन पोड' (एईपी) विकसित किया है.

स्वदेशी रुप से डिजाइन एईपी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को पूरी से तरह से सील मरीज स्थानांतरित कैप्सूल में पोत और द्वीप से सुरक्षित ले जाने में टीम की मदद करेगा.

नेवी ने बनाया एयर इवैक्यूएशन पोड

एक रक्षा प्रवक्ता ने यहां बताया कि इसमें पायलट और संक्रमित मरीज को ले जाने वाली टीम को संक्रमण लगने का कोई खतरा नहीं है और बाद में विमान को संक्रमण मुक्त करने की भी जरूरत नहीं है.

प्रवक्ता ने बताया कि यह पोड नौसेना एयर स्टेशन, आईएनएस गरूड़ के प्रधान चिकित्सा अधिकारी के मार्गदर्शन और नौसेना अस्पताल आईएनएचएस संजीवनी के विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है.

दो लाख 31 हजार लोगों की कोरोना जांच की गई : स्वास्थ्य मंत्रालय

उन्होंने बताया कि इसका वजन 32 किलोग्राम है और इसको बनाने में 50,000 रुपये की लागत आई है.

कोच्चि : केरल के कोच्चि में भारतीय नौसेना के गोदी ने दूर दराज के इलाकों से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एक स्मार्ट 'एयर इवैक्यूएशन पोड' (एईपी) विकसित किया है.

स्वदेशी रुप से डिजाइन एईपी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को पूरी से तरह से सील मरीज स्थानांतरित कैप्सूल में पोत और द्वीप से सुरक्षित ले जाने में टीम की मदद करेगा.

नेवी ने बनाया एयर इवैक्यूएशन पोड

एक रक्षा प्रवक्ता ने यहां बताया कि इसमें पायलट और संक्रमित मरीज को ले जाने वाली टीम को संक्रमण लगने का कोई खतरा नहीं है और बाद में विमान को संक्रमण मुक्त करने की भी जरूरत नहीं है.

प्रवक्ता ने बताया कि यह पोड नौसेना एयर स्टेशन, आईएनएस गरूड़ के प्रधान चिकित्सा अधिकारी के मार्गदर्शन और नौसेना अस्पताल आईएनएचएस संजीवनी के विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है.

दो लाख 31 हजार लोगों की कोरोना जांच की गई : स्वास्थ्य मंत्रालय

उन्होंने बताया कि इसका वजन 32 किलोग्राम है और इसको बनाने में 50,000 रुपये की लागत आई है.

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