नई दिल्ली : आज शहीदों की याद में इन्फेंट्री डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर पैदल सेना (इन्फेंट्री) नेशनल वॉर मेमोरियल (एनडब्ल्यूएन) पर मौजूद है. यहां रक्षा स्टाफ के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इन्फेंट्री दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार हमारे देश की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की बड़ी बाधाओं में से एक रहा है. मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करने की जरूरत है.
वहीं भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एस्पर, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
इस मौके पर लेह में फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स द्वारा इन्फैंट्री डे पारंपरिक पारम्परिकता के साथ मनाया गया. इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने लेह में वार मेमोरियल पर माल्यार्पण किया और सभी बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि दी.
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ट्वटी कर कहा कि 'इन्फैंट्री डे के विशेष अवसर पर हमारे साहसी पैदल सेना के सभी रैंकों को शुभकामनाएं. भारत को हमारे राष्ट्र की रक्षा में पैदल सेना द्वारा निभाई गई भूमिका पर गर्व है. उनकी बहादुरी लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती है.'
शहीदों से प्रेरणा लेगी सेना
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी का सामना कर रही सेना पिछले 73 सालों से बुलंद हौंसले के साथ दुश्मन से लड़ रही है. इन्फैंट्री डे पर सेना अपने शहीदों को याद कर उनसे जान की बाजी लगा दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने की प्रेरणा लेगी.
सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब
आपको बता दें, इन्फैंट्री दिवस को स्वतंत्र भारत की पहली सैन्य घटना की याद के रूप में मनाया जाता है. भारतीय सेना ने 27 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर घाटी में भारतीय जमीन पर हुए पहले हमले का मुहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की थी.
1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बनाई. इसके लिए पाकिस्तान ने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए भोजा. कबायलियों की फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर धावा बोल दिया.
हमले के बाद महाराज हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना कश्मीर को कबायलियों मुक्त कराने निकल पड़ी.
गौरतलब है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमण करने वालों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था. भारतीय सेना ने कबायलियों के चंगुल से कश्मीर को 27 अक्टूबर, 1947 को मुक्त करा लिया.