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जन्मदिन विशेष : जानें, आधुनिक सांख्यिकी के जनक महालनोबिस से जुड़ी रोचक बातें - national statistics day

भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारतीय सांख्यिकी संस्थान के संस्थापक प्रशांत चंद्र महालनोबिस का आज जन्मदिन है. महालनोबिस भारत के पहले योजना आयोग के सदस्यों में से भी एक थे. महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था.

प्रशांत चंद्र महालनोबिस
प्रशांत चंद्र महालनोबिस
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Published : Jun 30, 2020, 3:51 AM IST

Updated : Jun 30, 2020, 6:23 AM IST

हैदराबाद : देशभर में 29 जून को स्वर्गीय प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है. बता दें, महालनोबिस का जन्म 1893 में हुआ था. महालनोबिस भारत के पहले योजना आयोग के सदस्य थे. महालनोबिस को आधुनिक सांख्यिकी का जनक भी कहा जाता है.

महालनोबिस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में पूरी की. उन्होंने 1912 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से भौतिकी में स्नातक( ऑनर्स) की उपाधि प्राप्त की. बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी और गणित का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए और इन विषयों में उच्च डिग्री कोर्स ट्रिपोज़ (Tripos) पूरा किया. यहां पर उन्होंने गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से मुलाकात की.

महालनोबिस ने रवींद्रनाथ टैगोर के सचिव के रूप में भी काम किया और विश्वभारती विश्वविद्यालय से भी जुड़े रहे. सात फरवरी 1923 को महालनोबिस का विवाह निर्मल कुमारी से हुआ.

1932 में पीसी महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की. समाजवादी सोच के महालनोबिस ने देश की दूसरी पंचवर्षीय योजना का मसौदा या ड्राफ्ट तैयार किया था. महालनोबिस का नियोजन मॉडल एक बहु प्रचलित मॉडल है और यह भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) का आधार था.

उनके मॉडल के दो प्रकार हैं- एक दो सेक्टर मॉडल और एक चार सेक्टर मॉडल. औद्योगीकरण की रणनीति उनके मॉडल का परिणाम थी. इस रणनीति में भारी उद्योगों को बढ़ावा देने और पूंजीगत सामान क्षेत्र में निवेश को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया.

उन्होंने अपने मॉडल से गणितीय रूप से साबित किया कि यह रणनीति, जिसे कभी-कभी भारी निवेश रणनीति कहा जाता है, इससे लंबे समय में अर्थव्यवस्था दीर्घकालीन संवृद्धि दर में वृद्धि होगी. इस रणनीति में सार्वजनिक क्षेत्र को भी प्रमुख भूमिका दी गई. कतिपय कारणों से इस रणनीति के परिणाम भले ही शानदार न रहे हों, लेकिन इसने निश्चित रूप से भारत में एक विविधतापूर्ण औद्योगिक संरचना की नींव रखी और कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने में काफी हद तक मदद की.

महालनोबिस अपने शानदार करियर के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पदों पर रहे. उन्होंने 1947 से 1951 तक सांख्यिकीय नमूनाकरण पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वह लंदन के रॉयल सोसाइटी के फेलो ,अमेरिकन सांख्यिकीय एसोसिएशन के फेलो और अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान के मानद अध्यक्ष थे. प्रो महालनोबिस 1955-1967 के दौरान भारत के योजना आयोग के सदस्य रहे थे.

सांख्यिकी से प्रेम
सांख्यिकी गणित की वह शाखा है, जिसमें आंकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उनके गुणों का आकलन-अध्ययन किया जाता है. अकादमिक अनुशासन से लेकर प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और कारोबार जैसे तमाम क्षेत्रों में इसका खूब इस्तेमाल होता है. इसी विज्ञान से महालनोबिस को इतना ज़बर्दस्त प्रेम हो गया कि फिर ताज़िंदगी छूटा नहीं.

महालनोबिस 1972 में अपनी मृत्यु तक, 1949 से भारत सरकार के मानद सांख्यिकीय सलाहकार का पद भी संभाला.1968 में महालनोबिस को राष्ट्र और विज्ञान की सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया. इसके अलावा 1944 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से वेल्डन मेमोरियल और 1945 में फैलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी पुस्कार से भी नवाजा गया. इतना ही नहीं गूगल डूडल ने भी पीसी महालनोबिस उपलब्धियों को भी चिह्नित किया है.

हैदराबाद : देशभर में 29 जून को स्वर्गीय प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है. बता दें, महालनोबिस का जन्म 1893 में हुआ था. महालनोबिस भारत के पहले योजना आयोग के सदस्य थे. महालनोबिस को आधुनिक सांख्यिकी का जनक भी कहा जाता है.

महालनोबिस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में पूरी की. उन्होंने 1912 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से भौतिकी में स्नातक( ऑनर्स) की उपाधि प्राप्त की. बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी और गणित का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए और इन विषयों में उच्च डिग्री कोर्स ट्रिपोज़ (Tripos) पूरा किया. यहां पर उन्होंने गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से मुलाकात की.

महालनोबिस ने रवींद्रनाथ टैगोर के सचिव के रूप में भी काम किया और विश्वभारती विश्वविद्यालय से भी जुड़े रहे. सात फरवरी 1923 को महालनोबिस का विवाह निर्मल कुमारी से हुआ.

1932 में पीसी महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की. समाजवादी सोच के महालनोबिस ने देश की दूसरी पंचवर्षीय योजना का मसौदा या ड्राफ्ट तैयार किया था. महालनोबिस का नियोजन मॉडल एक बहु प्रचलित मॉडल है और यह भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) का आधार था.

उनके मॉडल के दो प्रकार हैं- एक दो सेक्टर मॉडल और एक चार सेक्टर मॉडल. औद्योगीकरण की रणनीति उनके मॉडल का परिणाम थी. इस रणनीति में भारी उद्योगों को बढ़ावा देने और पूंजीगत सामान क्षेत्र में निवेश को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया.

उन्होंने अपने मॉडल से गणितीय रूप से साबित किया कि यह रणनीति, जिसे कभी-कभी भारी निवेश रणनीति कहा जाता है, इससे लंबे समय में अर्थव्यवस्था दीर्घकालीन संवृद्धि दर में वृद्धि होगी. इस रणनीति में सार्वजनिक क्षेत्र को भी प्रमुख भूमिका दी गई. कतिपय कारणों से इस रणनीति के परिणाम भले ही शानदार न रहे हों, लेकिन इसने निश्चित रूप से भारत में एक विविधतापूर्ण औद्योगिक संरचना की नींव रखी और कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने में काफी हद तक मदद की.

महालनोबिस अपने शानदार करियर के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पदों पर रहे. उन्होंने 1947 से 1951 तक सांख्यिकीय नमूनाकरण पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वह लंदन के रॉयल सोसाइटी के फेलो ,अमेरिकन सांख्यिकीय एसोसिएशन के फेलो और अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान के मानद अध्यक्ष थे. प्रो महालनोबिस 1955-1967 के दौरान भारत के योजना आयोग के सदस्य रहे थे.

सांख्यिकी से प्रेम
सांख्यिकी गणित की वह शाखा है, जिसमें आंकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उनके गुणों का आकलन-अध्ययन किया जाता है. अकादमिक अनुशासन से लेकर प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और कारोबार जैसे तमाम क्षेत्रों में इसका खूब इस्तेमाल होता है. इसी विज्ञान से महालनोबिस को इतना ज़बर्दस्त प्रेम हो गया कि फिर ताज़िंदगी छूटा नहीं.

महालनोबिस 1972 में अपनी मृत्यु तक, 1949 से भारत सरकार के मानद सांख्यिकीय सलाहकार का पद भी संभाला.1968 में महालनोबिस को राष्ट्र और विज्ञान की सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया. इसके अलावा 1944 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से वेल्डन मेमोरियल और 1945 में फैलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी पुस्कार से भी नवाजा गया. इतना ही नहीं गूगल डूडल ने भी पीसी महालनोबिस उपलब्धियों को भी चिह्नित किया है.

Last Updated : Jun 30, 2020, 6:23 AM IST
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