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नासा ने ढूंढ निकाला विक्रम लैंडर का मलबा

नासा ने चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर खोज निकाला है और उसकी फोटो भी जारी की है. नासा ने बताया कि शनमुगा सुब्रमण्यन (Shanmuga Subramanian) ने अध्ययन के बाद क्रैश साइट कुछ दूरी पर मलबे की पहचान सुनिश्चित की. इसके बाद LRO कैमरा टीम ने पहले और बाद की तस्वीरों की तुलना करके पुष्टि की. पढ़ें पूरी खबर...

nasa
नासा द्वारा जारी तस्वीर
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Published : Dec 3, 2019, 7:25 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 12:47 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है. इसने चंद्रमा की सतह पर बिखरे विक्रम लैंडर की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. नासा ने बताया है कि लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ़ लिया है.

नासा ने आगे बताया है कि उसने कुछ लोगों को विक्रम लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए बुलाया था. इन्हीं में से एक व्यक्ति हैं शनमुगा सुब्रमण्यन (Shanmuga Subramanian). उन्होंने मलबे की सकारात्मक पहचान के लिए एलआरओ (LRO) परियोजना से संपर्क किया. अपने अध्ययन के बाद शनमुगा ने मुख्य क्रैश साइट के उ. पश्चिम लगभग 750 मीटर की दूरी पर मलबे की पहचान सुनिश्चित की.

nasa tweet
चंद्रयान-2 पर नासा का ट्वीट

पढ़ें-तमिलनाडु के शनमुगा की स्टडी से NASA को विक्रम लैंडर का पता चला

नासा ने अक्टूबर के महीने में बताया था कि ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों में लैंडर को लोकेट नहीं किया गया था. नासा के अनुसार हो सकता है इसकी वजह छाया हो. यानि जिस समय ऑर्बिटर वहां से गुजर रहा था, उस समय लैंडर के टुकड़ों पर छाया पड़ गई हो और तस्वीरें साफ नहीं आ सकीं.

विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला था. लेकिन सॉफ्ट-लैंडिंग से कुछ मिनट पहले लैंडर के साथ संचार खो दिया था. संपर्क टूटने के समय विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊपर था.

nasa on chandrayaan ii
विक्रम के चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंड करने के पहले और बाद की तस्वीर

पढ़ें-चंद्रयान-2 : अंतिम लम्हों में कैसा रहा सफर, देखें वीडियो

कुछ दिनों बाद चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल तस्वीर खींची थी.

2 सितंबर को विक्रम लैंडर सफतापूर्वक चंद्रयान 2 से अलग हो गया था. चंद्रयान ने चांद की ओर अपना सफर 14 को शुरू किया था. चंद्रयान 2 ने 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.

असफलता के बावजूद, नासा ने कहा कि चंद्रमा की सतह के करीब होना एक 'अद्भुत उपलब्धि' है.

पढ़ें-जानें, लैंडर का नाम 'विक्रम' क्यों रखा गया, कैसे करता है काम

क्या है विक्रम लैंडर, संक्षिप्त जानकारी

आपको बता दें कि चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया था. इसे चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया था, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर होता है. विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता विकसित की गई थी. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था.

पढ़ें-चंद्रयान-2 पर ISRO के चेयरमैन ने ETV भारत को बताई महत्वपूर्ण बातें

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है. इसने चंद्रमा की सतह पर बिखरे विक्रम लैंडर की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. नासा ने बताया है कि लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ़ लिया है.

नासा ने आगे बताया है कि उसने कुछ लोगों को विक्रम लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए बुलाया था. इन्हीं में से एक व्यक्ति हैं शनमुगा सुब्रमण्यन (Shanmuga Subramanian). उन्होंने मलबे की सकारात्मक पहचान के लिए एलआरओ (LRO) परियोजना से संपर्क किया. अपने अध्ययन के बाद शनमुगा ने मुख्य क्रैश साइट के उ. पश्चिम लगभग 750 मीटर की दूरी पर मलबे की पहचान सुनिश्चित की.

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चंद्रयान-2 पर नासा का ट्वीट

पढ़ें-तमिलनाडु के शनमुगा की स्टडी से NASA को विक्रम लैंडर का पता चला

नासा ने अक्टूबर के महीने में बताया था कि ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों में लैंडर को लोकेट नहीं किया गया था. नासा के अनुसार हो सकता है इसकी वजह छाया हो. यानि जिस समय ऑर्बिटर वहां से गुजर रहा था, उस समय लैंडर के टुकड़ों पर छाया पड़ गई हो और तस्वीरें साफ नहीं आ सकीं.

विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला था. लेकिन सॉफ्ट-लैंडिंग से कुछ मिनट पहले लैंडर के साथ संचार खो दिया था. संपर्क टूटने के समय विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊपर था.

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विक्रम के चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंड करने के पहले और बाद की तस्वीर

पढ़ें-चंद्रयान-2 : अंतिम लम्हों में कैसा रहा सफर, देखें वीडियो

कुछ दिनों बाद चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल तस्वीर खींची थी.

2 सितंबर को विक्रम लैंडर सफतापूर्वक चंद्रयान 2 से अलग हो गया था. चंद्रयान ने चांद की ओर अपना सफर 14 को शुरू किया था. चंद्रयान 2 ने 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.

असफलता के बावजूद, नासा ने कहा कि चंद्रमा की सतह के करीब होना एक 'अद्भुत उपलब्धि' है.

पढ़ें-जानें, लैंडर का नाम 'विक्रम' क्यों रखा गया, कैसे करता है काम

क्या है विक्रम लैंडर, संक्षिप्त जानकारी

आपको बता दें कि चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया था. इसे चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया था, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर होता है. विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता विकसित की गई थी. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था.

पढ़ें-चंद्रयान-2 पर ISRO के चेयरमैन ने ETV भारत को बताई महत्वपूर्ण बातें

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Last Updated : Dec 3, 2019, 12:47 PM IST
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