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A-SAT पर NASA की पहली प्रतिक्रिया, भारतीय एक्सपर्ट ने किया खारिज - भारत का मिशन शक्ति

'मिशन शक्ति' के सुरक्षित और जवाबदेह होने के बावजूद उस पर कई सवाल उठ रहे हैं. नासा का कहना है कि इससे जमा हुए मलबा से अंतरिक्ष केन्द्र को खतरा हो सकता है.

भारत ने किया 'मिशन शक्ति' का सफल परिक्षण. (फाइल फोटो)
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Published : Apr 2, 2019, 4:06 PM IST

Updated : Apr 2, 2019, 11:37 PM IST

नई दिल्ली/वॉशिंगटन: भारत ने अंतरिक्ष में दुश्मन देशों के सैटेलाइट को गिराने की सफलता हासिल तो कर ली है, लेकिन इसे लेकर कुछ सवाल उठने लगे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि इससे अंतरिक्ष में मलबा जमा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र पर इस मलबा से खतरा उत्पन्न हो सकता है.

नासा के इस निष्कर्ष को भारतीय विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सही नहीं मानते हैं. स्पेस और न्यूक्लियर मामलों के विशेषज्ञ राजेश्वरी पिल्लई राजगोपाल का कहना है कि हमारा मिशन शक्ति बिल्कुल सुरक्षित और जवाबदेह है. उन्होंने कहा कि हम चीन से बेहतर हैं. हमारा रिकॉर्ड उनसे अच्छा है. हमने प्रयोग किया और इसे दुनिया के सामने भी रखा. लेकिन चीन ने जब इसका टेस्ट किया था, तब उसने स्वीकार ही नहीं किया था.

राजेश्वरी पिल्लई राजगोपाल से हुई बातचीत.

राजगोपाल ने कहा कि चीन ने 850 किमी की दूरी पर स्पेस में टेस्ट किया था. भारत ने मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर टेस्ट किया. यानि हमारा मलबा लोअर अर्थ ऑर्बिट में था. इसकी संख्या 300 के आस-पास है. इससे कोई खतरा नहीं होगा. चीन ने इस तरह के टेस्ट के दौरान 3000 स्पेस कचरा उत्पन्न किया था.

वहीं, इस संबंधमेंरक्षा विशेषज्ञब्रह्मा चेलानी ने नासा की तर्कों कोसही ठहराया है.

mission shakti etv bharat
रक्षा विशेषज्ञब्रह्मा चेलानी का ट्वीट.

आपको बता दें कि नासा ने भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को मंगलवार को भयंकर बताया. नासा ने कहा कि नष्ट किए उपग्रह से अंतरिक्ष की कक्षा में 400 टुकड़ों का मलबा हुआ, जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर खतरा पैदा हो गया है.

नासा प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने बताया कि अभी तक करीब 60 टुकड़ों का पता लगाया गया है और इनमें से 24 टुकड़े आईएसएस के दूरतम बिन्दु से ऊपर हैं. उन्होंने यहां नासा टाउनहॉल में कहा, 'यह भयानक है, मलबा और दूरतम बिन्दु तक टुकड़े भेजने की घटना भयानक बात है. भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इस तरह की गतिविधि अनुकूल नहीं है.'

पढ़ें:मिशन शक्ति : भारत के लिए बड़ी उपलब्धि, कवच का काम करेगा

उन्होंने कहा, 'भारत द्वारा गत सप्ताह किए एसैट परीक्षण से कक्षा में करीब 400 टुकड़ों का मलबा फैल गया.' ब्राइडेंस्टाइन ने कहा कि सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं है कि उनका पता लगाया जा सके और नासा अभी 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े टुकड़ों का ही पता लगा रहा है.

उन्होंने कहा, 'अभी तक करीब 60 टुकड़ों का ही पता चला है जिनमें से 24 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं.' भारत इस क्षमता को हासिल करने के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है. ब्राइडेंस्टाइन ट्रंप प्रशासन के पहले शीर्ष अधिकारी हैं जो भारत के एसैट परीक्षण के खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं.

उन्हें डर है कि भारत के एसैट परीक्षण से दूसरे देशों द्वारा ऐसी ही गतिविधियों के प्रसार का खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा, 'जब एक देश ऐसा करता है तो दूसरे देशों को भी लगता है कि उन्हें भी ऐसा करना चाहिए. यह अस्वीकार्य है. नासा को इस बारे में स्पष्ट रुख रखने की जरुरत है कि इसका हम पर क्या असर पड़ता है.'

नासा प्रशासक ने कहा कि एसैट परीक्षण से पिछले दस दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को छोटे कण वाले मलबे से खतरा 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अब भी सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा, 'हालांकि अच्छी बात यह है कि यह पृथ्वी की कक्षा से काफी नीचे था, जिससे वक्त के साथ ये सभी टुकड़ें नष्ट हो जाएंगे.'

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा 2007 में किए उपग्रह रोधी परीक्षण का काफी मलबा अब भी अंतरिक्ष में मौजूद है और हम अब भी इससे जूझ रहे हैं. ब्राइडेंस्टाइन के अनुसार, अमेरिका कक्षा में मलबे के 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े करीब 23 हजार टुकड़ों का पता लगा रहा है.
(एक्सट्रा इनपुट- भाषा से)

नई दिल्ली/वॉशिंगटन: भारत ने अंतरिक्ष में दुश्मन देशों के सैटेलाइट को गिराने की सफलता हासिल तो कर ली है, लेकिन इसे लेकर कुछ सवाल उठने लगे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि इससे अंतरिक्ष में मलबा जमा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र पर इस मलबा से खतरा उत्पन्न हो सकता है.

नासा के इस निष्कर्ष को भारतीय विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सही नहीं मानते हैं. स्पेस और न्यूक्लियर मामलों के विशेषज्ञ राजेश्वरी पिल्लई राजगोपाल का कहना है कि हमारा मिशन शक्ति बिल्कुल सुरक्षित और जवाबदेह है. उन्होंने कहा कि हम चीन से बेहतर हैं. हमारा रिकॉर्ड उनसे अच्छा है. हमने प्रयोग किया और इसे दुनिया के सामने भी रखा. लेकिन चीन ने जब इसका टेस्ट किया था, तब उसने स्वीकार ही नहीं किया था.

राजेश्वरी पिल्लई राजगोपाल से हुई बातचीत.

राजगोपाल ने कहा कि चीन ने 850 किमी की दूरी पर स्पेस में टेस्ट किया था. भारत ने मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर टेस्ट किया. यानि हमारा मलबा लोअर अर्थ ऑर्बिट में था. इसकी संख्या 300 के आस-पास है. इससे कोई खतरा नहीं होगा. चीन ने इस तरह के टेस्ट के दौरान 3000 स्पेस कचरा उत्पन्न किया था.

वहीं, इस संबंधमेंरक्षा विशेषज्ञब्रह्मा चेलानी ने नासा की तर्कों कोसही ठहराया है.

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रक्षा विशेषज्ञब्रह्मा चेलानी का ट्वीट.

आपको बता दें कि नासा ने भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को मंगलवार को भयंकर बताया. नासा ने कहा कि नष्ट किए उपग्रह से अंतरिक्ष की कक्षा में 400 टुकड़ों का मलबा हुआ, जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर खतरा पैदा हो गया है.

नासा प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने बताया कि अभी तक करीब 60 टुकड़ों का पता लगाया गया है और इनमें से 24 टुकड़े आईएसएस के दूरतम बिन्दु से ऊपर हैं. उन्होंने यहां नासा टाउनहॉल में कहा, 'यह भयानक है, मलबा और दूरतम बिन्दु तक टुकड़े भेजने की घटना भयानक बात है. भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इस तरह की गतिविधि अनुकूल नहीं है.'

पढ़ें:मिशन शक्ति : भारत के लिए बड़ी उपलब्धि, कवच का काम करेगा

उन्होंने कहा, 'भारत द्वारा गत सप्ताह किए एसैट परीक्षण से कक्षा में करीब 400 टुकड़ों का मलबा फैल गया.' ब्राइडेंस्टाइन ने कहा कि सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं है कि उनका पता लगाया जा सके और नासा अभी 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े टुकड़ों का ही पता लगा रहा है.

उन्होंने कहा, 'अभी तक करीब 60 टुकड़ों का ही पता चला है जिनमें से 24 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं.' भारत इस क्षमता को हासिल करने के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है. ब्राइडेंस्टाइन ट्रंप प्रशासन के पहले शीर्ष अधिकारी हैं जो भारत के एसैट परीक्षण के खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं.

उन्हें डर है कि भारत के एसैट परीक्षण से दूसरे देशों द्वारा ऐसी ही गतिविधियों के प्रसार का खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा, 'जब एक देश ऐसा करता है तो दूसरे देशों को भी लगता है कि उन्हें भी ऐसा करना चाहिए. यह अस्वीकार्य है. नासा को इस बारे में स्पष्ट रुख रखने की जरुरत है कि इसका हम पर क्या असर पड़ता है.'

नासा प्रशासक ने कहा कि एसैट परीक्षण से पिछले दस दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को छोटे कण वाले मलबे से खतरा 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अब भी सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा, 'हालांकि अच्छी बात यह है कि यह पृथ्वी की कक्षा से काफी नीचे था, जिससे वक्त के साथ ये सभी टुकड़ें नष्ट हो जाएंगे.'

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा 2007 में किए उपग्रह रोधी परीक्षण का काफी मलबा अब भी अंतरिक्ष में मौजूद है और हम अब भी इससे जूझ रहे हैं. ब्राइडेंस्टाइन के अनुसार, अमेरिका कक्षा में मलबे के 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े करीब 23 हजार टुकड़ों का पता लगा रहा है.
(एक्सट्रा इनपुट- भाषा से)

EXPERT SAYS INDIA CONDUCTED ASAT VERY WELL
As NASA expressd its displeasure on India conducting the A-SAT test which has created about 400 pieces of Orbital debris and endangered the International Space Station
Etv Bharat spoke to author and expert on space and nuclear affairs, Rajeshwari Pillai Rajgopalan.
Rajagopalan said that it was a welcome move for India to conduct these tests, " I think that the scientists the politicians would all agree that India need to conduct this test to deal with the possible dangers India may face in international space". She further said that she disagrees with NASA as she says " India has conducted this test in a very responsible manner by conducting the test at an altitude of 300 kilometres which would not create a lot of space debris whereas China conducted it at an altitude of 850 kilometres which left around 3000 space debris so India has acted with responsibility and moreover we had a proper press conference to tell it to the world and we did not hide It Like China."

Reflecting on the time when China conducted the test she reminded, "for the first few weeks, China did not even own up to the fact that they conducted the test and later when the magazines revealed they had to admitted to the fact that the tests were conducted. Now compare that with India's situation. The altitude at which India has conducted the test, there would be maximum around 250- 275 debris which will burn out and theere would not be a lot of mess in the space so I think India has conducted the test very well".
Last Updated : Apr 2, 2019, 11:37 PM IST
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