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कृषि अध्यादेश पर नरेश गुजराल को याद आए वाजपेयी, कहा- दबाई गई आवाज - कृषि विधेयकों का संसद

संसद के दोनों सदनों से कृषि विधेयक पारित हो चुका है. कई दलों ने इसका विरोध किया है. विधेयक का विरोध करने वालों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल भी शामिल है. विरोध के कारणों को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता अर्शदीप कौर ने राज्य सभा सांसद और शिरोमणि अकाली दल के मुख्य सचेतक नरेश गुजराल से बातचीत की.

ईटीवी भारत से बात करते नरेश गुजराल
ईटीवी भारत से बात करते नरेश गुजराल
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Published : Sep 21, 2020, 3:11 PM IST

Updated : Sep 21, 2020, 4:57 PM IST

नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल के राज्य सभा सांसद नरेश गुजराल ने कहा है कि कृषि विधेयकों का संसद से पारित होना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद, अकाली दल को बिल पर बहस करने के लिए केवल 2 मिनट दिए गए.

उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन की शुरुआत भारतीय राजनीति के दो दिग्गजों ने की थी. 90 के दशक में राज्य में बढ़ते उग्रवाद के बाद अटल बिहारी वाजपेयी और प्रकाश सिंह बादल ने हाथ मिलाया था.

इस गठबंधन ने राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने में मदद की. पंजाब के इस गठबंधन को तोड़ने को बारे में पूछे जाने पर गुजराल ने कहा, इस गठबंधन का आधार पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव को बहाल करना था.

ईटीवी भारत से नरेश गुजराल की खास बात.

उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि इंदिरा गांधी के शासन में जो हुआ, उसके बाद हिंदू-सिख समुदाय शांति से रह रहा है. मुझे उम्मीद है कि बीजेपी इस बात को समझेगी.

यह पूछने पर कि पिछले दिनों भाजपा ने पीडीपी, तेदेपा जैसे क्षेत्रीय दलों और शिवसेना के साथ नवीनतम संबंध तोड़ लिए हैं, तो क्या बीजेपी अपने क्षेत्रीय साझेदारों से छुटकारा पाने की कोशिश कर रही है . इस पर गुजराल ने कहा कि हम वाजपेयी को याद कर रहे हैं. हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं, जो एक पुल था.

पूर्ण बहुमत पाने और गठबंधन सहयोगियों की परवाह नहीं करने के बाद यह रवैया उन्हें महंगा पड़ेगा. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भारी बहुमत के बाद हार गए. यह गठबंधन सरकार चलाने का तरीका नहीं है.

शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर, गुजराल ने कहा कि पार्टी कोर कमेटी की बैठक में फैसला करेगी, लेकिन जो भी फैसला होगा, पंजाब के लोगों से सलाह लेकर उनके लाभ के लिए लिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के बेटे हैं और उन्होंने एक कपडा कंपनी SPAN की शुरुआत की है. उनके ब्रांड के कपड़े एक बार राजकुमारी डायना ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर पहने थे.

नरेश गुजराल ने राज्य सभा में विधेयक को पारित कराने के दौरा हुए अप्रत्याशित विरोध को लेकर कहा सदन में जो कुछ भी हुआ वह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और विपक्ष की आवाज दबा दी गई है.

ऊपरी सदन में अराजकता के बावजूद विधेयक पारित हो गया. इस पर गुजराल ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से यह संदेश गया है कि सरकार किसान विरोधी है. सरकार कह रही है कि बिल से किसानों को फायदा होगा लेकिन तथाकथित लाभार्थी कह रहे हैं कि यह मेरे हित के खिलाफ है.

गुजराल ने कहा कि संसद में या तो विश्वास की कमी है या संवाद ठीक से नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत से मुद्दों को हल किया जा सकता है. संसद की स्थायी समिति दोनों पक्षों को सुनकर मुद्दों को हल कर सकती है. जरूरत पड़ने पर बदलाव भी किए जा सकते हैं.

गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में किसान विधेयकों के पारित होने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर गुजराल ने कहा कि आग अन्य राज्यों में भी फैल जाएगी. यह देश के हित में नहीं होगा, खासकर तब जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा हो.

पढ़ें - राज्य सभा से निलंबन के विरोध में विपक्षी सांसदों का संसद के बाहर धरना

शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रपति से बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने और इसे वापस संसद में भेजने का आग्रह भी किया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजराल ने कहा कि यह इसका प्रतीकात्मक विरोध है. उन्होंने कहा कि बहुमत से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन किसानों के लिए यह संदेश है कि शिरोमणि अकाली दल अपने अधिकारों के लिए खड़ा है.

बता दें कि संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन 20 सितंबर को राज्य सभा में दो विधेयक पारित किए गए. प्रधानमंत्री मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताया है.

संसद से पारित विधेयक

  • कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  • कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

विधेयकों को लेकर विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया था. हालांकि, हंगामे के बीच राज्य सभा ने दो प्रमुख कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. विधेयक पारित करने के लिए वोटिंग की प्रक्रिया के दौरान विपक्षी सदस्यों ने खूब हंगामा किया था. आक्रोशित सांसदों ने उपसभापति के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया.

नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल के राज्य सभा सांसद नरेश गुजराल ने कहा है कि कृषि विधेयकों का संसद से पारित होना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद, अकाली दल को बिल पर बहस करने के लिए केवल 2 मिनट दिए गए.

उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन की शुरुआत भारतीय राजनीति के दो दिग्गजों ने की थी. 90 के दशक में राज्य में बढ़ते उग्रवाद के बाद अटल बिहारी वाजपेयी और प्रकाश सिंह बादल ने हाथ मिलाया था.

इस गठबंधन ने राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने में मदद की. पंजाब के इस गठबंधन को तोड़ने को बारे में पूछे जाने पर गुजराल ने कहा, इस गठबंधन का आधार पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव को बहाल करना था.

ईटीवी भारत से नरेश गुजराल की खास बात.

उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि इंदिरा गांधी के शासन में जो हुआ, उसके बाद हिंदू-सिख समुदाय शांति से रह रहा है. मुझे उम्मीद है कि बीजेपी इस बात को समझेगी.

यह पूछने पर कि पिछले दिनों भाजपा ने पीडीपी, तेदेपा जैसे क्षेत्रीय दलों और शिवसेना के साथ नवीनतम संबंध तोड़ लिए हैं, तो क्या बीजेपी अपने क्षेत्रीय साझेदारों से छुटकारा पाने की कोशिश कर रही है . इस पर गुजराल ने कहा कि हम वाजपेयी को याद कर रहे हैं. हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं, जो एक पुल था.

पूर्ण बहुमत पाने और गठबंधन सहयोगियों की परवाह नहीं करने के बाद यह रवैया उन्हें महंगा पड़ेगा. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भारी बहुमत के बाद हार गए. यह गठबंधन सरकार चलाने का तरीका नहीं है.

शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर, गुजराल ने कहा कि पार्टी कोर कमेटी की बैठक में फैसला करेगी, लेकिन जो भी फैसला होगा, पंजाब के लोगों से सलाह लेकर उनके लाभ के लिए लिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के बेटे हैं और उन्होंने एक कपडा कंपनी SPAN की शुरुआत की है. उनके ब्रांड के कपड़े एक बार राजकुमारी डायना ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर पहने थे.

नरेश गुजराल ने राज्य सभा में विधेयक को पारित कराने के दौरा हुए अप्रत्याशित विरोध को लेकर कहा सदन में जो कुछ भी हुआ वह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और विपक्ष की आवाज दबा दी गई है.

ऊपरी सदन में अराजकता के बावजूद विधेयक पारित हो गया. इस पर गुजराल ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से यह संदेश गया है कि सरकार किसान विरोधी है. सरकार कह रही है कि बिल से किसानों को फायदा होगा लेकिन तथाकथित लाभार्थी कह रहे हैं कि यह मेरे हित के खिलाफ है.

गुजराल ने कहा कि संसद में या तो विश्वास की कमी है या संवाद ठीक से नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत से मुद्दों को हल किया जा सकता है. संसद की स्थायी समिति दोनों पक्षों को सुनकर मुद्दों को हल कर सकती है. जरूरत पड़ने पर बदलाव भी किए जा सकते हैं.

गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में किसान विधेयकों के पारित होने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर गुजराल ने कहा कि आग अन्य राज्यों में भी फैल जाएगी. यह देश के हित में नहीं होगा, खासकर तब जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा हो.

पढ़ें - राज्य सभा से निलंबन के विरोध में विपक्षी सांसदों का संसद के बाहर धरना

शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रपति से बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने और इसे वापस संसद में भेजने का आग्रह भी किया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजराल ने कहा कि यह इसका प्रतीकात्मक विरोध है. उन्होंने कहा कि बहुमत से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन किसानों के लिए यह संदेश है कि शिरोमणि अकाली दल अपने अधिकारों के लिए खड़ा है.

बता दें कि संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन 20 सितंबर को राज्य सभा में दो विधेयक पारित किए गए. प्रधानमंत्री मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताया है.

संसद से पारित विधेयक

  • कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  • कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

विधेयकों को लेकर विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया था. हालांकि, हंगामे के बीच राज्य सभा ने दो प्रमुख कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. विधेयक पारित करने के लिए वोटिंग की प्रक्रिया के दौरान विपक्षी सदस्यों ने खूब हंगामा किया था. आक्रोशित सांसदों ने उपसभापति के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया.

Last Updated : Sep 21, 2020, 4:57 PM IST
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