नई दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से टॉप 10 आतंकियों की एक सूची मीडिया की सुर्खियों बटोर रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसे सुरक्षा एजेंसियों ने जारी किया है. हालांकि अब तक किसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की है. किसी को पता नहीं है कि ये सूची किस तरह से सामने आई है. क्योंकि किसी भारतीय एजेंसी ने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, लिहाजा यह कृत्य पाकिस्तान का ही माना जा रहा है.
सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि पाक जानबूझकर इन आतंकियों के नामों को प्रसारित कर रहा है, ताकि उसके बारे में लोग जान सकें. दरअसल, कश्मीर में मुख्य रूप से तीनों प्रमुख एजेंसियों सेना, केंद्रीय सुरक्षा बल और राज्य पुलिस ने आधिकारिक तौर पर सूची को लेकर कुछ नहीं कहा है.
इस सूची में हिजबुल मुजाहिदीन के पांच, जैश-ए-मोहम्मद के तीन और लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों के नाम शामिल हैं.
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक व्यक्ति ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर किसी भी भारतीय एजेंसी ने इसे जारी नहीं किया है, तो जाहिर है यह पाकिस्तान का ही कृत्य है. इसे निश्चित तौर पर आईएसआई ने प्लांट किया है.
उन्होंने बताया कि उसकी मंशा है कि आतंकियों के नाम उजागर कर उसका महिमामंडन किया जाए. क्योंकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति साफ है, कि वे उन आतंकियों के नाम सार्वजनिक नहीं करती हैं, जो कार्रवाई के दौरान मारे जाते हैं.
एजेंसियां मानती हैं कि जो भी आतंकी सक्रिय हैं या मारे गए, उनका नाम जाहिर करने पर कई लोग उसकी प्रशंसा करने लगते हैं. इसके प्रभाव में आकर कुछेक युवा बंदूक का रास्ता अपना सकते हैं. नौ जुलाई 2016 में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद इस तरह की घटनाओं में इजाफा हुआ है. उसके जनाजे में भावनाओं को भड़काने वाले भाषण दिए जाते हैं. आतंकी इसका फायदा उठाते हैं.
लेकिन छह मई के बाद से सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नीति बदल दी है. छह मई को बेगपोरा में हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नाइकू मारा गया था.
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इस नई रणनीति पर बोलते हुए सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि हम किसी भी आतंकी के मारे जाने पर उसके नाम को लेकर कुछ भी नहीं बोलेंगे. हम इस तरह से उसे और अधिक फायदा नहीं उठाने देंगे. वे आतंकी हैं.
इसके पहले सुरक्षा बलों ने 3 अप्रैल 2018 को सात और 22 जून 2018 को 21 मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची जारी की गई थी.
(संजीव बरुआ)