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उत्तराखंड : हरिद्वार में मुल्तान ज्योत महोत्सव की धूम, पाकिस्तान से है कनेक्शन

हरिद्वार के गंगा घाटों पर खासकर हरकी पौड़ी पर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला. देश के अलग-अलग स्थानों से आये मुल्तान समाज के लोग हरकी पैड़ी पर आस्था के रंग में रंगे दिखाई दिए. धार्मिक माहौल में गंगा तट पर दूध की होली खेली गई.

दूध की होली खेलते मुल्तान समाज के लोग
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Published : Aug 11, 2019, 5:32 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 4:11 PM IST

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर आज सतरंगी माहौल दिखाई दिया. देश के अलग-अलग स्थानों से आये मुल्तान समाज के लोग हरकी पैड़ी पर आस्था के रंग में रंगे दिखाई दिए. धार्मिक माहौल में गंगा तट पर दूध की होली खेली गई. साथ ही इस अवसर पर मुल्तान समाज के लोगों ने धार्मिक अनुष्ठा भी किया. कार्यक्रम में देश भक्ति का रंग भी लोगों के सर चढ़कर बोला और तिरंगे झंडे के साथ मां गंगा के जयकारों के साथ हरिद्वार की सड़कें गुंजायमान रही.

हरिद्वार के गंगा घाटों पर खासकर हरकी पौड़ी पर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला. देश के अलग-अलग स्थानों से आये मुल्तान समाज के लोग हरकी पैड़ी पर आस्था के रंग में रंगे दिखाई दिए. धार्मिक माहौल में गंगा तट पर दूध की होली खेली गई. हरकी पौड़ी के पवित्र ब्रह्मकुंड में मां गंगा के साथ दूध की होली ने श्रद्धालुओं का भी ध्यान अपनी ओर खींचा. करीब 109 साल पहले सन 1911 में पकिस्तान में रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद ने पैदल आकर हरिद्वार में मां गंगा में जोत प्रवाहित की थी. असल में लाला रूपचंद के दस बच्चे थे लेकिन उनके बच्चे नहीं बच पाये.

देखें वीडियो

एक दिन जब उनकी लड़की को गंभीर चोट लगी तो फिर उन्हें लगा की उनका ये बच्चा भी नहीं बच पायेगा. फिर उन्हें किसी ने कहा की अगर वे हरिद्वार पैदल गंगा मां में जाकर जोत जलाएंगे तो गंगा मैया के आशीर्वाद से उनके दुःख दूर होंगे. इस पर लाला रूपचंद मुल्तान से जोत को लेकर हरिद्वार आये थे और उनकी कामना पूरी हुई थी. लाला रूपचंद के द्वारा शुरू की गई यह यात्रा आज भी परंपरिक ढंग से मनाई जाता है. मुल्तान जोत महोत्सव के रूप में मुल्तान समाज के लोग मां गंगा से दूध की होली खेलकर देश और समाज की खुशहाली की कामना करते हैं.

पढ़ें-बौद्ध धर्म से जुड़ी हैं बिहार की 52 बूटी साड़ियां, जानें क्या है खासियत

जोत लेकर आये लोगों का मानना था कि मां गंगा में दूध अर्पित करना और गंगा जी के साथ दूध की होली खेलने का खास महत्व है. वे इसके माध्यम से गंगा की पवित्रता गंगा की निर्मलता देश और दुनिया में सुख शांति का पैगाम दे रहे है और चाहते है कि आपस में मेल-जोल के साथ रहे. पाकिस्तान से शुरू हुई यह यात्रा में आज भले ही देश के अलग-अलग जगहों लोग हरिद्वार आते हैं. लेकिन पहले कि तरह ही आज भी लोग लाला रूपचंद जी को याद करते हुए जोत महोत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. ये यात्रा सौहार्द भाव के लिए भी जानी जाती है.

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर आज सतरंगी माहौल दिखाई दिया. देश के अलग-अलग स्थानों से आये मुल्तान समाज के लोग हरकी पैड़ी पर आस्था के रंग में रंगे दिखाई दिए. धार्मिक माहौल में गंगा तट पर दूध की होली खेली गई. साथ ही इस अवसर पर मुल्तान समाज के लोगों ने धार्मिक अनुष्ठा भी किया. कार्यक्रम में देश भक्ति का रंग भी लोगों के सर चढ़कर बोला और तिरंगे झंडे के साथ मां गंगा के जयकारों के साथ हरिद्वार की सड़कें गुंजायमान रही.

हरिद्वार के गंगा घाटों पर खासकर हरकी पौड़ी पर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला. देश के अलग-अलग स्थानों से आये मुल्तान समाज के लोग हरकी पैड़ी पर आस्था के रंग में रंगे दिखाई दिए. धार्मिक माहौल में गंगा तट पर दूध की होली खेली गई. हरकी पौड़ी के पवित्र ब्रह्मकुंड में मां गंगा के साथ दूध की होली ने श्रद्धालुओं का भी ध्यान अपनी ओर खींचा. करीब 109 साल पहले सन 1911 में पकिस्तान में रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद ने पैदल आकर हरिद्वार में मां गंगा में जोत प्रवाहित की थी. असल में लाला रूपचंद के दस बच्चे थे लेकिन उनके बच्चे नहीं बच पाये.

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एक दिन जब उनकी लड़की को गंभीर चोट लगी तो फिर उन्हें लगा की उनका ये बच्चा भी नहीं बच पायेगा. फिर उन्हें किसी ने कहा की अगर वे हरिद्वार पैदल गंगा मां में जाकर जोत जलाएंगे तो गंगा मैया के आशीर्वाद से उनके दुःख दूर होंगे. इस पर लाला रूपचंद मुल्तान से जोत को लेकर हरिद्वार आये थे और उनकी कामना पूरी हुई थी. लाला रूपचंद के द्वारा शुरू की गई यह यात्रा आज भी परंपरिक ढंग से मनाई जाता है. मुल्तान जोत महोत्सव के रूप में मुल्तान समाज के लोग मां गंगा से दूध की होली खेलकर देश और समाज की खुशहाली की कामना करते हैं.

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जोत लेकर आये लोगों का मानना था कि मां गंगा में दूध अर्पित करना और गंगा जी के साथ दूध की होली खेलने का खास महत्व है. वे इसके माध्यम से गंगा की पवित्रता गंगा की निर्मलता देश और दुनिया में सुख शांति का पैगाम दे रहे है और चाहते है कि आपस में मेल-जोल के साथ रहे. पाकिस्तान से शुरू हुई यह यात्रा में आज भले ही देश के अलग-अलग जगहों लोग हरिद्वार आते हैं. लेकिन पहले कि तरह ही आज भी लोग लाला रूपचंद जी को याद करते हुए जोत महोत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. ये यात्रा सौहार्द भाव के लिए भी जानी जाती है.

Intro:हरिद्वार हर क़ी पौड़ी पर आज सतरंगा माहौल दिखाई दिया इस सतरंगे माहौल मे देश के अलग-अलग स्थानों से आकर मुल्तान समाज के लोगो ने हर क़ी पौड़ी के धार्मिक माहौल को रंगीन कर दिया वंही माँ गंगा के साथ भी जमकर दूध क़ी होली खेली और माँ गंगा की आराधना की मुल्तान समाज द्वारा दूध की होली के कार्यक्रम में इस बार देश भक्ति का रंग भी लोगों के सर चढ़कर बोला और तिरंगे झंडे के साथ मां गंगा के जयकारों के साथ हरिद्वार की सड़के गुंजायमान हो गईBody:हरिद्वार के गंगा घाटों पर खासकर हर क़ी पौड़ी पर कुछ अलग ही रंगीन नजारा देखने को मिला देश के अलग-अलग राज्यों से आये मुल्तान समाज के लोगों ने पवित्र हर क़ी पौड़ी को मुल्तानी रंग में रंग दिया इस रंग के साथ ही उन्होंने हर क़ी पौड़ी के पवित्र ब्रह्मकुंड में माँ गंगा के साथ दूध क़ी होली खेल कर देश के कोने कोने से आये श्रद्धालुओं का भी ध्यान अपनी और आकर्षित कर लिया

आज से करीब 109 साल पहले सन 1911 में पकिस्तान में रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद ने पैदल आकर हरिद्वार में माँ गंगा में जोत प्रवाहित क़ी थी असल में लाला रूपचंद क़ी दस ओलाद थी लेकिन उनकी कोई भी ओलाद बच नहीं पाई एक दिन जब उनकी लड़की को गंभीर चोट लगी तो फिर उन्हे लगा क़ी उनकी यह ओलाद भी बच नहीं पायेगी फिर उन्हे किसी ने कहा क़ी अगर वे हरिद्वार पैदल गंगा माँ में जाकर जोत जलाएंगे तो गंगा मैया के आशीर्वाद से उनके दुःख दूर होंगे इस पर लाला जी मुल्तान से जोत को लेकर हरिद्वार आये थे और उनकी कामना पूरी हुई थी लाला रूपचंद के द्वारा शुरू क़ी गई यह यात्रा आज परम्परा का रूप ले चुकी है मुल्तान जोत महोत्व के रूप में मुल्तान समाज के लोग माँ गंगा से दूध की होली खेलकर देश और समाज की खुशहाली और गंगा माँ की रक्षा और गंगा को पवित्र रखने की कमाना कर रहे है

बाइट--डा महेंद्र नागपाल--अध्यक्ष अखिल भारतीय मुल्तान संगठन

जोत लेकर आये लोगों का मानना था कि माँ गंगा में दूध अर्पित करना और गंगा जी के साथ दूध की होली खेलने का खास महत्व है वे इसके माध्यम से गंगा की पवित्रता गंगा की निर्मलता देश और दुनिया में सुख शांति का पैगाम दे रहे है और चाहते है कि आपस में मेल जोल बड़े और सब मिलकर रहे यह मानते है कि मा गंगा की आराधना और पूजा करने से सभी कामनाये भी पूरी होती है

बाइट--सीमा पांडेय--श्रद्धालु मुल्तान समाज
Conclusion:पाकिस्तान से शुरू हुई यह यात्रा में आज भले ही देश के अलग-अलग जगहों से आकर लोग हरिद्वार में इकठा होते हो लेकिन पहले कि तरह ही आज भी लोग लाला रूप चंद जी को याद करते हुए जोत महोत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाते है लाला रूप चंद क़ी उस पहल को आज परम्परा का रूप देने के लिए यंहा पहुँचते है और लाला रूप चंद ने भाईचारे और आपसी सोहार्द की जो मिशल कायम की थी उसे आज भी बरक़रार रखने का प्रयास किया जाता है
Last Updated : Sep 26, 2019, 4:11 PM IST
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