नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज अपने आवास पर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ बैठक की. नकवी ने बताया कि बैठक में देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने पर जोर दिया गया.
नकवी ने कहा कि बैठक में यह फैसला हुआ कि अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो उसपर समाज के किसी भी वर्ग को जीत का जुनूनी जश्न और हार का हाहाकारी हंगामा नहीं होना चाहिये और इससे हमे बचना होगा.
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस संवाद कार्यक्रम में सहमती बनायी कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह एक स्वर में सभी को स्वीकार होगा और किसी की इस फैसले में हार या जीत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि यह फैसला देश को मजबूत करेगा और लोगों के आपसी सौहार्द को मजबूत करेगा.
बैठक में शामिल हुए इमाम एसोसिएशन के सदस्य मौलाना सादिक ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बैठक में शामिल हुए आरएसएस नेताओं ने भी सभी धर्मगुरु की बात पर सहमति जताई और कहा कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह उन्हें मान्य होगा.
दरगाह किछौछे शरीफ कमेटी के मेंबर बाबर अशरफ ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बैठक में शामिल हुए सभी लोगों ने सुझाव दिया और कहा कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक एवं भड़काऊ पोस्ट्स पर रोक लगाने की जरूरत है.
इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया कि सोशल मीडिया पर किसी भी समाज के व्यक्ति को आपत्तिजनक प्रतिक्रिया देने पर उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और मुस्लिम बहुल इलाकों में पुलिस की गस्त होनी चाहिए ताकि अल्पसंख्यक वर्ग खुद को सुरक्षित महसूस करे
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी कमाल फारुकी ने कहा कि नकवी के अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सभी नेताओं के बीच में यह समझौता हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए वह सभी को मान्य होगा और कोई इसका विरोध नहीं करेगा.
ईटीवी भारत द्वारा जब कमाल फारुकी से यह पूछा गया कि 1 नवंबर को आरएसएस द्वारा बुलाई गई बैठक में भी अयोध्या विवाद को लेकर चर्चा होनी थी, उसमें आप क्यों नहीं शामिल हुए तो उन्होंने कहा कि यह बैठक अल्पसंख्यक मंत्री द्वारा बुलाई गई थी ना की किसी एक धर्म विशेष द्वारा.
हज कमेटी के पूर्व चेयरमैन कैसर शमीम ने बैठक के बाद कहा कि आरएसएस के नेताओं की इस बैठक में आना बेहतर रहा और उन्होंने भी एक आवाज में जो फैसला आएगा उसका स्वागत करने की बात कही है.
शिया धर्मगुरु कल्बे जावाद ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बैठक में यह फैसला हुआ है कि जितने भी इमाम और धर्मगुरु है वह अपने अपने इलाके की मस्जिदों एवं दरगाह व इमामबाड़ा में जाकर आपसी सौहार्द बनाए रखने की अपील करेंगे.
सैयद नसीर उद्दीन चिश्ती ने कहा कि या बैठक सफल रही और सभी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत करने पर सहमति जताई.
बता दें कि अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन मौलाना अब्दुल समी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर, शिया धर्मगुरु मौलाना मोहसिन तक़्वी, मौलाना जलाल हैदर नक्वी कारी अब्दुल रहमान हाशमी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गय्यरूल हसन रिजवी दरगाह अजमेर शरीफ से अमीन पठान, पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, जमीअत उलमा ई हिंद के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी के साथ ही साथ आर एस एस के कृष्ण गोपाल और रामलाल भी इस बैठक में शामिल हुए.