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आम लोगों के लिए आज से खुल गया मुगल गार्डन, जानें क्या होगा खास

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Published : Feb 5, 2020, 9:42 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 6:05 AM IST

राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन अब आम जनता के लिए आज से आठ मार्च तक के लिए खुला रहेगा. इस उद्यान का इस बार मुख्य आकर्षण ग्रेस द मोनाको नामक गुलाब होगा. जानें पूरा विवरण.

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मुगल गार्डन

नई दिल्ली : राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन आम जनता के लिए खुल गया है. गहरे रंग के गुलाबों, सफेद डेजी और ट्यूलिप की लंबी कतारों के साथ अपने वार्षिक 'उद्यानोत्सव' से वसंत का स्वागत करने को तैयार है. राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित यह आकर्षक उद्यान आम जनता के लिए आज, यानी पांच फरवरी से आठ फरवरी तक खुला रहेगा. राष्ट्रपति उद्यान के अधीक्षक पीएन जोशी ने इसकी घोषणा की.

आम लोग गेट नंबर 35 से बगीचे का दीदार करने जा सकते हैं, उद्यान में जाने के लिए कोई भी चार्ज नहीं रखा गया है यानी की मुफ्त. राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित मुगल बगीचे में जाने के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है. ऑनलाइन बुकिंग वाले लोगों के लिए गेट नंबर 35 पर अलग से कतार बनाई जाएगी.

इस बार लगभग 10,000 की संख्या में ट्यूलिप, 138 तरह के गुलाब और 70 तरह के लगभग 5000 मौसमी फूल आगंतुकों का स्वागत करेंगे. अपने दुर्लभ और आकर्षक गुलाबों के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान का इस बार मुख्य आकर्षण ग्रेस द मोनाको नामक गुलाब होगा. पिछले साल मोनाको के प्रिन्स एल्बर्ट द्वितीय ने उद्यान में इस गुलाब को रोपा था.

इस पुष्प प्रदर्शनी में प्रख्यात लोग जैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मदर टेरेसा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी, महारानी एलिजाबेथ और पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर विभिन्न प्रकार के गुलाबों के नाम रखे गए हैं.

प्रसिद्ध हस्तियों के अलावा यहां गुलाबों को क्रिस्चियन डीयोर, अमेरिकन हेरिटेज,फर्स्ट प्राइज,किस ऑफ फायर और डबल डिलाइट जैसे अनोखे नाम दिए गए हैं.

यहां आगंतुकों को कुछ बहुत ही दुर्लभ प्रकार के गुलाब जैसे पतली और लंबी हरी पंखुड़ियों वाला ग्रीन रोज, लगभग काली बनावट वाला ओक्लाहोमा और बोनन्वी और हल्की नीली छटा वाला ब्लू मून और लेडी एक्स देखने को मिलेगा.

यह बगीचा नार्सिसस, डहेलिया, स्पैराक्सिस, रानुन्यूकुलस, ह्यसिंथ और एशियाटिक लिली जैसे विभिन्न प्रकार के बल्बनुमा फूलों से ढंका हुआ है.

चाय के कप के आकार वाले ट्यूलिप मुगल गार्डन की पहचान हैं विशेषकर 'जम्मू पिंक' ट्यूलिप जो अपने चमकीले गुलाबी रंगों के कारण दूर से ही पहचान लिए जाते हैं.

पिछले वर्ष मुगल गार्डन में आगंतुकों की संख्या 5.18 लाख थी और 2003 से हर साल तीन से छह लाख लोग यहां निश्चित रूप से आते हैं.

जोशी ने बताया कि अधिक लोगों के आने से कभी कभी समस्याएं भी होती हैं जैसे कभी-कभी बिना उचित निर्देशों के बच्चे फूल तोड़ने लगते हैं.

उन्होंने बताया कि जहां आवश्यकता होगी वहां सुरक्षा तैनात की जाएगी, बैरिकेड्स लगाए जाएंगे और उद्यान को नुकसान पहुंचाने वालों पर नजर रखी जाएगी. बागीचे को संभालना बहुत मुश्किल काम है. इसको इसके आकार में बनाए रखने के लिए बहुत समय और मेहनत लगती है.

जम्मू-कश्मीर के मुगल उद्यानों और ताजमहल के आसपास के बगीचे के साथ-साथ फारसी और भारतीय लघु चित्रों से प्रेरित, मुगल गार्डन को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. इसमें ब्रिटिश उद्यान कला के कई तत्व देखने को मिलते हैं.

पढ़ें : सैनिकों के खराब कपड़ों की आलोचना करने वाली कैग की रिपोर्ट 'थोड़ी पुरानी' है : थल सेना प्रमुख

बेल्वेदर इस्टेट कोलकाता से लाई गई (दूब) घास से ढंका हुआ लॉन में बहुतायत से मौलसारी, साइप्रस और चाइना ऑरेंज जैसे पेड़ बड़े करीने से लगाए गए हैं.

आगंतुक बगीचे के तीन हिस्सों चतुर्भुज, लंबे और गोल हिस्से के अलावा - आध्यात्मिक उद्यान, हर्बल गार्डन और बोन्साई उद्यान भी देख सकेंगे.

मुगल गार्डन जाने पर, लोग राष्ट्रपति भवन संग्रहालय भी देख सकते हैं. संग्रहाल में बगीचे की अभिलेखीय तस्वीरें और चित्र लगाए गए हैं.

उद्यान पांच फरवरी से आठ मार्च तक सोमवार के अलावा पूरे हफ्ते भर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक खुला रहेगा.

हालांकि, उद्यान विशेष रूप से किसानों, दिव्यांग जनों, रक्षा, अर्ध-सैन्य बलों और दिल्ली पुलिस कर्मियों के लिए खुलेगा.

(पीटीआई- भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन आम जनता के लिए खुल गया है. गहरे रंग के गुलाबों, सफेद डेजी और ट्यूलिप की लंबी कतारों के साथ अपने वार्षिक 'उद्यानोत्सव' से वसंत का स्वागत करने को तैयार है. राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित यह आकर्षक उद्यान आम जनता के लिए आज, यानी पांच फरवरी से आठ फरवरी तक खुला रहेगा. राष्ट्रपति उद्यान के अधीक्षक पीएन जोशी ने इसकी घोषणा की.

आम लोग गेट नंबर 35 से बगीचे का दीदार करने जा सकते हैं, उद्यान में जाने के लिए कोई भी चार्ज नहीं रखा गया है यानी की मुफ्त. राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित मुगल बगीचे में जाने के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है. ऑनलाइन बुकिंग वाले लोगों के लिए गेट नंबर 35 पर अलग से कतार बनाई जाएगी.

इस बार लगभग 10,000 की संख्या में ट्यूलिप, 138 तरह के गुलाब और 70 तरह के लगभग 5000 मौसमी फूल आगंतुकों का स्वागत करेंगे. अपने दुर्लभ और आकर्षक गुलाबों के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान का इस बार मुख्य आकर्षण ग्रेस द मोनाको नामक गुलाब होगा. पिछले साल मोनाको के प्रिन्स एल्बर्ट द्वितीय ने उद्यान में इस गुलाब को रोपा था.

इस पुष्प प्रदर्शनी में प्रख्यात लोग जैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मदर टेरेसा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी, महारानी एलिजाबेथ और पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर विभिन्न प्रकार के गुलाबों के नाम रखे गए हैं.

प्रसिद्ध हस्तियों के अलावा यहां गुलाबों को क्रिस्चियन डीयोर, अमेरिकन हेरिटेज,फर्स्ट प्राइज,किस ऑफ फायर और डबल डिलाइट जैसे अनोखे नाम दिए गए हैं.

यहां आगंतुकों को कुछ बहुत ही दुर्लभ प्रकार के गुलाब जैसे पतली और लंबी हरी पंखुड़ियों वाला ग्रीन रोज, लगभग काली बनावट वाला ओक्लाहोमा और बोनन्वी और हल्की नीली छटा वाला ब्लू मून और लेडी एक्स देखने को मिलेगा.

यह बगीचा नार्सिसस, डहेलिया, स्पैराक्सिस, रानुन्यूकुलस, ह्यसिंथ और एशियाटिक लिली जैसे विभिन्न प्रकार के बल्बनुमा फूलों से ढंका हुआ है.

चाय के कप के आकार वाले ट्यूलिप मुगल गार्डन की पहचान हैं विशेषकर 'जम्मू पिंक' ट्यूलिप जो अपने चमकीले गुलाबी रंगों के कारण दूर से ही पहचान लिए जाते हैं.

पिछले वर्ष मुगल गार्डन में आगंतुकों की संख्या 5.18 लाख थी और 2003 से हर साल तीन से छह लाख लोग यहां निश्चित रूप से आते हैं.

जोशी ने बताया कि अधिक लोगों के आने से कभी कभी समस्याएं भी होती हैं जैसे कभी-कभी बिना उचित निर्देशों के बच्चे फूल तोड़ने लगते हैं.

उन्होंने बताया कि जहां आवश्यकता होगी वहां सुरक्षा तैनात की जाएगी, बैरिकेड्स लगाए जाएंगे और उद्यान को नुकसान पहुंचाने वालों पर नजर रखी जाएगी. बागीचे को संभालना बहुत मुश्किल काम है. इसको इसके आकार में बनाए रखने के लिए बहुत समय और मेहनत लगती है.

जम्मू-कश्मीर के मुगल उद्यानों और ताजमहल के आसपास के बगीचे के साथ-साथ फारसी और भारतीय लघु चित्रों से प्रेरित, मुगल गार्डन को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. इसमें ब्रिटिश उद्यान कला के कई तत्व देखने को मिलते हैं.

पढ़ें : सैनिकों के खराब कपड़ों की आलोचना करने वाली कैग की रिपोर्ट 'थोड़ी पुरानी' है : थल सेना प्रमुख

बेल्वेदर इस्टेट कोलकाता से लाई गई (दूब) घास से ढंका हुआ लॉन में बहुतायत से मौलसारी, साइप्रस और चाइना ऑरेंज जैसे पेड़ बड़े करीने से लगाए गए हैं.

आगंतुक बगीचे के तीन हिस्सों चतुर्भुज, लंबे और गोल हिस्से के अलावा - आध्यात्मिक उद्यान, हर्बल गार्डन और बोन्साई उद्यान भी देख सकेंगे.

मुगल गार्डन जाने पर, लोग राष्ट्रपति भवन संग्रहालय भी देख सकते हैं. संग्रहाल में बगीचे की अभिलेखीय तस्वीरें और चित्र लगाए गए हैं.

उद्यान पांच फरवरी से आठ मार्च तक सोमवार के अलावा पूरे हफ्ते भर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक खुला रहेगा.

हालांकि, उद्यान विशेष रूप से किसानों, दिव्यांग जनों, रक्षा, अर्ध-सैन्य बलों और दिल्ली पुलिस कर्मियों के लिए खुलेगा.

(पीटीआई- भाषा)

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लोगों के लिए पांच फरवरी से खुलेगा मुगल गार्डन

नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन गहरे रंग के गुलाबों, सफेद डेजी और ट्यूलिप की लंबी कतारों के साथ अपने वार्षिक 'उद्यानोत्सव' से वसंत का स्वागत करने को तैयार है.



राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित यह आकर्षक उद्यान आम जनता के लिए पांच फरवरी को खोला जाएगा. राष्ट्रपति उद्यान के अधीक्षक पी. एन. जोशी ने रविवार को घोषणा की.



इस बार लगभग 10,000 की संख्या में ट्यूलिप, 138 तरह के गुलाब और 70 तरह के लगभग 5000 मौसमी फूल आगंतुकों का स्वागत करेंगे.



अपने दुर्लभ और आकर्षक गुलाबों के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान का इस बार मुख्य आकर्षण 'ग्रेस द मोनाको' नामक गुलाब होगा. पिछले साल मोनाको के प्रिन्स एल्बर्ट द्वितीय ने उद्यान में इस गुलाब को रोपा था.



इस पुष्प प्रदर्शनी में प्रख्यात लोग जैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मदर टेरेसा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी, महारानी एलिजाबेथ और पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर विभिन्न प्रकार के गुलाबों के नाम रखे गए हैं.



प्रसिद्ध हस्तियों के अलावा यहां गुलाबों को 'क्रिस्चियन डीयोर', 'अमेरिकन हेरिटेज','फर्स्ट प्राइज','किस ऑफ फायर' और 'डबल डिलाइट' जैसे अनोखे नाम दिए गए हैं.



यहां आगंतुकों को कुछ बहुत ही दुर्लभ प्रकार के गुलाब जैसे पतली और लंबी हरी पंखुड़ियों वाला "ग्रीन रोज", लगभग काली बनावट वाला "ओक्लाहोमा" और "बोनन्वी" और हल्की नीली छटा वाला "ब्लू मून" और "लेडी एक्स" देखने को मिलेगा.



यह बगीचा "नार्सिसस", "डहेलिया", "स्पैराक्सिस", "रानुन्यूकुलस", "ह्यसिंथ" और "एशियाटिक लिली" जैसे विभिन्न प्रकार के बल्बनुमा फूलों से ढंका हुआ है.



चाय के कप के आकार वाले ट्यूलिप मुगल गार्डन की पहचान हैं विशेषकर 'जम्मू पिंक' ट्यूलिप जो अपने चमकीले गुलाबी रंगों के कारण दूर से ही पहचान लिए जाते हैं.



पिछले वर्ष मुगल गार्डन में आगंतुकों की संख्या 5.18 लाख थी और 2003 से हर साल तीन से छह लाख लोग यहां निश्चित रूप से आते हैं.



जोशी ने बताया कि अधिक लोगों के आने से कभी कभी समस्याएं भी होती हैं जैसे कभी-कभी बिना उचित निर्देशों के बच्चे फूल तोड़ने लगते हैं.



उन्होंने बताया कि जहां आवश्यकता होगी वहां सुरक्षा तैनात की जाएगी, बैरिकेड्स लगाए जाएंगे और उद्यान को नुकसान पहुंचाने वालों पर नजर रखी जाएगी. बागीचे को संभालना बहुत मुश्किल काम है. इसको इसके आकार में बनाए रखने के लिए बहुत समय और मेहनत लगती है.



जम्मू-कश्मीर के मुगल उद्यानों और ताजमहल के आसपास के बगीचे के साथ-साथ फारसी और भारतीय लघु चित्रों से प्रेरित, मुगल गार्डन को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. इसमें ब्रिटिश उद्यान कला के कई तत्व देखने को मिलते हैं.

बेल्वेदर इस्टेट कोलकाता से लाई गई 'दूब' घास से ढंका हुआ लॉन में बहुतायत से मौलसारी, साइप्रस और चाइना ऑरेंज जैसे पेड़ बड़े करीने से लगाए गए हैं.

आगंतुक बगीचे के तीन हिस्सों चतुर्भुज, लंबे और गोल हिस्से के अलावा - आध्यात्मिक उद्यान, हर्बल गार्डन और बोन्साई उद्यान भी देख सकेंगे.



मुगल गार्डन जाने पर, लोग राष्ट्रपति भवन संग्रहालय भी देख सकते हैं. संग्रहाल में बगीचे की अभिलेखीय तस्वीरें और चित्र लगाए गए हैं.



उद्यान पांच फरवरी से आठ मार्च तक सोमवार के अलावा पूरे हफ्ते भर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक खुला रहेगा.



हालांकि, उद्यान विशेष रूप से किसानों, दिव्यांग जनों, रक्षा, अर्ध-सैन्य बलों और दिल्ली पुलिस कर्मियों के लिए खुलेगा.

(पीटीआई- भाषा)


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Last Updated : Feb 29, 2020, 6:05 AM IST
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