तिरुवनंतपुरमः केरल की मीनाक्षी ने एमफिल की डिग्री हासिल की है. उन्हें कन्नड़ में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद राष्ट्रपति ने भोज के लिए भी आमंत्रित किया था. वे कोरगा आदिवासी समुदाय में एमफिल की उपाधि हासिल करने वाली पहली युवती हैं. हालांकि, इतनी उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद मीनाक्षी अपनी गुजर बसर के लिए बीड़ी बना रही हैं.
गौरतलब है कि केरल की रहने वाली इस आदिवासी महिला का नाम मीनाक्षी है. मीनाक्षी ने जब अपनी डिग्री हासिल की थी तो उन्हें खुद पर बेहद गर्व था. लेकिन बदकिस्मती के कारण इस अनुसूचित जनजाति की लड़की को पास इतनी योग्यता होने के बाद भी उसे बीड़ी बनाकर पैसे कमाने पड़ रहे हैं.
भले ही मीनाक्षी ऐसे आदिवासी समुदाय से संबंध रखती है, जिसकी आबादी दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. बावजूद इसके मीनाक्षी को किसी सरकारी विभाग में अस्थायी नियुक्ति तक नहीं मिली है.
आपको बता दें कि जब मीनाक्षी ने अपनी ग्रेजुएशन की तो उन्होंने सोचा कि वह अपनी अपनी जनजाति की आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेंगी.
जब उन्होंने कन्नड़ में मास्टर्स हासिल किया तो, उन्हें राष्ट्रपति भोज के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि आज भी उन्हें अपनी आजीविका के लिए बीड़ी का व्यापार करना पड़ रहा है.
बता दें कि, बीड़ी से कमाए हुए पैसे से मीनाक्षी ने 10 वीं कक्षा से सभी शैक्षिक जरूरतों को पूरा किया.
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इसके बाद मीनाक्षी ने सोचा कि जब उसे डिग्री मिलेगी तो उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी और उसके हालातो में सुधार आ जाएगा, और उसे नया जीवन मिल जाएगा.
लेकिन अब मीनाक्षी के पास मात्र सर्टिफिकेट और सरकारी नौकरी पाने का सपना है.
आपको बता दें कि कोरागा समुदाय की कुल आबादी 1500 से भी कम है. आरक्षण का मतलब पिछड़े हुए समाज को मुख्यधारा में लाना है. लेकिन मीनाक्षी के लिए यह किसी काम का नहीं है.
मीनाक्षी का कहना है कि अगर उन्हें सरकारी नौकरी की पेशकश की जाती तो, यह उनकी जनजाती के लोगों को प्रेरित करता.
मीनाक्षी का सपना एक शिक्षक बनने का है, उन्हें रिसर्च करना पसंद है. लेकिन उनके पास बीड़ी बनाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
उन्हें अफसोस है कि वह अपनी आय का एक हिस्सा नौकरी ढूंढने में खर्च कर देती हैं.