पटना : केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का 74 वर्ष की उम्र में गुरुवार को दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन के बाद पैतृक गांव शहरबन्नी में शोक की लहर दौड़ गई है. स्वर्गीय राम विलास की पहली पत्नी राजकुमारी देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. उनके निधन की खबर सुनकर गांव के लोग भी उदास हैं.
संघर्ष भरा रहा पासवान का बचपन
बिहार के खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत कोसी नदी पार शहरबन्नी गांव के एक दलित परिवार में 5 जुलाई, 1946 को राम विलास पासवान का जन्म हुआ. राम विलास पासवान की प्रारंभिक शिक्षा और उनका बचपन काफी संघर्ष भरा रहा. एक गरीब दलित परिवार में जन्म लेकर ऊंची सोच रखने वाले राम विलास पासवान अपने मिलनसार स्वभाव के कारण बहुत जल्द किसी को अपना बना लेते थे.
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1969 में पहली बार बने अलौली से विधायक
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने छात्र राजनीति शुरू की, जिसके बाद वर्ष 1969 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर वह अलौली से विधायक चुने गए. यह पल उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा, जहां से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हाजीपुर से रिकॉर्ड मतों से उनकी जीत को अभी भी लोग याद करते हैं.
राम विलास का भाइयों के साथ था अटूट प्रेम
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, राम विलास पासवान का अपने भाइयों के साथ भी अटूट प्रेम था. यही वजह थी कि राम विलास पासवान जिस भी स्थिति में रहे, उन्होंने अपने भाइयों का साथ नहीं छोड़ा. चाहे पशुपति कुमार पारस हों या रामचंद्र पासवान घर से लेकर सत्ता तक उन्होंने अपने भाइयों को भी प्रमोट किया.
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पहली पत्नी राजकुमारी देवी का रो-रोकर बुरा हाल
राम विलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी अभी भी राम विलास पासवान के पैतृक गांव में ही रहती हैं. राम विलास के दूसरी शादी करने के बाद पति से रिश्तों में आई खटास के बाद उन्होंने ने पैतृक आवास पर ही रहने का निर्णय लिया था. राजकुमारी देवी को जब अचानक यह सूचना मिली कि उनके पति अब नहीं रहे तो उनके सब्र का बांध टूट गया और वह फूट-फूटकर रोने लगीं.
चाहे बिहार की राजनीति हो या केंद्र की राजनीति, सभी चीजों के व्यस्तता के बावजूद राम विलास पासवान का खगड़िया के प्रति लगाव हमेशा बना रहा. जब भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने खगड़िया के लिए बेहतर करने का सोचा.
खगड़िया में हुए विकास के कई कार्य
रेल मंत्री रहते उन्होंने मुंगेर-खगड़िया रेल-सह-सड़क पुल का कार्य शुरू करवाने में महती भूमिका निभाई. वहीं, खगड़िया से समस्तीपुर रेल परियोजना का काम पूर्ण हो चुका है. साथ ही खगड़िया से कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना का कार्य अभी भी लंबित है. जब वह संचार मंत्री बने तो भी उन्होंने खगड़िया के लिए व्यापक योजना पर काम शुरू करवाया था.
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यह बात अलग है कि अपनी वयस्तताओं के कारण वह अपने पैतृक गांव कम ही आते थे. लेकिन उनके गांव और खगड़िया से दिल्ली जाकर उनसे मिलने वाले या मदद मांगने वाले लोग कभी भी निराश होकर भी नहीं लौटते थे.
निधन की खबर सुनकर खगड़िया के लोग गमगीन
राम विलास पासवान की मौत की खबर को सुनकर न सिर्फ उनके पैतृक गांव शहरबन्नी में मातम पसर गया है, बल्कि संपूर्ण खगड़िया जिले के लोग काफी आहत हैं, क्योंकि राम विलास पासवान और खगड़िया दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द बन गए थे.
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राम विलास पासवान के निधन पर उनका पैतृक गांव और खगड़िया का कण-कण आज उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है. उन्हें नमन कर रहा है और उनके जरिए किए गए कार्यों को याद कर रहा है.