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अंधविश्वास के चलते दो साल की मासूम को मां ने गर्म सलाखों से जलाया

रतलाम में अंधविश्वास के चलते दो साल की बीमार बच्ची को उसकी मां ने गर्म तारों से जला दिया. मासूम की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद बच्ची की हालत में सुधार आया है. जानें क्या है पूरा मामला...

अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम बच्ची
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Published : Oct 7, 2019, 6:49 PM IST

रतलाम : आदिवासी अंचलों में आज भी ईलाज के नाम पर अंधविश्वास का खेल जारी है. रतलाम जिले के रावटी थाने के हरथल गांव में गर्म तारों से एक मासूम को दागने का मामला सामने आया है. यहां दो साल की मासूम को उसकी मां ने गर्म तारों से जला डाला.

बताया जा रहा है कि बच्ची दो दिनों से बुखार से पीड़ित थी, इसी दौरान उसे झटके भी आने लगे. ये देख उसकी मां ने बच्ची को गर्म तारों से जला दिया.

अंधविश्वास के इस इलाज के बाद जब बच्ची की तबीयत और बिगड़ने लगी, तो परिजन उसे रतलाम के बाल चिकित्सालय लेकर पहुंचे. यहां इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है. बाल चिकित्सालय के डॉक्टर्स ने बच्ची का इलाज किया.

ये भी पढ़ें: असम में मॉब लिंचिंगः डकैती के आरोप में शख्स की पीट-पीट कर हत्या

इसके बाद मासूम की हालत में सुधार हुआ है. बच्ची के शरीर पर सात जगह तारों से दागने के निशान हैं, लेकिन कार्रवाई के डर से परिजन रात में ही मासूम को लेकर अस्पताल से घर लेकर चले गए.

बता दें, देशी भाषा में इसे डाम लगाना कहते हैं. ये अंधविश्वास आमतौर पर आदिवासी अंचलों में देखा जाता है. यहां इलाज के नाम पर छोटे बच्चों को इसी तरह गर्म वस्तुओं से दागा जाता है.

गौरतलब है, हर साल दर्जनों ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में देखने को मिलते हैं, लेकिन अंधविश्वास की प्रथा का इलाज स्वास्थ्य महकमे के पास अब तक नहीं है.

रतलाम : आदिवासी अंचलों में आज भी ईलाज के नाम पर अंधविश्वास का खेल जारी है. रतलाम जिले के रावटी थाने के हरथल गांव में गर्म तारों से एक मासूम को दागने का मामला सामने आया है. यहां दो साल की मासूम को उसकी मां ने गर्म तारों से जला डाला.

बताया जा रहा है कि बच्ची दो दिनों से बुखार से पीड़ित थी, इसी दौरान उसे झटके भी आने लगे. ये देख उसकी मां ने बच्ची को गर्म तारों से जला दिया.

अंधविश्वास के इस इलाज के बाद जब बच्ची की तबीयत और बिगड़ने लगी, तो परिजन उसे रतलाम के बाल चिकित्सालय लेकर पहुंचे. यहां इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है. बाल चिकित्सालय के डॉक्टर्स ने बच्ची का इलाज किया.

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इसके बाद मासूम की हालत में सुधार हुआ है. बच्ची के शरीर पर सात जगह तारों से दागने के निशान हैं, लेकिन कार्रवाई के डर से परिजन रात में ही मासूम को लेकर अस्पताल से घर लेकर चले गए.

बता दें, देशी भाषा में इसे डाम लगाना कहते हैं. ये अंधविश्वास आमतौर पर आदिवासी अंचलों में देखा जाता है. यहां इलाज के नाम पर छोटे बच्चों को इसी तरह गर्म वस्तुओं से दागा जाता है.

गौरतलब है, हर साल दर्जनों ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में देखने को मिलते हैं, लेकिन अंधविश्वास की प्रथा का इलाज स्वास्थ्य महकमे के पास अब तक नहीं है.

Intro:***नोट _अनुकूल स्थिति नहीं होने की वजह से इस पैकेज में वॉइस ओवर नहीं किया है कृपया खबर प्रकाशित करने का कष्ट करें.***

आदिवासी अंचलो में आज भी ईलाज के नाम पर अंधविश्वास का खेल जारी है | यहां गर्म तारो से एक मासूम को दागने का मामला सामने आया है | मामला रावटी थाने के हरथल गांव का है जहां 2 साल की एक मासूम को उसकी माँ ने ही उसे गर्म तारो से दाग दिया | दरअसल यह बच्ची दो दिनों से बुखार से पीड़ित थी इसी दौरान उसे झटके भी आने लगे थे | यह देख उसकी माँ ने ही उसे गर्म तारो से डाम लगा दिए | अंधविश्वास के इस ईलाज बाद जब बच्चे की तबियत बिगड़ी तो परिजन उसे रतलाम के बाल चिकित्सालय लाए | जहां इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है | वही बालचिकित्सालय के डॉक्टर्स ने बच्ची का ईलाज किया जिससे मासूम की हालत में सुधार हुआ था | बच्ची के शरीर पर 7 जगहों पर तारो से दागने के निशान है | लेकिन कार्रवाई से डर से परिजन रात में ही मासूम को लेकर बाल चिकित्सालय से रवाना हो गए |
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दरअसल देशी भाषा में इसे डाम लगाना कहते है | यह अंधविश्वास आमतौर पर आदिवासी अंचलो में देखा जाता है | जहां ईलाज के नाम पर छोटे बच्चो को इसी तरह गर्म वस्तुओ से दागा जाता है | हर साल दर्जनों ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में देखने को मिलते है लेकिन अंधविश्वास की प्रथा का ईलाज स्वास्थ महकमे के पास अब तक नहीं है |मामला रावटी थाने के हरथल गांव का है जहां 2 साल की एक मासूम को उसकी माँ ने ही उसे गर्म तारो से दाग दिया | दरअसल यह बच्ची दो दिनों से बुखार से पीड़ित थी इसी दौरान उसे झटके भी आने लगे थे | यह देख उसकी माँ ने ही उसे गर्म तारो से डाम लगा दिए | अंधविश्वास के इस ईलाज बाद जब बच्चे की तबियत बिगड़ी तो परिजन उसे रतलाम के बाल चिकित्सालय लाए | जहां इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है |


Conclusion:फिलहाल पीड़ित बच्ची के माता-पिता उसे बाल चिकित्सालय से बिना बताए लेकर चले गए हैं. वहीं डॉक्टरों के अनुसार बच्ची की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

बाईट --०१--डॉ. ए. पी. सिंह ( चिकित्सक, बाल चिकित्सालय )
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