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बिहार : 1100 से अधिक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव के तीन चरणों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कुल 1157 उम्मीदवार मैदान में उतरे. यह पहला मौका है जब आयोग ने उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया हो.

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Published : Nov 8, 2020, 6:43 PM IST

डिजाइन फोटो
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नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के 1100 से अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. यह जानकारी चुनाव आयोग ने दी है. आयोग की तरफ से शनिवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371 महिलाएं थीं.

आयोग के मुताबिक कुल 1157 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे.

इस वर्ष फरवरी में उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों से कहा था कि वे बताएं कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में क्यों उतारा.

बिहार में विधानसभा चुनाव पहला पूर्ण चुनाव है, जिसमें दलों ने अपने उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया है.

चुनाव आयोग ने सितम्बर ने नियम बनाया था कि उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान जानकारी देना अनिवार्य है.

आयोग ने अक्टूबर 2018 में निर्देश जारी कर अनिवार्य किया था कि उम्मीदवार और दल चुनाव प्रचार के दौरान टीवी और अखबारों में कम से कम तीन बार प्रचार कर आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी दें.

अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पहले चार दिनों के अंदर आपराधिक रिकॉर्ड का पहली बार 'प्रचार' किया जाना चाहिए.

इसने कहा कि दूसरी बार प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए.

पढ़ें - बिहार विधानसभा चुनाव : देर से आएंगे नतीजे !

तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच होना चाहिए.

आयोग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, इससे मतदाताओं के पास सही जानकारी रहेगी और वे वोट डालने में अपने विकल्प का चुनाव सही तरीके से कर सकेंगे.

नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के 1100 से अधिक उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. यह जानकारी चुनाव आयोग ने दी है. आयोग की तरफ से शनिवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 371 महिलाएं थीं.

आयोग के मुताबिक कुल 1157 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे.

इस वर्ष फरवरी में उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों से कहा था कि वे बताएं कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में क्यों उतारा.

बिहार में विधानसभा चुनाव पहला पूर्ण चुनाव है, जिसमें दलों ने अपने उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया है.

चुनाव आयोग ने सितम्बर ने नियम बनाया था कि उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान जानकारी देना अनिवार्य है.

आयोग ने अक्टूबर 2018 में निर्देश जारी कर अनिवार्य किया था कि उम्मीदवार और दल चुनाव प्रचार के दौरान टीवी और अखबारों में कम से कम तीन बार प्रचार कर आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी दें.

अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पहले चार दिनों के अंदर आपराधिक रिकॉर्ड का पहली बार 'प्रचार' किया जाना चाहिए.

इसने कहा कि दूसरी बार प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए.

पढ़ें - बिहार विधानसभा चुनाव : देर से आएंगे नतीजे !

तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच होना चाहिए.

आयोग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, इससे मतदाताओं के पास सही जानकारी रहेगी और वे वोट डालने में अपने विकल्प का चुनाव सही तरीके से कर सकेंगे.

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