नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है और यह उम्मीद की जा रही है कि अगस्त के आखिरी हफ्ते या सितंबर की शुरुआती हफ्ते में मानसून सत्र की शुरुआत हो सकती है. इस बार का मानसून सत्र अपने आप में ऐतिहासिक होगा और बिल्कुल नए रूप में लोगों को देखने को मिलेगा. पहली बार पत्रकार और पूर्व सांसद सेंट्रल हॉल में नहीं जा पाएंगे उनके सेंट्रल हॉल में जाने पर पाबंदी लगाई गई है.
साथ ही सभी सांसदों के निजी स्टाफ को भी संसद में प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है, इसके अलावा एक प्रस्ताव के मुताबिक 4-4 घंटे के भी सत्र हो सकते हैं. जिनमें 4 घंटे राज्यसभा और 4 घंटे लोकसभा के सत्र बुलाए जा सकते हैं और सत्र खत्म होते ही उस सत्र के सांसदों को तुरंत संसद भवन को छोड़ देना होगा. यानी कि संसद भवन में जमावड़ा नहीं होगा. इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा. कई चीजें पहली बार संसद में दिखाई पड़ेगी, जिसमें पहली बार राज्यसभा के कुछ सांसद लोकसभा की सीटों पर बैठे नजर आएंगे. सीटों की ऐसी व्यवस्था की जा रही है ताकि सदस्यों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे. सदस्यों को कोविड-19 से बचाए रखने के लिए अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन की मशीन भी संसद में लगाई जा रही है.
जल्द तारीख होगी तय
कोरोना वायरस संकट के बीच मानसून सत्र सुचारू रूप से संचालित हो सके इसकी तैयारियां राज्यसभा और लोकसभा सचिवालय कर रहा है. हालांकि मानसून सत्र की शुरुआत कब से होगी इस बात की तिथि की घोषणा सरकार ने अभी तक नहीं की है. मगर उम्मीद की जा रही है कि एक हफ्ते के अंदर अगले सत्र के तारीख की घोषणा कैबिनेट की बैठक में तय कर ली जाएगी. कुछ दिन पहले ही लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने सारी तैयारियों को लेकर बैठक की थी और बैठक में संसद सचिवालय के तमाम अधिकारियों को अगस्त के तीसरे सप्ताह तक मानसून सत्र की तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए थे.
विजिटर्स पर पाबंदी
कोरोना के संकट काल में संसद के सत्र में किसी तरह की बाधाएं उत्पन्न ना हो और सदस्यों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं. पिछले 2 हफ्ते से इस तैयारियों में जुटे संसद के तमाम अधिकारी और कर्मचारी 10-10,12-12 घंटे काम कर रहे हैं. सत्र के दौरान पूरे संसद सत्र में विजिटर्स के आने पर पाबंदी लगाई जाएगी. परमानेंट पास वाले पत्रकारों को ही अनुमति दी जाएगी और उन्हें भी सचिवालय की तरफ से सीमित संख्या में और रोटेशन के माध्यम से अनुमति प्रदान की जाएगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस सत्र में प्रश्नकाल और जीरो आवर भी नहीं होने की संभावना है.
सोशल डिस्टेंसिंग के इंतजाम
सदन के चेंबर ऑफिशियल गैलरी को अलग करने के लिए पॉलीकार्बोनेट शीट लगाई जा रही है, ताकि सदस्यों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे और यही वजह है कि दोनों सदनों के चेंबर और गैलरी दोनों का इस्तेमाल सदस्यों के लिए किया जाएगा. राज्यसभा चेंबर में चार बड़ी स्क्रीन और इसके साथ ही राज्य सभा गैलरी में एक बड़ी और चार छोटी स्क्रीन लगाई जा रही है. गैलरी में ऑडियो सिस्टम भी लगाया जा रहा है और सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अल्ट्रावॉयलेट कीटाणु नाशक रेडिएशन का प्रयोग भी किया जा रहा है.
दोनों सदनों के ऑडियो विजुअल सिग्नल के प्रसारण के लिए विशेष केबल लगाए जाने का काम संसद में किया जा रहा है. राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बैठक में पिछले दिनों जो निर्णय लिया गया उसी के अनुरूप संसदीय सचिवालय सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके तहत राज्यसभा के 60 सदस्यों को राज्यसभा के चेंबर में और 51 सदस्यों को राज्यसभा गैलरी में बैठाया जाएगा, जबकि बाकी के 132 सदस्यों को लोकसभा के चेंबर में बैठाया जाएगा.
4 घंटे लोकसभा और फिर 4 घंटे राज्यसभा
सेंट्रल हॉल में भी लोकसभा की कार्यवाही पूरी की जाएगी. प्रस्ताव यह भी है कि पहले 4 घंटे लोकसभा और फिर 4 घंटे राज्यसभा की कार्यवाही पूरी की जाए. ऐसे में संसद भवन में भीड़ जमा नहीं हो पाएगी. लोकसभा राज्यसभा और केंद्रीय कक्ष तीनों का इस्तेमाल सदस्यों के लिए किया जाएगा. खास तौर पर पत्रकारों के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी हालांकि यह तमाम बातें संसद के सूत्रों के माध्यम से ही बताई जा रहे हैं जिसे अभी अधिकारिक किया जाना बाकी है.
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