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मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने 'ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स' के संस्थापक, सह-अध्यक्ष और सह मुख्य निवेश अधिकारी रे डेलियो के साथ चर्चा की. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया. 'कुछ (देशों) ने संयुक्त राष्ट्र को एक संस्था के बजाय एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया. पढ़ें पूरी खबर

प्रधानमंत्री मोदी
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Published : Oct 30, 2019, 12:14 AM IST

रियाद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर खेद प्रकट किया कि कुछ देश संयुक्त राष्ट्र को विवाद सुलझाने की 'संस्था' के रूप में इस्तेमाल करने की बजाय एक 'औजार' की तरह इसका उपयोग कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने 'ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स' के संस्थापक, सह-अध्यक्ष और सह मुख्य निवेश अधिकारी रे डेलियो के साथ चर्चा के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र का विवाद सुलझाने की संस्था के रूप में उस तरह विकास नहीं हुआ है जैसा कि होना चाहिये था. सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र की संचरना में सुधार के बारे में सोचना चाहिये.

बहुचर्चित 'फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव' (एफआईआई) में मुख्य संबोधन देने वाले मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप परितंत्र है. उन्होंने भारतीय स्टार्टअप में निवेश के लिए उपक्रम कोष की मांग की.

मोदी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र केवल एक संस्था नहीं होना चाहिए, बल्कि सकारात्मक बदलाव के लिए एक साधन भी होना चाहिए.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें यह सोचना होगा कि संघर्षों के समाधान की जब बात आती है तो क्या संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भूमिका सही परिप्रेक्ष्य में अदा की. मैंने संयुक्त राष्ट्र के 70 साल पूरे होने पर यह मुद्दा उठाया था लेकिन इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो सकी.

मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र के 75 साल पूरे होने पर ज्यादा सक्रियता से चर्चा होगी.'

पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक संस्था के रूप में विकसित नहीं हो सका. प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार सुधार होना चाहिये. साथ ही संयुक्त

राष्ट्र को विपत्तियों और प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता मुहैया कराने तक ही खुद को सीमित नहीं करना चाहिये.

मोदी ने कहा, 'कुछ (देशों) ने संयुक्त राष्ट्र को एक संस्था के बजाय एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया, जबकि कुछ कानून का पालन नहीं करते, कुछ कानून के बोझ तले दबे हैं. दुनिया को कानून का पालन करना होगा.'

रियाद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर खेद प्रकट किया कि कुछ देश संयुक्त राष्ट्र को विवाद सुलझाने की 'संस्था' के रूप में इस्तेमाल करने की बजाय एक 'औजार' की तरह इसका उपयोग कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने 'ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स' के संस्थापक, सह-अध्यक्ष और सह मुख्य निवेश अधिकारी रे डेलियो के साथ चर्चा के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र का विवाद सुलझाने की संस्था के रूप में उस तरह विकास नहीं हुआ है जैसा कि होना चाहिये था. सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र की संचरना में सुधार के बारे में सोचना चाहिये.

बहुचर्चित 'फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव' (एफआईआई) में मुख्य संबोधन देने वाले मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप परितंत्र है. उन्होंने भारतीय स्टार्टअप में निवेश के लिए उपक्रम कोष की मांग की.

मोदी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र केवल एक संस्था नहीं होना चाहिए, बल्कि सकारात्मक बदलाव के लिए एक साधन भी होना चाहिए.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें यह सोचना होगा कि संघर्षों के समाधान की जब बात आती है तो क्या संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भूमिका सही परिप्रेक्ष्य में अदा की. मैंने संयुक्त राष्ट्र के 70 साल पूरे होने पर यह मुद्दा उठाया था लेकिन इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो सकी.

मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र के 75 साल पूरे होने पर ज्यादा सक्रियता से चर्चा होगी.'

पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक संस्था के रूप में विकसित नहीं हो सका. प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार सुधार होना चाहिये. साथ ही संयुक्त

राष्ट्र को विपत्तियों और प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता मुहैया कराने तक ही खुद को सीमित नहीं करना चाहिये.

मोदी ने कहा, 'कुछ (देशों) ने संयुक्त राष्ट्र को एक संस्था के बजाय एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया, जबकि कुछ कानून का पालन नहीं करते, कुछ कानून के बोझ तले दबे हैं. दुनिया को कानून का पालन करना होगा.'

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.RIYADH FGN73
SAUDI-PM-2NDLD UN
PM Modi calls for UN reforms; says it should be an instrument for positive change
By Zishan Haider
(Eds: Updating with more quotes)
         Riyadh, Oct 29 (PTI) Prime Minister Narendra Modi on Tuesday pressed for the United Nations reforms while expressing regret over some "powerful" countries using the global body as a "tool" rather than an "institution" to resolve conflicts.
         During an on-stage discussion with Founder, Co-Chairman and Co-Chief Investment Officer of Bridgewater Associates Ray Dalio, Modi said that the UN as an institution for conflict resolution has not developed as desired and nations should look to reform the UN structure.
         Modi, who delivered a keynote address at the high-profile Future Investment Initiative (FII), dubbed as "Davos in the desert", said that a body like the UN should not merely be an institution but also an instrument for positive change.
         "Some powerful people used the UN as a tool and not as an institution. While Some do not abide by the law, some are trapped under the burden of law. The world has to abide by law," he said, without naming any country.
         "We have to think whether the UN has risen to the occasion when it comes to conflict resolution. I had raised this issue when the UN turned 70 but much discussion could not happen. I hope this topic is discussed more actively when the UN turns 75," Modi said.
         The UN has to reform according to the realities of the 21st century, Modi said, adding that the global body should not limit itself to provide assistance in the event of calamities and natural disasters.
         India has repeatedly called for the UN Security Council reforms to make the world body more inclusive and representative. India is part of the G4 nations comprising Brazil, Germany and Japan which support each other's bids for permanent seats on the United Nations Security Council.
         "Earlier expansionist tendencies determined strength. Today development oriented polity, the quest for innovation is determining what strength is," the Prime Minister said.
         He said that the world is changing at a quick pace and this is evident with water, land, air and space turning battlefields.
         "The times of a bipolar world have gone. We live in a time where every nation is connected and dependent on each other. The need of the hour is to strengthen a multi-polar order. Each and every nation is important today," the Prime Minister added. PTI ZH AKJ
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