हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बार की तरह इस बार भी जवानों के साथ दीपावली मनाई. इस बार उन्होंने जैसलमेर के लोंगेवाला का दौरा किया और देश की सुरक्षा में तैनात जवानों संग दीपावली मनाई. बता दें, जब से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से वह सैनिकों के साथ दीपावली मना रहे हैं.
दीपावली पर पीएम मोदी के दौरे पर डालें एक नजर-
साल 2020 में मोदी ने राजस्थान सीमा पर लोंगेवाला पोस्ट पर जवानों संग मनाई दीपावली.
साल 2019 में नरेंद्र मोदी ने एलओसी पर सैनिकों के साथ दीपावली मनाने के लिए जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले का दौरा किया.
साल 2018 में प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के हर्सिल में सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ दीपावली मनाई.
साल 2017 में पीएम मोदी तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ बांदीपोरा जिले में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का दौरै किया था. उन्होंने गुरेज सेक्टर में 15 कोर के सैनिकों के साथ दीपावली मनाई थी.
साल 2016 में मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों का चयन किया और हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले का दौरा किया. उन्होंने भारत तिब्बत सीमा पुलिस, भारतीय सेना और डोगरा स्काउट्स के जवानों संग यह त्योहार मनाया.
साल 2015 में पीएम मोदी ने इंडो -पाक सीमा का दौरा किया था. बता दें, इस वर्ष 1965 के युद्ध की 50वीं वर्षगांठ थी. जिस वजह से मोदी ने डोगराई वॉर मेमोरियल और सबसे बड़े टैंक युद्ध में से एक असाल उत्तर के साथ बरकी वॉर मेमोरियल का दौरा किया था.
साल 2014 में मोदी ने इंडो -पाक सीमा के पास सियाचिन ग्लेशियर का दौरा कर जवानों संग दीपावली मनाई थी. बता दें, यह पृथ्वी का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है.
लोंगेवाला पोस्ट की कहानी
जब भी सैन्य इतिहास लिखा जाएगा, तो बैटल ऑफ लोंगेवाला का नाम लिया जाएगा. जब पाकिस्तान की सेना बांग्लादेशी (तब पूर्वी पाकिस्तान) लोगों को खत्म कर रही थी. वहां से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान ने हमारी पश्चिमी सीमा पर हमला बोल दिया था, लेकिन उनकी यह चाल उल्टी पड़ गई. देश के वीर जवानों ने दुश्मनों को धूल चटा दी थी.
1971 भारत-पाक युद्ध- लोंगेवाला पोस्ट पश्चिमी सीमा पर एक रणनीतिक पोस्ट है. यहां 1971 के युद्ध की पहली बड़ी लड़ाई लड़ी गई थी, जिसे लोंगेवाला की लड़ाई के रूप में जाना जाता है.
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को सौंपी गई कमान
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान राजस्थान के लोंगेवाला की प्रसिद्ध लड़ाई लड़ी गई. बता दें, इस लड़ाई में सिर्फ 120 जवानों के साथ 23वीं पंजाब रेजिमेंट ने पाकिस्तानी पैटन टैंकों और लगभग 3000 सैनिकों पर आक्रमण किया था. बता दें, मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में 23वीं पंजाब की एक कंपनी को कमान सौंपी गई थी.
दुश्मन सेना को आगे बढ़ने से रोकने को बनाया प्लान
वहीं, दुश्मन देश की तरफ से 51 इन्फैंट्री ब्रिगेड में लगभग 3000 पुरुष और 22 आर्मर्ड रेजिमेंट शामिल थे. पाकिस्तान की सेना ने प्लान बनाया था कि उनकी सेना लोंगेवाला में नाश्ता, जैसलमेर में लंच और जोधपुर में डिनर करेगी. भारत के वीर जवानों ने भी कसम खा ली थी कि किसी भी कीमत पर दुश्मन को आगे नहीं बढ़ने देंगे. मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में सेना के जवान मोर्चा संभाले हुए थे. मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को खबर मिली कि लोंगेवाला पोस्ट पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तानी सैनिक आगे बढ़ रहे हैं. दुशमनों को रोकने के लिए मेजर कुलदीप सिंह की एक टुकड़ी ने सावधानी बरतते हुए दुश्मनों के रास्तों में एंटी-टैंक माइंस बिछा दिए.
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दुम दबाकर भागी पाकिस्तानी सेना
जैसे ही दुश्मन सेना आगे बढ़ी वैसे ही एंटी टैंक माइन से उनका एक टैंक उड़ाया गया. इसके बाद भारतीय सेना की तरफ से जीप पर लगी 106 mm की M40 रिक्वॉरइललेस गन से पाकिस्तान की सेना पर हमला हुआ. भारत की पैदल सेना पाकिस्तान के टैंकों पर भारी पड़ी. सुबह होते ही भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने दुश्मनों पर स्ट्राइक की. पाकिस्तानी फौज में हड़कंप मच गया. पाकिस्तानी सैनिक टैंक और वाहन छोड़कर भाग निकले. इस युद्ध के बारे मे पाकिस्तानी मेजर जनरल फजल मुकीम खान ने अपनी किताब 'पाकिस्तान की क्राइसिस ऑफ लीडरशिप' मे लिखा है कि दयालु भारत के 12 डिवीजन ने 4 दिसंबर को इस्लामगढ़ पर कब्जा करने के अलावा बहुत दूर तक पीछा नहीं किया था. इस पर बॉर्डर नाम से एक फिल्म भी बनाई गई है, जिसमें अभिनेता सनी देयोल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार निभाया है.