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'बालाकोट से पहले करगिल में भी मिराज ने मचाई थी तबाही'

बालाकोट युद्ध से पहले करगिल युद्ध में भी मिराज 2000 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसने युद्ध का रूख मोड़ दिया था. यह जानकारी वायुसेना चीफ बीएस धनोआ ने दी. उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया. जानें पूरी खबर.

एयर फोर्स चीफ बीएस धनोआ.
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Published : Jun 24, 2019, 2:05 PM IST

Updated : Jun 24, 2019, 2:58 PM IST

ग्वालियर: वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने सोमवार को कहा कि करगिल युद्ध के दौरान टारगेटिंग पॉड्स के एकीकरण और मिराज 2000 विमानों के लिए लेजर-निर्देशित बम प्रणाली तैयार करने का काम रिकॉर्ड 12 दिनों में किया गया था.

करगिल युद्ध के 20 साल पूरा होने के अवसर पर ग्वालियर वायुसैनिक अड्डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में धनोआ ने ये बातें कहीं.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'मिराज 2000 में बदलाव की प्रक्रिया जारी थी, जिसे शीघ्र ही कर लिया गया और फिर इस प्रणाली को करगिल युद्ध में लाया गया.'

वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'लाइटनिंग टारगेटिंग पॉड और लेजर गाइडेड बम प्रणाली को रिकॉर्ड 12 दिन के भीतर पूरा कर लिया गया.'

उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया.

धनोआ ने बालाकोट पर कहा, 'पाकिस्तान हमारे हवाईक्षेत्र में दाखिल नहीं हो पाया, हमने उसके आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया जबकि वह हमारे सैन्य अड्डों का निशाना बनाने में नाकाम रहा.'

अरुणाचल प्रदेश में वायुसेना के एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की हालिया घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर धनोआ ने कहा, 'एएन-32 विमान पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरना जारी रखेगा, क्योंकि इस विमान का हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'हमलोग अधिक उन्नत विमान हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिनके मिलते ही एएन-32 को हटाकर उन्नत विमानों को महत्वपूर्ण भूमिका में लगाया जायेगा। एएन-32 विमानों का इस्तेमाल इसके बाद परिवहन और प्रशिक्षण उद्देश्य से किया जायेगा.'

अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में स्थित घने जंगलों में इस महीने एक एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार सभी 13 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई थी.

ग्वालियर: वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने सोमवार को कहा कि करगिल युद्ध के दौरान टारगेटिंग पॉड्स के एकीकरण और मिराज 2000 विमानों के लिए लेजर-निर्देशित बम प्रणाली तैयार करने का काम रिकॉर्ड 12 दिनों में किया गया था.

करगिल युद्ध के 20 साल पूरा होने के अवसर पर ग्वालियर वायुसैनिक अड्डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में धनोआ ने ये बातें कहीं.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'मिराज 2000 में बदलाव की प्रक्रिया जारी थी, जिसे शीघ्र ही कर लिया गया और फिर इस प्रणाली को करगिल युद्ध में लाया गया.'

वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'लाइटनिंग टारगेटिंग पॉड और लेजर गाइडेड बम प्रणाली को रिकॉर्ड 12 दिन के भीतर पूरा कर लिया गया.'

उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया.

धनोआ ने बालाकोट पर कहा, 'पाकिस्तान हमारे हवाईक्षेत्र में दाखिल नहीं हो पाया, हमने उसके आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया जबकि वह हमारे सैन्य अड्डों का निशाना बनाने में नाकाम रहा.'

अरुणाचल प्रदेश में वायुसेना के एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की हालिया घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर धनोआ ने कहा, 'एएन-32 विमान पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरना जारी रखेगा, क्योंकि इस विमान का हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'हमलोग अधिक उन्नत विमान हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिनके मिलते ही एएन-32 को हटाकर उन्नत विमानों को महत्वपूर्ण भूमिका में लगाया जायेगा। एएन-32 विमानों का इस्तेमाल इसके बाद परिवहन और प्रशिक्षण उद्देश्य से किया जायेगा.'

अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में स्थित घने जंगलों में इस महीने एक एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार सभी 13 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई थी.

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बालाकोट युद्ध से पहले करगिल युद्ध में भी मिराज 2000 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसने युद्ध का रूख मोड़ दिया था. यह जानकारी वायुसेना चीफ बीएस धनोआ ने दी. उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया. जानें पूरी खबर. 





बालाकोट से पहले करगिल में भी मिराज ने बदल दिया था युद्ध का रूख



ग्वालियर: वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने सोमवार को कहा कि करगिल युद्ध के दौरान टारगेटिंग पॉड्स के एकीकरण और मिराज 2000 विमानों के लिए लेजर-निर्देशित बम प्रणाली तैयार करने का काम रिकॉर्ड 12 दिनों में किया गया था.



करगिल युद्ध के 20 साल पूरा होने के अवसर पर ग्वालियर वायुसैनिक अड्डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में धनोआ ने ये बातें कहीं.



वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'मिराज 2000 में बदलाव की प्रक्रिया जारी थी, जिसे शीघ्र ही कर लिया गया और फिर इस प्रणाली को करगिल युद्ध में लाया गया.' 



वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'लाइटनिंग टारगेटिंग पॉड और लेजर गाइडेड बम प्रणाली को रिकॉर्ड 12 दिन के भीतर पूरा कर लिया गया.' 



उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया.



धनोआ ने बालाकोट पर कहा, 'पाकिस्तान हमारे हवाईक्षेत्र में दाखिल नहीं हो पाया, हमने उसके आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया जबकि वह हमारे सैन्य अड्डों का निशाना बनाने में नाकाम रहा.'



अरुणाचल प्रदेश में वायुसेना के एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की हालिया घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर धनोआ ने कहा, 'एएन-32 विमान पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरना जारी रखेगा, क्योंकि इस विमान का हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.'



उन्होंने कहा, 'हमलोग अधिक उन्नत विमान हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिनके मिलते ही एएन-32 को हटाकर उन्नत विमानों को महत्वपूर्ण भूमिका में लगाया जायेगा। एएन-32 विमानों का इस्तेमाल इसके बाद परिवहन और प्रशिक्षण उद्देश्य से किया जायेगा.'



अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में स्थित घने जंगलों में इस महीने एक एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार सभी 13 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई थी.


Conclusion:
Last Updated : Jun 24, 2019, 2:58 PM IST
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