सूरजपुर (छत्तीसगढ़) : सरगुजा सांसद और केंद्रीय जनजाति विकास राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने ईटीवी भारत से खास बात की. उन्होंने कोरोना संकट के बीच जनजातियों और आदिवासियों के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं, प्रदेश सरकार की तैयारियों और नीतियों को लेकर विस्तार से चर्चा की. रेणुका सिंह ने कहा कि वह पांच हजार आदिवासी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए पोर्टल लॉन्च करने जा रही हैं. इससे जरिए देश के कोने-कोने में रह रहीं जनजातीय बच्चियों को मोबाइल के जरिए शिक्षा मिलेगी.
रेणुका सिंह ने कहा कि दो दिन पहले मंत्रालय ने देशभर के ट्राइबल, फॉरेस्ट और सोशल वेलफेयर मिनिस्टर्स के साथ चर्चा की गई. मीटिंग में यह तय किया गया कि राज्य सरकारें लघु वनोपजों की खरीदी करें. अगर पैसे की कमी है तो सरकारें मांग पत्र भेजें. इसके अलावा वनधन योजना पूरे देश में शुरू हो गई है. वनधन स्कीम के जरिए 15-15 लाख रुपए दिए जा रहे हैं. 3-3 सौ लोग ग्रुप के माध्यम से जुड़ेंगे. हस्तशिल्प का सामान ट्राइफेड खरीदेगा, एमओयू हो चुका है. ऑनलाइन सामान बिकेगा तो आय के स्त्रोत का सृजन होगा.
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राहत पैकेज से मिलेगी मदद
मंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि उन्होंने देशभर के सीनियर अफसरों, बुद्धिजीवियों से चर्चा की है. जो लोग घर लौट रहे हैं, गांव में आने पर उन्हें रोजगार के लिए कमी न हो. उनकी आय सृजन के लिए बुद्धिजीवियों ने जो सुझाव दिया है, उसे प्रधानमंत्री को भेजा गया है. 20 लाख करोड़ के पैकेज से प्रवासी मजदूरों को मदद मिलेगी.
आदिवासियों और पिछली जनजातियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के सवाल पर केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि चाहे उनके पास आधार कार्ड हो या न हो, उनके लिए राशन, दवाई और उनके बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाए. मंत्री ने कहा कि आदिवासी गांव और जंगलों में रहते हैं, वे वनोजपों का संग्रहण करते हैं, इसलिए उनके समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया गया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आय बढ़ाने के साथ-साथ लघु वनोपज के साथ-साथ खेती से जोड़ा जा रहा है.
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'जिनके जनधन खाते नहीं खुले, उनकी दी जा रही है जानकारी'
जनधन खातों में राशि न आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिनके जनधन खाते नहीं खोले गए हैं, उनके विषय में जानकारी सरकार को दी जाएगी. जिससे उन्हें जनधन योजना का लाभ मिले.
आदिवासियों के सेनिटाइजेशन की व्यवस्था के सवाल पर रेणुका सिंह ने कहा कि घर-घर में मास्क बांटा गया है. मंत्री ने कहा कि लोग गमछा, कपड़े का उपयोग करें. जो विशेष पिछड़ी जनजातियां हैं, उनका ध्यान रखा जाएगा.
आदिवासियों को रोजगार दिया जाएगा
मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी जंगल हैं. आदिवासी बहुल्य जिलों में लोगों का जीवन लघु वनोपज पर आधारित है. संग्राहकों को इनके संग्रहण की छूट दी गई है. सोसाइटियों के माध्यम से इनकी खरीदी हो रही है. मंत्री ने बताया कि जनजातीय मंत्रालय के माध्यम से छत्तीसगढ़ को राशि भेज दी गई है. राशि कम होने पर जानकारी मांगी गई है. आदिवासियों के रोजगार का ध्यान रखा जाएगा.