ETV Bharat / bharat

सुंदरवन के लिए खतरा बना प्लास्टिक, पर्यावरण विनाश की आशंका

अम्फान तूफान के बाद राहत के तौर पर सैकड़ों टन प्लास्टिक कैरी बैग सुंदरवन में जमा हो रहे हैं. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण होगा. केवल प्रदूषण ही नहीं, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के आंतरिक पारिस्थितिकी तंत्र को ध्वस्त कर सकता है. देशभर से लोग इन प्लास्टिक की थैलियों में राशन, कपड़े, दवा के जरिए राहत भेज रहे हैं. इसलिए पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश की एक बड़ी आशंका है. पढ़ें पूरी खबर...

Millions of Plastic Bags after Amphan relief
अम्फान राहत सुंदरवन के लिए खतरा.
author img

By

Published : Jul 15, 2020, 4:27 PM IST

Updated : Jul 15, 2020, 6:34 PM IST

कोलकाता : प्लास्टिक कचरा आज हमारे पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है. प्लास्टिक से लोगों को तात्कालिक सहूलियत तो होती है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान सालों बाद दिखाई देते हैं और इसका परिणाम भयावह हो सकता है. एक ओर सरकार प्लास्टिक बैन करने के लिए तमाम कोशिश कर रही है और जगह-जगह प्लॉस्टिक बैन किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार लोगों को राहत पहुंचाने के लिए भी इन्हीं प्लास्टिक बैग का सहारा ले रही है.

कुछ दिनों पहले बंगाल में 'अम्फान' तूफान आया था. जिसमें जन-धन की काफी हानि हुई थी. लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने दूर दराज फंसे व्यक्तियों को प्लास्टिक की थैलियों में राशन, कपड़े, दवा के जरिए राहत पहुंचाई थी. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीणों तक राहत पहुंचाई गई थी, जिसका असर अब देखने को मिल रहा है. अम्फान राहत के रूप में सैकड़ों टन प्लास्टिक कैरी बैग अब विश्व के सबसे मैंग्रोव डेल्टा सुंदरवन में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे सुंदरवन के पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत नुकसान हो रहा है.

पश्चिम बंगाल में अम्फान तुफान ने जब यहां प्रवेश किया था तो सुंदरवन के लोग हर पल पर्यावरण के इस विकराल रूप से लड़ रहे थे. कई परिवारों को सुरक्षित रखने के लिए स्कूलों में शरण दी गई. कई रातों तक आंधी चली, जिसकी गति 140 से 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई थी. इसके कारण लगभग डेढ़ करोड़ लोग बेघर हो गए थे. वहीं फसलों की क्षति 21 हजार करोड़ से अधिक रही.

सुंदरवन में जमा हो रहा प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए नुकसानदायक.

सरकार की ओर से पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए लाखों प्लास्टिक थैलियों का सहारा लिया गया. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है. यह पूरे क्षेत्र के आंतरिक पारिस्थितिकी तंत्र को ध्वस्त कर सकता है. देशभर से लोग प्लास्टिक की इन थैलियों में राशन, कपड़े, दवा के जरिए राहत भेज रहे हैं. इसलिए पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश की एक बड़ी संभावना हैं.

पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रबीर कुमार बोस कहते हैं, 'करोड़ों प्लास्टिक पहले ही सुंदरवन में प्रवेश कर चुके हैं, जो बहुत ही खतरनाक है. आंकड़ों के अनुसार हर साल एक से पांच ट्रिलियन प्लास्टिक बैग दुनियाभर में प्राकृतिक वातावरण में मिश्रित हो रहे हैं. पांच ट्रिलियन प्रति वर्ष मतलब प्रति मिनट लगभग दस मिलियन प्लास्टिक जमा हो रहा है. फ्रांस जैसे देश को इस प्लास्टिक से दो बार कवर किया जा सकता है. आंकड़ों के अनुसार, इन प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग औसतन 12 मिनट के लिए किया जाता है फिर उसे हर जगह फेंक दिया जाता है. दुनियाभर में केवल एक से तीन प्रतिशत प्लास्टिक बैग ही पुनर्नवीनीकृत होते हैं. प्राकृतिक वातावरण के तापमान और आर्द्रता के आधार पर, एक प्लास्टिक बैग को सड़ने में 15 से 1000 साल लग सकते हैं '

डॉ. भास्करदेव मुखर्जी कहते हैं कि सुंदरवन के लोग कोरोना से बचाने के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'अगर प्रभावित परिवारों तक राहत नहीं पहुंचाई गई तो वे मर जाएंगे. यह सच है कि राहत पहुंचाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोई और रास्ता नहीं है, लेकिन सुंदरवन के लोग जागरूक हैं. हमने उन्हें यह भी बताया है कि इस प्लास्टिक को कैसे नष्ट किया जाए. इससे वे सुंदरवन को बचा सकते हैं.' लेकिन वह स्पष्ट नहीं कर सके कि प्लास्टिक को कैसे नष्ट किया जाएगा.

पढ़ें - दुनियाभर में अलग-अलग हैं प्लास्टिक के प्रयोग, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हालांकि एचएच चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे कई संगठनों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कपड़े की थैलियों में लोगों तक राहत पहुंचाई है. पूरे मामले पर टिप्पणी करते हुए, प्रोफेसर प्रबीर कुमार बोस ने कहा, 'सुंदरवन में प्लास्टिक प्लास्टिक के साथ मिलकर प्रजनन क्षमता को नष्ट कर देगा. इतना ही नहीं वह नदी के साथ मिलकर समुद्र तक पहुंच जाएगा. जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी नष्ट कर देगा. इस प्लास्टिक से सुंदरवन में मछलियों को भी बहुत नुकसान होगा.'

इससे छुटकारा पाने का तरीका?
प्रबीर बाबू ने कहा, 'इस मामले में पेपर या कपड़े के थैलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बारिश के मौसम में इन बैग के माध्यम से राहत पहुंचना संभव नहीं है. दुनिया अब पेड़ों के साथ बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाने की कोशिश कर रही है. इसलिए ओपन हाउस विश्वविद्यालय भी पॉलिमर से प्लास्टिक बनाने की कोशिश कर रहा है. यह बहुत अच्छी पहल है. अगर उस तरह का प्लास्टिक बनाया जा सकता है, तो यह सबसे अच्छा समाधान होगा.'

कोलकाता : प्लास्टिक कचरा आज हमारे पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है. प्लास्टिक से लोगों को तात्कालिक सहूलियत तो होती है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान सालों बाद दिखाई देते हैं और इसका परिणाम भयावह हो सकता है. एक ओर सरकार प्लास्टिक बैन करने के लिए तमाम कोशिश कर रही है और जगह-जगह प्लॉस्टिक बैन किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार लोगों को राहत पहुंचाने के लिए भी इन्हीं प्लास्टिक बैग का सहारा ले रही है.

कुछ दिनों पहले बंगाल में 'अम्फान' तूफान आया था. जिसमें जन-धन की काफी हानि हुई थी. लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने दूर दराज फंसे व्यक्तियों को प्लास्टिक की थैलियों में राशन, कपड़े, दवा के जरिए राहत पहुंचाई थी. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीणों तक राहत पहुंचाई गई थी, जिसका असर अब देखने को मिल रहा है. अम्फान राहत के रूप में सैकड़ों टन प्लास्टिक कैरी बैग अब विश्व के सबसे मैंग्रोव डेल्टा सुंदरवन में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे सुंदरवन के पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत नुकसान हो रहा है.

पश्चिम बंगाल में अम्फान तुफान ने जब यहां प्रवेश किया था तो सुंदरवन के लोग हर पल पर्यावरण के इस विकराल रूप से लड़ रहे थे. कई परिवारों को सुरक्षित रखने के लिए स्कूलों में शरण दी गई. कई रातों तक आंधी चली, जिसकी गति 140 से 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई थी. इसके कारण लगभग डेढ़ करोड़ लोग बेघर हो गए थे. वहीं फसलों की क्षति 21 हजार करोड़ से अधिक रही.

सुंदरवन में जमा हो रहा प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए नुकसानदायक.

सरकार की ओर से पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए लाखों प्लास्टिक थैलियों का सहारा लिया गया. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है. यह पूरे क्षेत्र के आंतरिक पारिस्थितिकी तंत्र को ध्वस्त कर सकता है. देशभर से लोग प्लास्टिक की इन थैलियों में राशन, कपड़े, दवा के जरिए राहत भेज रहे हैं. इसलिए पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश की एक बड़ी संभावना हैं.

पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रबीर कुमार बोस कहते हैं, 'करोड़ों प्लास्टिक पहले ही सुंदरवन में प्रवेश कर चुके हैं, जो बहुत ही खतरनाक है. आंकड़ों के अनुसार हर साल एक से पांच ट्रिलियन प्लास्टिक बैग दुनियाभर में प्राकृतिक वातावरण में मिश्रित हो रहे हैं. पांच ट्रिलियन प्रति वर्ष मतलब प्रति मिनट लगभग दस मिलियन प्लास्टिक जमा हो रहा है. फ्रांस जैसे देश को इस प्लास्टिक से दो बार कवर किया जा सकता है. आंकड़ों के अनुसार, इन प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग औसतन 12 मिनट के लिए किया जाता है फिर उसे हर जगह फेंक दिया जाता है. दुनियाभर में केवल एक से तीन प्रतिशत प्लास्टिक बैग ही पुनर्नवीनीकृत होते हैं. प्राकृतिक वातावरण के तापमान और आर्द्रता के आधार पर, एक प्लास्टिक बैग को सड़ने में 15 से 1000 साल लग सकते हैं '

डॉ. भास्करदेव मुखर्जी कहते हैं कि सुंदरवन के लोग कोरोना से बचाने के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'अगर प्रभावित परिवारों तक राहत नहीं पहुंचाई गई तो वे मर जाएंगे. यह सच है कि राहत पहुंचाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोई और रास्ता नहीं है, लेकिन सुंदरवन के लोग जागरूक हैं. हमने उन्हें यह भी बताया है कि इस प्लास्टिक को कैसे नष्ट किया जाए. इससे वे सुंदरवन को बचा सकते हैं.' लेकिन वह स्पष्ट नहीं कर सके कि प्लास्टिक को कैसे नष्ट किया जाएगा.

पढ़ें - दुनियाभर में अलग-अलग हैं प्लास्टिक के प्रयोग, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हालांकि एचएच चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे कई संगठनों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कपड़े की थैलियों में लोगों तक राहत पहुंचाई है. पूरे मामले पर टिप्पणी करते हुए, प्रोफेसर प्रबीर कुमार बोस ने कहा, 'सुंदरवन में प्लास्टिक प्लास्टिक के साथ मिलकर प्रजनन क्षमता को नष्ट कर देगा. इतना ही नहीं वह नदी के साथ मिलकर समुद्र तक पहुंच जाएगा. जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी नष्ट कर देगा. इस प्लास्टिक से सुंदरवन में मछलियों को भी बहुत नुकसान होगा.'

इससे छुटकारा पाने का तरीका?
प्रबीर बाबू ने कहा, 'इस मामले में पेपर या कपड़े के थैलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बारिश के मौसम में इन बैग के माध्यम से राहत पहुंचना संभव नहीं है. दुनिया अब पेड़ों के साथ बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाने की कोशिश कर रही है. इसलिए ओपन हाउस विश्वविद्यालय भी पॉलिमर से प्लास्टिक बनाने की कोशिश कर रहा है. यह बहुत अच्छी पहल है. अगर उस तरह का प्लास्टिक बनाया जा सकता है, तो यह सबसे अच्छा समाधान होगा.'

Last Updated : Jul 15, 2020, 6:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.