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गर्भवती पत्नी और बेटी के साथ पैदल तय किया 800 किलोमीटर का सफर

लॉकडाउन मजदूरों के लिए अनेकों परेशानियां लेकर आया है. इसको चरितार्थ करने वाला दृश्य मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की राजेगांव सीमा पर देखने को मिला. यहां हैदराबाद से एक मजदूर अपनी बेटी और गर्भवती पत्नी को रस्सी की गाड़ी पर बिठाकर पैदल ही घर तक चला आया. यह जिसने भी देखा वह हैरान रह गया.

migrants in lockdown
लॉकडाउन में मजदूर परेशान
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Published : May 13, 2020, 3:27 PM IST

भोपाल : लॉकडाउन के चलते अपने घर लौट रहे मजदूरों की बेहद मार्मिक तस्वीरें सामने आ रहीं हैं. कुछ ऐसा ही दृश्य मध्य प्रदेश के बालाघाट में देखने को मिला. एक मजबूर पिता 800 किमी दूर से अपनी नन्ही बेटी और गर्भवती पत्नी को हाथ से बनी गाड़ी पर खींचकर लाता दिखा. रामू नाम के मजदूर ने बताया कि वह हैदराबाद से पैदल चलकर आ रहा है, कुंडेमोहगांव का रहने वाला है. इस दौरान उसे रास्ते में किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली.

हैदराबाद में रामू को जब काम मिलना बंद हो गया तो वापसी के लिए उसने कई लोगों से मिन्नतें कीं. लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. कुछ दूर तक तो रामू अपनी दो साल की बेटी को गोद में उठाकर चलता रहा और उसकी गर्भवती पत्नी सामान उठाए चलती रही. लेकिन जब दोनों थक गए तो उसने एक गाड़ी बनाई और उसपर अपनी पत्नी और बेटी को बिठाकर खीचते हुए 800 किलोमीटर का सफर 17 दिन में तय करके बालाघाट पहुंचा.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बालाघाट की रजेगांव सीमा पर मौजूद पुलिसवालों ने जब यह देखा तो वह भी हैरान रह गए. पुलिसकर्मियों ने तत्काल मजदूर की बच्ची को बिस्किट और चप्पल लाकर दी. उसकी जांच कराकर तत्काल एक निजी गाड़ी का बंदोबस्त कर उसे गांव तक भेजा.

लांजी के एसडीओपी ने बताया कि बालाघाट की सीमा पर एक मजदूर मिला जो अपनी पत्नी धनवंती के साथ हैदराबाद से पैदल आ रहा था. साथ में दो साल की बेटी थी जिसे वह हाथ की बनी गाड़ी से खींचकर यहां तक लाया था. तुरंत ही उसे जांच के बाद निजी गाड़ी से उसके गांव भिजवा दिया गया.

पढ़ें-इंदौर : पलायन की दर्दनाक तस्वीरें, बैल के साथ गाड़ी खींच रहा मजदूर

भोपाल : लॉकडाउन के चलते अपने घर लौट रहे मजदूरों की बेहद मार्मिक तस्वीरें सामने आ रहीं हैं. कुछ ऐसा ही दृश्य मध्य प्रदेश के बालाघाट में देखने को मिला. एक मजबूर पिता 800 किमी दूर से अपनी नन्ही बेटी और गर्भवती पत्नी को हाथ से बनी गाड़ी पर खींचकर लाता दिखा. रामू नाम के मजदूर ने बताया कि वह हैदराबाद से पैदल चलकर आ रहा है, कुंडेमोहगांव का रहने वाला है. इस दौरान उसे रास्ते में किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली.

हैदराबाद में रामू को जब काम मिलना बंद हो गया तो वापसी के लिए उसने कई लोगों से मिन्नतें कीं. लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. कुछ दूर तक तो रामू अपनी दो साल की बेटी को गोद में उठाकर चलता रहा और उसकी गर्भवती पत्नी सामान उठाए चलती रही. लेकिन जब दोनों थक गए तो उसने एक गाड़ी बनाई और उसपर अपनी पत्नी और बेटी को बिठाकर खीचते हुए 800 किलोमीटर का सफर 17 दिन में तय करके बालाघाट पहुंचा.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बालाघाट की रजेगांव सीमा पर मौजूद पुलिसवालों ने जब यह देखा तो वह भी हैरान रह गए. पुलिसकर्मियों ने तत्काल मजदूर की बच्ची को बिस्किट और चप्पल लाकर दी. उसकी जांच कराकर तत्काल एक निजी गाड़ी का बंदोबस्त कर उसे गांव तक भेजा.

लांजी के एसडीओपी ने बताया कि बालाघाट की सीमा पर एक मजदूर मिला जो अपनी पत्नी धनवंती के साथ हैदराबाद से पैदल आ रहा था. साथ में दो साल की बेटी थी जिसे वह हाथ की बनी गाड़ी से खींचकर यहां तक लाया था. तुरंत ही उसे जांच के बाद निजी गाड़ी से उसके गांव भिजवा दिया गया.

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