नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्रालय का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी उग्रवादियों (LWE) से संबधित हिंसा में कमी दर्ज की गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान हिंसा में 43 प्रतिशत की कमी आई है. हिंसा के दौरान होने वाली मौत में भी 61 फीसदी गिरावट हुई है. ये आंकड़े 2009-14 और 2014-19 की गई तुलना के आधार पर हैं.
आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना 2015 के लगातार कार्यान्वयन से माओवादी संबंधित हिंसा में लगातार गिरावट आई है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में वामपंथी उग्रवादी के प्रभाव और इसके भौगोलिक प्रसार में भी कमी आई है.
30 जून, 2019 तक वामपंथी उग्रवाद से 117 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 2018 में ऐसी हिंसा में 139 लोगों की मौत हुई थी. पिछले पांच वर्षों में वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य में लगातार और उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना 2015 में बहु आयामी नीति को ध्यान में रखा गया है. जिसमें सुरक्षा संबंधी उपाय, विकास, स्थानीय समुदाय के अधिकार को सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं.
सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के लिए विशेष सहायता योजना को मंजूरी दी है. इन जिलों में सार्वजनिक संरचना और सेवाओं में अंतर खत्म करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये वार्षिक स्वीकृत किए गए हैं.
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मई, 2009 से अप्रैल 2014 के दौरान 8438 घटनाएं हुई. इन घटनाओं में 3209 लोगों की मौत हुई.
मई, 2014 से अप्रैल, 2019 के दौरान हिंसा की 4778 घटनाएं हुई. इनमें 1247 लोगों की मौत हुई.
मरने वालों में आम नागरिकों के अलावा सुरक्षाबल भी शामिल हैं. इन आंकड़ों की समीक्षा से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान हिंसा में 43 प्रतिशत की कमी आई है. हिंसा के दौरान होने वाली मौत में भी 61 फीसदी गिरावट हुई है.