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कोविड-19 को लेकर पूर्वोत्तर के लोगों से नस्लीय भेदभाव पर गृह मंत्रालय सख्त - कोरोना से परेशान पूर्वोत्तर

गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के लोगों को कोविड-19 से जोड़कर परेशान करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में पूर्वोत्तर के लोगों को नस्लीय आधार पर परेशान किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

गृह मंत्रालय
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Published : Mar 23, 2020, 10:14 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी में कुछ लोग पूर्वोत्तर के लोगों को कोरोना वायरस से जोड़कर परेशान कर रहे हैं. इस मामले को संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने देश और राज्य में कानून लागू करने वाली एंजेसियों को आदेश दिया है कि जो लोग कोविड-19 को लेकर पूर्वोत्तर की जनता को परेशान कर रहे हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि पूर्वोत्तर के लोगों को कोरोना वायरस से जोड़कर परेशान किया जा रहा है. यह नस्लीय भेदभाव है. अधिकारियों और राज्यों में कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों को ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.'

बता दें कि बीते रविवार को पूर्वोत्तर के रहने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्र इस तरह के नस्लीय भेदभाव का शिकार हुए.

दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार को रात 9.30 बजे के करीब उत्तरी दिल्ली के विजय नगर इलाके में दो लड़कियों पर एक मोटर बाइक सवार युवक ने हमला किया. विजय नगर पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है.

परेशान की गई छात्रा.
परेशान की गई छात्रा.

गौरतलब है कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद पूर्वोत्तर के रहने वाले अधिकतर युवा अपने गृह नगर के लिए रवाना हो गए हैं. दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद से उन्हें नस्ल के हिसाब से निशाना बनाया जा रहा है.

गत तीन मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर के पास पूर्वोत्तर के दो छात्रों पर छह लोगों ने हमला किया था.

दिल्ली में रहने वाली मणिपुर की एक महिला बीजू ने कहा, 'महानगरों में रहने वाले उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ भेदभाव करना कोई नई बात नहीं है. ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें हम लोगों को गंभीर भेदभाव के मामलों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें : कोरोना वायरस : लद्दाख, असम, मणिपुर और पुडुचेरी में 31 मार्च तक लॉकडाउन

उन्होने कहा कि पहले वे पूर्वोत्तर के लोगों को मोमोज, चाउमीन, नेपाली आदि कहते थे. अब, महामारी के कारण और मंगोलियाई विशेषताओं के कारण, कोरोना वायरस कहकर मजाक उड़ा रहे हैं. यह घोर अज्ञनता और नस्लीय भेदभाव का घृणित उदाहरण है.

नई दिल्ली : राजधानी में कुछ लोग पूर्वोत्तर के लोगों को कोरोना वायरस से जोड़कर परेशान कर रहे हैं. इस मामले को संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने देश और राज्य में कानून लागू करने वाली एंजेसियों को आदेश दिया है कि जो लोग कोविड-19 को लेकर पूर्वोत्तर की जनता को परेशान कर रहे हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि पूर्वोत्तर के लोगों को कोरोना वायरस से जोड़कर परेशान किया जा रहा है. यह नस्लीय भेदभाव है. अधिकारियों और राज्यों में कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों को ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.'

बता दें कि बीते रविवार को पूर्वोत्तर के रहने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्र इस तरह के नस्लीय भेदभाव का शिकार हुए.

दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार को रात 9.30 बजे के करीब उत्तरी दिल्ली के विजय नगर इलाके में दो लड़कियों पर एक मोटर बाइक सवार युवक ने हमला किया. विजय नगर पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है.

परेशान की गई छात्रा.
परेशान की गई छात्रा.

गौरतलब है कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद पूर्वोत्तर के रहने वाले अधिकतर युवा अपने गृह नगर के लिए रवाना हो गए हैं. दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद से उन्हें नस्ल के हिसाब से निशाना बनाया जा रहा है.

गत तीन मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर के पास पूर्वोत्तर के दो छात्रों पर छह लोगों ने हमला किया था.

दिल्ली में रहने वाली मणिपुर की एक महिला बीजू ने कहा, 'महानगरों में रहने वाले उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ भेदभाव करना कोई नई बात नहीं है. ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें हम लोगों को गंभीर भेदभाव के मामलों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें : कोरोना वायरस : लद्दाख, असम, मणिपुर और पुडुचेरी में 31 मार्च तक लॉकडाउन

उन्होने कहा कि पहले वे पूर्वोत्तर के लोगों को मोमोज, चाउमीन, नेपाली आदि कहते थे. अब, महामारी के कारण और मंगोलियाई विशेषताओं के कारण, कोरोना वायरस कहकर मजाक उड़ा रहे हैं. यह घोर अज्ञनता और नस्लीय भेदभाव का घृणित उदाहरण है.

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