नई दिल्ली : खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि भारत विरोधी तत्व गणतंत्र दिवस समारोह से पहले अराजकता पैदा करने के लिए किसान आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं. जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय सभी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है.
खुफिया सूचना में चेतावनी दी गई है कि भारत विरोधी तत्व विशेष रूप से पाकिस्तान समर्थित आईएसआई और खालिस्तानी आतंकवादी 26 जनवरी से पहले हिंसा फैलाने की कोशिश कर सकते हैं.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास इनपुट हैं कि असामाजिक तत्व अराजकता पैदा करने के लिए मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं.'
अधिकारी ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
गौरतलब है कि सत्ताधारी भाजपा के कई नेताओं ने दावा किया है कि भारत विरोधी तत्व पहले ही किसान आंदोलन में शामिल हो चुके हैं. हालांकि, विपक्षी नेताओं ने भाजपा के इस दावे का खारिज कर दिया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि केंद्र सरकार ने गलत दावा किया है कि भारत विरोधी तत्व किसान आंदोलन का फायदा उठा सकते हैं.
राजा ने कहा कि यह पूरी तरह से किसान आंदोलन है. इस मुद्दे को कम करने और वर्तमान परिदृश्य पर काबू पाने के लिए, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि इस तरह के दावे कर रहे हैं.
खुफिया अलर्ट पर सुरक्षा विशेषज्ञ की राय
वहीं, वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व प्रमुख प्रकाश सिंह ने कहा कि कुछ तत्व (असामाजिक) हमेशा ऐसे आंदोलन में शामिल होने की कोशिश करते हैं.
सिंह ने कहा कि हमने इससे पहले भी कई अन्य मौकों पर देखा कि जब कुछ मुद्दों पर कोई लोकप्रिय आंदोलन होता है, तो कुछ असंतुष्ट तत्व हमेशा स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं.
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उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व हमेशा सरकार विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं और इसको भूनना चाहते हैं.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहा आंदोलन उस समय सुर्खियों में आया गया था, जब इसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) समेत कई संदिग्ध संगठनों के कथित समर्थन की जानकारी सामने आई थी.
सिंह ने कहा, 'किसान आंदोलन को जिस तरह का समर्थन मिल रहा है, उसे देखते हुए खालिस्तानी संगठनों के आंदोलन में शामिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.'
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को कनाडा के साथ कुछ देशों का समर्थन मिला है.
बीएसएफ के पूर्व प्रमुख ने कहा कि यह समय की मांग है कि प्रधानमंत्री को स्थिति से निपटने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.