गुरुग्राम : 18 साल की उम्र में देवेशी त्रेहन ने नेक काम करने की चाहत में पुराने कपड़ों को फिर से बनाने और दान करने में तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. इसके लिए वह अपने आस-पास ऐसे लोगों की खोज कर रही हैं जो सतत विकास करते हैं. उनके दान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बचाना है.
जब आप सीमा जूद जैसी गतिशील महिला के बारे में बात करते हैं तो आपको लगेगा की उम्र वास्तव में सिर्फ एक नंबर है. वह एक इंटीरियर डिजाइनर, योगी आाचार्य, पोषण विशेषज्ञ, शेफ, गोल्फर और टेनिस खिलाड़ी हैं. ऐसा कोई भी शौक नहीं है जो उन्होंने अभी तक पूरा नहीं किया होगा.
वह अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती हैं, जहां वह खुले विचारों के साथ पली बढ़ी हैं. उनके दोस्त बचपन में गाना और नृत्य सीख रहे थे तब सीमा घुड़सवारी और टेनिस सीखने में व्यस्त थीं. वह एक ऑल-राउंडर महिला हैं, लेकिन किसी को लगा नहीं था कि सीमा को बोटानिक्स और बागवानी में कभी दिलचस्पी आएगी. उन्होंने अपनी रूचि को आगे बढ़ाया और 1962 में उन्होने एम.बी. कॉलेज उदयपुर से वनस्पति विज्ञान, जूलॉजी और रसायन विज्ञान में स्नातक किया.
सीमा सूद अपनी शादी के बारे में बताती हैं कि मैं अपनी उम्र की लड़कियों जैसी नहीं थी, मुझे खरीदारी, कपड़े और गहनों में कोई दिलचस्पी नहीं थी. मैं हमेसा से अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहती थी. जिसके लिए मुझे ज्यादातर समय घर से बाहर रहना पड़ता था. शादी से पहले मैंने अपने पति से कहा कि मैं उनसे जो कुछ चाहती थी, वह घर के कामों में मदद करने के लिए था.
सालों से वह कोलकाता में भूनिर्माण कार्य करती आ रही हैं. बागवानी और वनस्पति विज्ञान के लिए उसके जुनून का इस तथ्य में प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने गुरुग्राम में विभिन्न फ्लैट मालिकों और समाजों के लिए काम किया है.
कुछ सालों बाद उन्होंने अपना शौक आगे बढ़ाया, उन्होंने अपने अभ्यास से बंजर जमीन को खूबसूरत बनाना शुरू कर दिया. वह अपार्टमेंट में रहती थीं, लेकिन उन्होंने बालकनी में भी गार्डनिंग शुरू कर दी. गार्डन में वह कई प्रकार की जड़ी बूटियां और सब्जियां उगाती हैं.
वह इन पौधों को उगाने के लिए बीज नहीं खरीदती हैं. बल्कि वह घर में उपयोग किए जाने वाले सब्जियों फलों के बीजों का प्रयोग करती हैं. इसी तरह वह घर की चीजों से ही उर्वरक खाद बनाती हैं. उन्होंने इस गार्डन को बनाने के लिए कई बेकार पड़ी वस्तुओं का सहारा भी लिया है.
वहीं सीमा से जब पूछा गया कि वह कोरोना वायरस के दौरान अपना काम कैसे करती हैं तो वह बताती हैं कि इस दौरान मैं घर से काम कर रही हूं. सुबह जूम एप के माध्यम से अपनी बैठकों और सेमिनारों में भाग लेती हूं. पिछले हफ्ते मैं और मेरे नाती-पोते भारत, जापान और अमेरिका में एक साथ योग कर रहे थे. टेक्नोलॉजी एक बाध्यकारी शक्ति रही है, जिसके बिना इस महामारी से बच पाना कठिन होगा. वह बताती हैं कि उन्होंने पक्षियों को खिलाने के लिए बहुत सी जगहों पर फल लगाए हैं.
भावी वनस्पतियों के लिए वह यूट्यूब वीडियो के माध्यम से जानकारी देती हैं. वह कहती हैं कि बच्चों को शुरू से ही बागवानी के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे वह छोटी उम्र से ही प्रकृति का सम्मान करना शुरू कर दें.
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वह कहती हैं कि किसी भी पौधे को खरीदने से पहले उसके बारे में पता करना चाहिए. दुकानवाले पर भरोसा नहीं करना चाहिए. कोई भी एक तुलसी जैसे आसान पौधा लगा कर बागवानी शुरू कर सकता है. सभी पुरानी सोच की बेड़ियों को तोड़ते हुए सीमा सूद ने साबित किया कि उम्र और लिंग कभी किसी चीज के लिए बाधा नहीं बनते. यदि आपमें कुछ करने की चाह है तो आप कुछ भी कर सकते हैं.
देवेशी त्रेहन को इंस्टाग्राम @ https://instagram.com/ademyoutenir?igshid=f19x48373737ac पर फॉलो किया जा सकता है.