मेरठ: निर्भया के दोषियों को पवन जल्लाद अपने हाथों से फांसी चढ़ाना चाहता है. मेरठ जेल के जल्लाद पवन का कहना है कि उसे खुशी होगी यदि वह अपने हाथों से निर्भया के चारों दोषियों को फांसी चढ़ाएगा. इस समय निर्भया के चारों दोषी दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं.
सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने एक जल्लाद की सेवा लेने के लिए यूपी जेल प्रशासन को पत्र लिखा है. आज पटियाला हाउस कोर्ट ने 4 दोषियों की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी जेल अधिकारियों को फांसी के समय के बारे में भी सूचित किया है. पवन जल्लाद को उम्मीद है कि उसे ही चारों दोषियों को फांसी देने के लिए बुलाया जाएगा.
तिहाड़ के अधिकारियों ने कहा कि जेल प्रशासन मेरठ के एक जल्लाद की सेवा लेंगे. जेल में एक साथ सभी 4 दोषियों को फांसी देने के लिए हमारे पास उचित व्यवस्था है.
पवन जल्लाद ने बताया कि जेल प्रशासन से किसी ने भी अभी तक मुझसे संपर्क नहीं किया है. यदि मुझे आदेश मिलता है, तो मैं अवश्य जाऊंगा. उन्होंने कहा कि निर्भया के माता-पिता और सभी को यह वास्तव में मुझे बहुत राहत देगा.'
दादा कल्लू से सीखा फांसी देना
पवन ने बताया कि उसके दादा कल्लू जल्लाद जेलों में जाकर फांसी देते थे. उनके बाद पवन के पिता मम्मू जल्लाद ने विरासत संभाली. उनके बाद पवन जल्लाद अपने खानदानी पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं. पवन बताते हैं कि उन्होंने फांसी देना अपने दादा से सीखा. वह उनके साथ जेल जाते थे और देखते थे कि कैसे फंदा तैयार किया जाता है और कैसे फांसी दी जाती है. उनके दादा ने ही रंगा बिल्ला को फांसी दी थी. पवन ने ये भी बताया कि वह पटियाला में दो, आगरा, इलाहाबाद और जयपुर में एक-एक फांसी के दौरान अपने दादा के साथ थे.
फांसी देने से पहले होता है ट्रायल
पवन जल्लाद का कहना है कि किसी भी दोषी को फांसी देने से पहले ट्रायल किया जाता है. पवन का कहना है कि जिस अपराधी को फांसी देनी होती है उसके वजन के बराबर का एक बोरे में रेत भरकर उसे फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है. इस प्रक्रिया को करके यह देखा जाता है कि कहीं फांसी का फंदा टूट न जाए. इसके अलावा फांसी का फंदा तैयार करने के लिए खास रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है. उसका फंदा बनाने की भी तैयारी पहले से की जाती है. जिस स्थान पर फांसी घर बना होता है वहां भी फांसी देने से पहले देखा जाता है कि लीवर आदि ठीक से काम कर रहा है या नहीं.
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बांधे जाते हैं हाथ और पैर
फांसी देने से पहले दोषी के हाथ-पैर बांधे जाते हैं और उसके मुंह पर कपड़ा ढंक दिया जाता है. उसके बाद उसके गले में फांसी का फंदा डाला जाता है. फांसी घर पर गले में फंदा डालने के बाद जैसे ही जेलर का इशारा होता है फांसी घर का लीवर दबा दिया जाता है. इसके बाद जिस प्लेटफार्म पर खड़े होते हैं वह नीचे की ओर खिसक जाता है और सजा पाने वाला फंदे पर लटक जाता है कुछ ही देर में उसकी मौत हो जाती है.
सरकार से आर्थिक मदद चाहता है पवन
पवन जल्लाद का कहना है कि सरकार से उसे ₹5000 प्रतिमाह मिलते हैं इतनी कम राशि में घर का खर्च चलाना मुश्किल होता है. उन्होंने कहा कि कम से कम ₹20,000 मिलने चाहिए ताकि परिवार का खर्च चल सके. अपने बेटों को वह सरकारी नौकरी देने की मांग करता है. घर का खर्च चलाने के लिए पवन साइकिल से फेरी लगाकर गांव में कपड़ा बेचता है. उसका कहना है कि उसके परिवार की हालत बेहद खराब है और जैसे-तैसे परिवार का गुजारा चल रहा है.
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पहली बार एक साथ चार को फांसी
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा हुई है. माना जा रहा है कि चारों को एक साथ ही फांसी दी जाएगी. यदि चारों को एक ही दिन एक साथ फांसी की सजा हुई तो यह देश में इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा. अभी तक देश आजाद होने के बाद एक साथ 4 लोगों को फांसी नहीं दी गई है. पवन जल्लाद का कहना है कि पटियाला में एक साथ दो लोगों को फांसी दी गई थी.