नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान शुरू होने से ठीक एक हफ्ता पहले देशभर के नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने मोदी सरकार के खिलाफ अपनी अवाज उठाते हुए जन सरोकार 2019 का हिस्सा बने. इस सभा में विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा.
इस विषय पर समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि 'इस बार कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत सारे संगठनों की चर्चा के बाद अया है इसलिये एक समाजिक दस्तावेज़ बन गया है. हम इसका स्वागत करते हैं. उसमे जो कमिया हैं उसके बारे में हम लिखेंगे और आगे के प्रचार में भी अपनी भूमिका स्पष्ट करायेंगे.'
उन्होंने कहा कि 'उनके घोषणापत्र में कई बाते सामने आई है जैसे कि एफडीआई, कर्जमाफी आदि. यहां तक कि उन्होंने रोजगार का मुद्दा भी उठाया है, जिसका हम स्वागत करते है. लेकिन उद्योग नीति में उद्योगों को कितना मिलेगा और मजदूरों को कितना, इसकी थोड़ी स्पष्टता बाकी है.'
घोषणापत्र में रोजगार के बारे में बात करते हुए मेधा ने कहा कि 'हमें खुशी है कि कांग्रेस ने रोजगार का मुद्दा उठाया लेकिन उद्योग नीति में उद्योगों को कितना मिलेगा और मजदूरों को कितना, इसकी थोड़ी स्पष्टता बाकी है.'
कांग्रेस के मुकाबले सीपीएम के घोषणापत्र को काफी कठोर बताते हुए है उन्होंने कहा कि जहां ये कम्यूनिस्ट पार्टियां सत्ता में हैं वहां अगर वे अपने घोषणापत्र पर अमल करेंगे तो ही उन्हें वोट मिलेंगे. तो बात जनसंगठनों की अपनी राजनीति की है जो की बनी रहने की ज़रूरत भी है.