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भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक, विदेश मंत्रालय के अधिकारी होंगे शामिल

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Published : Sep 21, 2020, 7:42 AM IST

Updated : Sep 21, 2020, 8:36 AM IST

भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों की मोल्दो में बैठक होने वाली है, जिसमें प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14 वें कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. खास बात यह कि इस बैठक में पहली बार विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं. हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की यह रिपोर्ट.

भारत - चीन शीर्ष सैन्य कमांडरों की मोल्दो में बैठक
भारत - चीन शीर्ष सैन्य कमांडरों की मोल्दो में बैठक

नई दिल्लीः भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों की मोल्दो में बैठक होने वाली है. इसमें सीमा विवाद पर, खास तौर से पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील इलाके पर चर्चा होगी. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बार की बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल सदस्य के रूप में शामिल होंगे.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वें कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. सोमवार सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में दो मेजर जनरल अभिजीत बापट और पदम शेखावत भी शामिल हो सकते हैं.

मोल्दो, चुशुल में भारतीय सेना के बेस के पार, पीएलए बेस है. यह पहली बार है जब विदेश मंत्रालय का कोई अधिकारी दोनों सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की सैन्य वार्ता में भाग लेगा.

सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि यह कदम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है. इस समय दोनों एशियाई दिग्गज एलएसी की अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं.

इस बैठक में चीनी पक्ष से कोई भी विदेश मंत्रालय का प्रतिनिधि नहीं होगा क्योंकि चीन में कूटनीति और सेना के बीच कोई स्पष्टता नहीं है जिस तरह से यह भारत में संरचित है.

पीएलए के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर-जनरल लिन लियू चीनी टीम का नेतृत्व करेंगे.

यह छठी बार होगा जब दोनों कोर कमांडर 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई और 2 अगस्त के बाद चुशूल-मोल्दो में मिलेंगे.

भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 के बाद से तनावपूर्ण संबंध देखा जा रहा है. भारत-चीन सीमा पर टकराव बढ़ा है.

दोनों देशों ने अब तोपखाने और हवाई संपत्ति की तैनाती के साथ सीमा पार 1,00,000 से अधिक सैनिकों को एकत्र किया है.

इस प्रकार दोनों देश विशेष प्रतिनिधी स्तर पर भारत-चीन सीमा के मुद्दों को हल करने के सभी मौजूदा तंत्र, संबंधित विदेश मंत्री और रक्षा मंत्रालय स्तर पर सौहार्दपूर्ण समझौते को पूरा करने में विफल रहे हैं.

दोनों देश की सेना सीमा पर कई इलाकों में आमने-सामने हैं.

आगामी बैठक के लिए तारीख और समय तय करना चीनी जिद के कारण मुश्किल था, क्योंकि चीन वार्ता के दायरे से पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 रिज लाइन को हटाने की जिद पर अड़ा था.

मई 5-6 के दौरान भारतीय सेना और पीएलए सैनिकों के बीच हुए पहले टकराव के बाद चीन ने फिंगर 4 रिजलाइन पर सेना की तैनाती बढ़ा दी और कुछ निर्माण कार्य भी किए. इसके बाद से चीन ने वापस जाने के लिए मना कर दिया.

फिंगर्स 1 से फिंगर 8 जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं. भारत फिंगर 8 के पास एलएसी के होने का दावा करता है वहीं चीन फिंगर 3 तक अपना दावा करता है. पहले पीएलए फिंगर 8 से 4 तक गश्त करता था, भारतीय सेना फिंगर 4 से 8 तक गश्त करती थी.

नई दिल्लीः भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों की मोल्दो में बैठक होने वाली है. इसमें सीमा विवाद पर, खास तौर से पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील इलाके पर चर्चा होगी. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बार की बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल सदस्य के रूप में शामिल होंगे.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वें कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. सोमवार सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में दो मेजर जनरल अभिजीत बापट और पदम शेखावत भी शामिल हो सकते हैं.

मोल्दो, चुशुल में भारतीय सेना के बेस के पार, पीएलए बेस है. यह पहली बार है जब विदेश मंत्रालय का कोई अधिकारी दोनों सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की सैन्य वार्ता में भाग लेगा.

सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि यह कदम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है. इस समय दोनों एशियाई दिग्गज एलएसी की अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं.

इस बैठक में चीनी पक्ष से कोई भी विदेश मंत्रालय का प्रतिनिधि नहीं होगा क्योंकि चीन में कूटनीति और सेना के बीच कोई स्पष्टता नहीं है जिस तरह से यह भारत में संरचित है.

पीएलए के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर-जनरल लिन लियू चीनी टीम का नेतृत्व करेंगे.

यह छठी बार होगा जब दोनों कोर कमांडर 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई और 2 अगस्त के बाद चुशूल-मोल्दो में मिलेंगे.

भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 के बाद से तनावपूर्ण संबंध देखा जा रहा है. भारत-चीन सीमा पर टकराव बढ़ा है.

दोनों देशों ने अब तोपखाने और हवाई संपत्ति की तैनाती के साथ सीमा पार 1,00,000 से अधिक सैनिकों को एकत्र किया है.

इस प्रकार दोनों देश विशेष प्रतिनिधी स्तर पर भारत-चीन सीमा के मुद्दों को हल करने के सभी मौजूदा तंत्र, संबंधित विदेश मंत्री और रक्षा मंत्रालय स्तर पर सौहार्दपूर्ण समझौते को पूरा करने में विफल रहे हैं.

दोनों देश की सेना सीमा पर कई इलाकों में आमने-सामने हैं.

आगामी बैठक के लिए तारीख और समय तय करना चीनी जिद के कारण मुश्किल था, क्योंकि चीन वार्ता के दायरे से पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 रिज लाइन को हटाने की जिद पर अड़ा था.

मई 5-6 के दौरान भारतीय सेना और पीएलए सैनिकों के बीच हुए पहले टकराव के बाद चीन ने फिंगर 4 रिजलाइन पर सेना की तैनाती बढ़ा दी और कुछ निर्माण कार्य भी किए. इसके बाद से चीन ने वापस जाने के लिए मना कर दिया.

फिंगर्स 1 से फिंगर 8 जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं. भारत फिंगर 8 के पास एलएसी के होने का दावा करता है वहीं चीन फिंगर 3 तक अपना दावा करता है. पहले पीएलए फिंगर 8 से 4 तक गश्त करता था, भारतीय सेना फिंगर 4 से 8 तक गश्त करती थी.

Last Updated : Sep 21, 2020, 8:36 AM IST
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