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अजहर मसूद पर प्रतिबंध : UNSC की अधिसूचना में सभी आतंकी गतिविधियां व्यापक रूप से शामिल हैं

भारत ने अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने में पुलवामा का जिक्र न होने को तवज्जो नहीं दी है. भारत ने कहा है कि UN की अधिसूचना में अजहर का पूरा चिट्ठा मौजूद है. पढ़ें विवरण...

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार
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Published : May 3, 2019, 12:13 AM IST

Updated : May 3, 2019, 7:57 AM IST

नई दिल्ली: भारत ने 'जैश ए मोहम्मद' सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने वाली संयुक्त राष्ट्र की अधिसूचना पर विस्तृत बयान दिया है. भारत सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले का उल्लेख नहीं किए जाने को तवज्जो नहीं दी है.

गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमाप ने कहा कि इसमें (नोटिफिकेशन में) उसकी (अजहर की) सभी आतंकी हरकतों को व्यापक रूप से शामिल किया गया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का बयान

उन्होंने कहा कि UN अधिसूचना अजहर का बायोडाटा नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलवामा आतंकी हमले ने अजहर को सूचीबद्ध कराने में एक अहम भूमिका निभाई.

विदेश मंत्रालय ने यह बात तब कही, जब पाकिस्तान ने दावा किया कि वह अजहर पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पर तब जाकर राजी हुआ जब पुलवामा हमले के साथ उसे (अजहर को) जोड़ने की कोशिश समेत सभी 'राजनीतिक संदर्भों' को इस प्रस्ताव (अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने संबंधी) से हटा दिया गया.

ये भी पढ़ें: मसूद अजहर का वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना भारत की कूटनीतिक जीत : जेटली

कुमार ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि UN की अधिसूचना में यह बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जैश ए मोहम्मद के जरिए आतंकी गतिविधियों को धन मुहैया करने, उसकी योजना बनाने, उसे प्रोत्साहन देने और उन्हें अंजाम देने को लेकर अजहर को सूचीबद्ध किया गया.

उन्होंने कहा कि इसमें व्यापक रूप से सभी आतंकी गतिविधियां शामिल हैं. अधिसूचना आतंकवादी का बायोडाटा नहीं है और इसमें उसकी सारे कृत्य शामिल किए गए हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को जो बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है, उससे ध्यान बंटाने के लिए वह (पाक) ये दावे कर रहा है. मंत्रालय ने कहा कि भारत का लक्ष्य अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराना था.

उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी जब पुलवामा आतंकी हमला नहीं हुआ था. अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना किसी खास घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि हमने संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ विभिन्न आतंकवादी हरकतों से उसके जुड़े होने के बारे में जो सबूत साझा किये, यह उन सबूतों पर आधारित है.

ये भी पढ़ें: मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी, मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित

संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति ने बुधवार को अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया. दरअसल, चीन ने प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली जिसके बाद यह घटनाक्रम हुआ. UN के इस कदम को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

कुमार से जब यह पूछा गया कि भारत ने मसूद अजहर को प्रतिबंध सूची में डलवाने के लिए चीन को कोई पेशकश तो नहीं की, इस पर उन्होंने कहा, 'हम आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर किसी देश के साथ मोल-भाव नहीं करते. चीन रोक हटाने के बारे में पहले ही अपना स्पष्टीकरण दे चुका है.'
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पुलवामा आतंकवादी हमले के आलोक में अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए नया प्रस्ताव रखा था. साथ ही चीन ने कहा कि उसने संशोधित प्रस्ताव में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाने पर फैसला लिया.

पुलवामा में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे. जैश ए मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.

हालांकि, चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने पर चौथी बार अड़ंगा लगाया था. भारत ने उसके इस कदम को निराशाजनक करार दिया था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकी वित्त निगरानी संस्थान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की निगरानी के दायरे में रहा है. इसकी जून में अगली बैठक होने वाली है.

नई दिल्ली: भारत ने 'जैश ए मोहम्मद' सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने वाली संयुक्त राष्ट्र की अधिसूचना पर विस्तृत बयान दिया है. भारत सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले का उल्लेख नहीं किए जाने को तवज्जो नहीं दी है.

गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमाप ने कहा कि इसमें (नोटिफिकेशन में) उसकी (अजहर की) सभी आतंकी हरकतों को व्यापक रूप से शामिल किया गया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का बयान

उन्होंने कहा कि UN अधिसूचना अजहर का बायोडाटा नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलवामा आतंकी हमले ने अजहर को सूचीबद्ध कराने में एक अहम भूमिका निभाई.

विदेश मंत्रालय ने यह बात तब कही, जब पाकिस्तान ने दावा किया कि वह अजहर पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पर तब जाकर राजी हुआ जब पुलवामा हमले के साथ उसे (अजहर को) जोड़ने की कोशिश समेत सभी 'राजनीतिक संदर्भों' को इस प्रस्ताव (अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने संबंधी) से हटा दिया गया.

ये भी पढ़ें: मसूद अजहर का वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना भारत की कूटनीतिक जीत : जेटली

कुमार ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि UN की अधिसूचना में यह बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जैश ए मोहम्मद के जरिए आतंकी गतिविधियों को धन मुहैया करने, उसकी योजना बनाने, उसे प्रोत्साहन देने और उन्हें अंजाम देने को लेकर अजहर को सूचीबद्ध किया गया.

उन्होंने कहा कि इसमें व्यापक रूप से सभी आतंकी गतिविधियां शामिल हैं. अधिसूचना आतंकवादी का बायोडाटा नहीं है और इसमें उसकी सारे कृत्य शामिल किए गए हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को जो बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है, उससे ध्यान बंटाने के लिए वह (पाक) ये दावे कर रहा है. मंत्रालय ने कहा कि भारत का लक्ष्य अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराना था.

उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी जब पुलवामा आतंकी हमला नहीं हुआ था. अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना किसी खास घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि हमने संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ विभिन्न आतंकवादी हरकतों से उसके जुड़े होने के बारे में जो सबूत साझा किये, यह उन सबूतों पर आधारित है.

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संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति ने बुधवार को अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया. दरअसल, चीन ने प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली जिसके बाद यह घटनाक्रम हुआ. UN के इस कदम को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

कुमार से जब यह पूछा गया कि भारत ने मसूद अजहर को प्रतिबंध सूची में डलवाने के लिए चीन को कोई पेशकश तो नहीं की, इस पर उन्होंने कहा, 'हम आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर किसी देश के साथ मोल-भाव नहीं करते. चीन रोक हटाने के बारे में पहले ही अपना स्पष्टीकरण दे चुका है.'
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पुलवामा आतंकवादी हमले के आलोक में अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए नया प्रस्ताव रखा था. साथ ही चीन ने कहा कि उसने संशोधित प्रस्ताव में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाने पर फैसला लिया.

पुलवामा में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे. जैश ए मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.

हालांकि, चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने पर चौथी बार अड़ंगा लगाया था. भारत ने उसके इस कदम को निराशाजनक करार दिया था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकी वित्त निगरानी संस्थान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की निगरानी के दायरे में रहा है. इसकी जून में अगली बैठक होने वाली है.

Intro:Responding to media queries that 1267 sanctions committee of the UNSC didn't include Pulwama attack in its notification, the Ministry of External Affairs spokesperson Raveesh Kumar claimed that JeM chief's listing broadly covers all aspects through which he was blacklisted.


Body:In the first media briefing post blacklisting of Masood Azhar by the United Nation's sanction committee, the MEA spokesperson claimed that Pulwama did play a significant role in the listing.'

He further added saying, 'UNSC notification isn't the bio-data of a terrorist. It's not necessary that every act committed by Azhar will be included in the listing.'

When asked whether India had any negotiations with China so it will lift its technical hold, the Ministry of External Affairs spokesperson said, 'India doesn't negotiate on the issue of terrorism or national security with anyone.'





Conclusion:In a major development on Wednesday, Chinese side withdrew their technical hold on the proposal to put UN sanctions of the Jaish-e-Mohammad chief Maulana Masood Azhar. This development took place days after India's Foreign Secretary submitted evidence on Masood Azhar with China.
Last Updated : May 3, 2019, 7:57 AM IST
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