कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि यदि 'किसान विरोधी' नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो वह देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगी. तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए सिलसेवार ट्वीट किये.
किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर ममता ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, 'मैं किसानों, उनके जीवन और उनकी आजीविका के बारे में बहुत चिंतित हूं. भारत सरकार को किसान विरोधी कानून वापस लेना चाहिए. यदि वह तत्काल ऐसा नहीं करते हैं तो हम राज्य और देश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे. शुरुआत से ही हम इन किसान विरोधी विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.'
बनर्जी ने कहा, 'हमने शुक्रवार, चार दिसंबर को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की एक बैठक बुलाई है. हम इस पर चर्चा करेंगे कि आवश्यक वस्तु अधिनियम से आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और इससे महंगाई कितनी बढ़ रही है. केंद्र सरकार को इस जनविरोधी कानून को वापस लेना चाहिए.'
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उन्होंने कहा, 'भारत सरकार हर चीज बेच रही है. आप रेलवे, एयर इंडिया, कोयला, बीएसएनएल, बीएचईएल, बैंक, रक्षा इत्यादि को नहीं बेच सकते. गलत नीयत से लाई गई विनिवेश और निजीकरण की नीति वापस लीजिए. हम अपने राष्ट्र के खजाने को भाजपा की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं बनने देंगे.'
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गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने गतिरोध खत्म करने और बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की थी.
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राजद और वाम नेताओं का समर्थन
राजनीतिक पार्टियों ने केंद्रीय कृषि कानून को लेकर अपना स्टैंड बहुत ही साफ नहीं रखा है. चुनाव के दौरान भी इसे नहीं उठाया गया. राजद ने चुनाव प्रचार के दौरान कृषि कानून को माइग्रेशन और बेरोजगारी से जोड़ा. राजद नेता तेजस्वी ने कहा कि क्योंकि 2006 में एपीएमसी एक्ट समाप्त कर दिया गया, इसलिए यहां के किसान चले गए. उन्हें सही कीमत नहीं मिल रही है.
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ताजा विरोध को राजद और वाम नेताओं ने समर्थन दिया है. वाम नेताओं ने कहा कि वे बिहार के किसानों के बीच कृषि कानून को लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे.
कहां से पनपना शुरू हुआ असंतोष
बीते 17 सितंबर को विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.
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कृषि सुधार विधेयकों को लेकर पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे.