नई दिल्ली : दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी का दखल बढ़ने के बाद कई चेहरे रातोंरात मशहूर हो गए. स्वाति मालीवाल भी एक ऐसा ही नाम था, जिन्हें 2015 में दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और 31 बरस की एक अनजान सी महिला ने राष्ट्रीय राजधानी को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने और उनसे जुड़े तमाम मामलों को स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से सुलझाने की शपथ ले ली.
स्वाति मालीवाल का नाम दिल्ली की जनता के लिए भले ही नया था, लेकिन आम आदमी पार्टी में वह एक खास स्थान रखती थीं. पार्टी में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जन लोकपाल आंदोलन के लिए बनी इंडिया अगेंस्ट करप्शन की कोर कमेटी की वह सबसे कम उम्र सदस्य थीं. उस समय इस कमेटी के अन्य सदस्यों में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी जैसे बड़े बड़े नाम थे.
पार्टी में उन्हें एक मजबूत किरदार के तौर पर देखा जाता है और यह उनके सुलझे हुए व्यक्तित्व का ही हिस्सा है कि वह ट्रंप के स्वागत के लिए आगरा में हजारों स्कूली बच्चों को घंटों धूप में खड़े रखे जाने की आलोचना, महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी दिल्ली में जल्द मोहल्ला मार्शल की नियुक्ति और दिल्ली महिला आयोग में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ बनाने की सूचना जैसे रोजमर्रा के ट्वीट के बीच अपने पति नवीन जयहिंद से तलाक की जानकारी भी बेहद सहज अंदाज में साझा करती हैं.
15 अक्टूबर 1984 को गाजियाबाद में जन्मी स्वाति की शुरुआती शिक्षा अलग-अलग शहरों में हुई. 2002 में उन्होंने एमीटी स्कूल, नोएडा से इंटरमीडिएट किया. इसके बाद 2006 में दिल्ली के आईपी विश्वविद्यालय से सूचना प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसी दौरान समाजसेवा की ओर उनका रुझान हुआ और वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस से जुड़ गईं.
उन्होंने केजरीवाल के एनजीओ 'परिवर्तन' के लिए काम करते हुए जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने और सूचना का अधिकार के प्रति लोगों को जागरूक करने की दिशा में भी काम किया.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद स्वाति मालीवाल को मुख्यमंत्री जन शिकायत प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया और मुख्यमंत्री के जनता संवाद में आने वाले लोगों की समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी गई.
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2015 में उन्हें दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और अध्यक्ष बनते ही उन्होंने दिल्ली की सबसे बदनाम और स्याह बस्ती जीबी रोड के तमाम कोठों को नोटिस जारी करके अपने इरादे जाहिर कर दिए. 2018 में उनके कार्यकाल में विस्तार कर दिया गया. इससे पहले वह उस समय सुर्खियों का हिस्सा बनीं, जब बच्चियों से बलात्कार करने वालों को फांसी देने और कुछ अन्य मांगों के साथ दस दिन की भूख हड़ताल पर रहीं.