नई दिल्ली : भारत में वर्ष 2013 की अपेक्षा 2017 में मलेरिया मामले और उससे होने वाली मौतों में क्रमशः 49.09 फीसदी और 50.52 फीसदी कमी आई है. बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट को सूचित किया.
मंत्रालय ने कहा कि 2017 में मलेरिया की वार्षिक परजीवी घटना प्रति एक हजार पर 0.64 थी और यह 2018 में घटकर 0.30 हो गई. मंत्रालय ने दावा किया है कि यह दुनिया में मलेरिया स्थानिक देशों में भारत की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है.
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मीडिया को बताया, 'मलेरिया और उससे होने वाली मौतों की संख्या में 50 फीसदी कमी आई है. इसके साथ पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत में कमी आई है. हमने आशा कार्यकर्ती और नर्सों को प्रशिक्षित किया है. आने वाले 2030 में भारत स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त कर लेगा.'
केंद्रीय मंत्रिमंडल को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) अधिकार प्राप्त कार्यक्रम (ईपीसी) और एनएचएम के मिशन स्टीयरिंग समूह (एमएसजी) के तहत हुई प्रगति के बारे में बताया गया.
कैबिनेट को यह भी बताया गया कि मातृ मृत्यु दर अनुपात (एमएमआर) में भी कमी आई है. 1990 से 2016 की 5.3 फीसदी की तुलना में 2013-16 के बीच में आठ फीसदी की कमी आई है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर (प्रति एक लाख) के मामले में 1990-2013 में 5.3 फीसदी की तुलना में 2013-16 में 8 फीसदी की कमी आई है. पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर के मामले में 1990-2013 में 3.9 फीसदी की तुलना में 2013-16 में 6.6 फीसदी कमी आई है.
मंत्रालय का दावा है कि भारत 2030 तक अपने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होगा. मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि 2018-19 में दो अतिरिक्त राज्यों को रोटावायरस वैक्सीन देने के बाद सभी राज्यों को ये वैक्सीन दी चुकी है.