चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर प्लांट को दोबारा चालू करने की वेदांता ग्रुप की याचिका को खारिज कर दिया है.
गौरतलब है कि मई 2018 में स्थानीय लोगों ने प्लांट बंद करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी थी, घटना में 13 लोगों की मौत हो गई थी.
इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने प्लांट को बंद करवा दिया था. खनन कंपनी वेदांता ने स्टरलाइट कॉपर की इकाई बंद करने के आदेश को चुनौती दी. अब मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीपी) द्वारा मई 2018 में प्लांट बंद करने का आदेश बरकरार रखा. अदालत ने इस साल नौ जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने 800 पन्नों के फैसले में वेदांता और अन्य द्वारा इकाई को बंद करने के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिकाएं खारिज कर दीं.
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद तूतीकोरिन में कई लोगों ने मिठाई बांटकर और पटाखे जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया.
राज्य के उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह करोड़ों लोगों के विचारों का प्रतिबिंब है.
तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि वह अदालत के फैसले के आगे नतमस्तक हैं. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार मंत्रिमंडल में फैसले का स्वागत करने के लिए प्रस्ताव पारित करे और उच्चतम न्यायालय में वेदांता के अपील के मद्देनजर कैविएट याचिका दायर करे.
एमडीएमके प्रमुख वाइको ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फैसले में न्याय हुआ है और यह प्रदर्शन कर रहे लोगों की बड़ी जीत है.
कर्मचारियों को निकाला जा सकता है : सीईओ
कंपनी ने फैसले को 'अस्थाई झटका' करार देते हुए कहा कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी. स्टरलाइट के सीईओ पंकज कुमार ने तूतीकोरिन में पत्रकारों से कहा, 'हम उन सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे जो हमारे समक्ष हैं.'
एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, 'कर्मचारियों को निकालने की संभावना है क्योंकि संयंत्र दो साल से बंद है.'
वहीं, कंपनी के एसोसिएट उपाध्यक्ष डी धनवेल ने कहा कि फैसला 'निराश' करने वाला है, लेकिन यह अस्थाई झटका है. उन्होंने कहा, 'हमारी कंपनी ने संयंत्र बंद होने के बावजूद लोगों की नौकरियां बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन इस झटके के बाद यह (नौकरियों को बचाना) चुनौतीपूर्ण होगी. हम चर्चा करेंगे और कर्मचारियों के कल्याण का विचार कर फैसला लेंगे.'
इससे पहले वेदांता ग्रुप ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि संयंत्र को बंद करने का आदेश कंपनी के खिलाफ खुला भेदभाव है और प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों की मौत के बाद राज्य सरकार द्वारा लोगों के एक गुट के निहित हित का 'तुष्टीकरण' है.
वेदांता के दावों को खारिज करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि अगर कोई फैक्ट्री पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए गंभीर खतरा पैदा करे तो उसके पास उसे बंद करने का पूरा अधिकार एवं ताकत है.
प्लांट बंद रहने से भारत को बढ़ाना होगा कॉपर आयात
तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद रहने से भारत को तांबे का आयात बढ़ाना पड़ सकता है. इस स्टरलाइट यूनिट में 4 लाख टन तांबे के उत्पादन की क्षमता थी. तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर यूनिट के बंद होने के बाद, वित्तीय वर्ष 2017 की तुलना में 2018 में तांबे का उत्पादन घटकर लगभग आधा रह गया.
वित्त वर्ष 2019 में देश में सिर्फ 452.7 हजार टन रिफाइंड कॉपर का उत्पादन हुआ. विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह वित्त वर्ष 2020 में और नीचे जाएगा क्योंकि उत्पादन 410 हजार टन के आस-पास होगा.
वित्त वर्ष 2017 और 2018 में रिफाइंड तांबे का उत्पादन क्रमशः 848 हजार टन और 799 हजार टन था. इसलिए यह स्पष्ट है कि स्टरलाइट प्लांट के बंद होने के बाद भारत में तांबे का उत्पादन चालू वित्त वर्ष में 40-50% कम हो सकता है.
उत्पादन में गिरावट के कारण, भारत को 2018 में 44,245 टन रिफाइंड तांबा आयात करना पड़ा था, जबकि 2019 में 92,290 टन तांबा अन्य देशों से खरीदा गया था.
इसका असर निर्यात में भी दिख रहा है. 2018-2019 में भारत का रिफाइंड तांबे का निर्यात सिर्फ 47,917 टन था, जबकि यह 2017 में 3,78,555 टन था.
हिंदुस्तान कॉपर, हिंडाल्को और अन्य छोटी कंपनियां तांबे का उत्पादन कर रही हैं, लेकिन स्टरलाइट बंद होने से रिफाइंड तांबा आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा में भारत ने लगभग 14,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.