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मौलाना महमूद मदनी के खिलाफ LTC भ्रष्टाचार मामले में दायर प्राथमिकी खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के खिलाफ LTC भ्रष्टाचार मामले में दर्ज एफआईआर खारिज कर दी है.

मौलाना महमूद मदनी
मौलाना महमूद मदनी
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Published : Dec 12, 2019, 9:14 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व सांसद (राज्यसभा) मौलाना महमूद मदनी के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर एफआईआर खारिज कर दी है.

अदालत ने मौलाना महमूद मदनी और उनके निजी सचिव मुबाशिर की हिरासत की आवश्यकता को भी खारिज करते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति सुरेश केट ने अपने फैसले में कहा कि उन्होंने जान बूझकर कोई अपराध नहीं किया और न उनका इरादा अपराध करने का था.

गौरतलब है कि सीबीआई ने LTC भ्रष्टाचार में मौलाना महमूद मदनी का नाम शामिल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मौलाना मदनी ने नकली दस्तावेज जमा करके राज्य के खजाने में 5 लाख 75 हजार रुपये का नुकसान करवाया.

दरअसल, मामला 2012 का है, जब मौलाना महमूद मदनी राज्यसभा के सदस्य थे, उनके निजी सचिव मुबाशिर ने कथित तौर पर मौलाना मदनी के नाम पर यात्रा भत्ता (TA) के फर्जी दस्तावेज दायर किए, जिससे राज्य के खजाने को 5 लाख 75 हजार रुपये का नुकसान हुआ.

पढ़ें- अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने से मुस्लिम पक्ष निराश, भाजपा ने जताई खुशी

इस मामले पर सीबीआई ने 2014 में मौलाना मदनी और मोहम्मद मुबाशिर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. मौलाना मदनी ने इस प्राथमिकी को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व सांसद (राज्यसभा) मौलाना महमूद मदनी के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर एफआईआर खारिज कर दी है.

अदालत ने मौलाना महमूद मदनी और उनके निजी सचिव मुबाशिर की हिरासत की आवश्यकता को भी खारिज करते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति सुरेश केट ने अपने फैसले में कहा कि उन्होंने जान बूझकर कोई अपराध नहीं किया और न उनका इरादा अपराध करने का था.

गौरतलब है कि सीबीआई ने LTC भ्रष्टाचार में मौलाना महमूद मदनी का नाम शामिल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मौलाना मदनी ने नकली दस्तावेज जमा करके राज्य के खजाने में 5 लाख 75 हजार रुपये का नुकसान करवाया.

दरअसल, मामला 2012 का है, जब मौलाना महमूद मदनी राज्यसभा के सदस्य थे, उनके निजी सचिव मुबाशिर ने कथित तौर पर मौलाना मदनी के नाम पर यात्रा भत्ता (TA) के फर्जी दस्तावेज दायर किए, जिससे राज्य के खजाने को 5 लाख 75 हजार रुपये का नुकसान हुआ.

पढ़ें- अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने से मुस्लिम पक्ष निराश, भाजपा ने जताई खुशी

इस मामले पर सीबीआई ने 2014 में मौलाना मदनी और मोहम्मद मुबाशिर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. मौलाना मदनी ने इस प्राथमिकी को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

Intro:ایل ٹی سی بدعنوانی: مولانا مدنی کو راحت، ایف آئی آر رد

دہلی ہائی کورٹ نے سابق رکن پارلیمنٹ(راجیہ سبھا) مولانا محمود مدنی کے خلاف سی بی آئی کے ذریعہ دائر ایف آئی آر کو رد کر دیا

دہلی ہائی کورٹ نے جمعیۃ علماء ہند کے جنرل سکریٹری مولانا محمود مدنی کے خلاف بدعنوانی اور مجرمانہ کاروائی کی ایف آئی آر کو رد کر دیا۔

عدالت نے مولانا محمود مدنی اور ان کے پی اے مبشر کی حراست کی ضرورت کو بھی خارج کردیا اور کہا کہ انہیں حراست میں نہ لیا جائے۔

جسٹس سریش کیٹ نے اپنے فیصلہ میں کہا کہ عرضی گزار مولانا محمود مدنی کی نیت جرم کرنے کی نہیں تھی، انہوں نے دانستہ کوئی جرم نہیں کیا۔

واضح ہو کہ سی بی آئی نے ایل ٹی سی بدعنوانی میں مولانا محمود مدنی کا نام شامل کر دیا تھا، جس میں یہ دعوی کیا گیا تھا کہ مولانا مدنی نے فرضی دستاویزات داخل کر کے سرکاری خزانہ کا 5 لاکھ 75 ہزار روپے کا نقصان کروایا ہے۔
معاملہ 2012 کا ہے جب مولانا محمود مدنی راجیہ سبھا کے رکن تھے، ان کے پی اے مبشر نے مولانا مدنی کے نام سے ٹریول الاؤنس(ٹی اے ) کے مبینہ طور پر فرضی دستاویزات داخل کئے تھے، جس سے سرکاری خزانہ کو 575135 روپے کا نقصان ہوا تھا۔ سی بی آئی نے 2014 میں مولانا مدنی اور محمد مبشر کے خلاف ایف آئی آر درج کی تھی۔

مولانا مدنی نے اس ایف آئی آر کو دہلی ہائی کورٹ میں چیلنج کیا اور فوجداری ضابطہ کے 120B , 420,467, 471, کے تحت مجرمانہ کاروائی کے الزام کو خارج کرنے کی گزارش کی تھی، جسے عدالت نے منظور کر لیا۔







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